-डॉ सूर्यकान्त को बनाया गया रिसर्च प्रोजेक्टस सिलेक्शन कमेटी का अध्यक्ष
-उपलब्धियों की कैप में लगा एक और पंख

सेहत टाइम्स
लखनऊ। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक (डीजी, आईसीएमआर) ने डिस्कवरी रिसर्च के क्षेत्र में इन्वेस्टिगेटर इनीसिएटेड रिसर्च प्रोजेक्ट (आईआईआरपी) इंटरमीडिएट ग्राण्ट (आईजी) के प्रस्तावों का मूल्यांकन करने के लिए एक प्रोजेक्ट सिलेक्शन कमेटी (पीएससी) का गठन किया है। इस प्रोजेक्ट सिलेक्शन कमेटी का संचालन डॉ0 सूर्यकान्त की अध्यक्षता में किया जायेगा।
आईसीएमआर भारत की मेडिकल रिसर्च के क्षेत्र की सबसे बड़ी संस्था है जिसका संचालन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है। देश के 25 एम्स तथा 700 से अधिक मेडिकल कालेज तथा अन्य शोध संस्थान आईसीएमआर को अपने रिसर्च प्रोजेक्टस भेजते हैं। जिनका गुणवत्ता के आधार पर शोध के लिए चयन किया जाता है। डॉ0 सूर्यकान्त ने बताया कि यह मेरे लिए एवं केजीएमयू तथा उ0प्र0 के लिए बहुत ही गौरव की बात है। डा0 सूर्यकान्त की उपलब्धि के लिए केजीएमयू की कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानन्द ने बधाई दी।
ज्ञात रहें कि डॉ0 सूर्यकान्त को 2022 में विश्व के सर्वोच्च 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त हो चुका है। वह रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विगत 25 वर्षों से चिकित्सा शिक्षक, 19 वर्षों से प्रोफेसर व 12 वर्षों से विभागाध्यक्ष के पद पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा वह चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 22 किताबें भी लिख चुके हैं तथा एलर्जी, अस्थमा, टी.बी. एवं कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 900 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं साथ ही 2 अंतर्राष्ट्रीय पेटेन्ट का श्रेय भी उनके नाम जाता है। लगभग 200 एमडी/पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन, 50 से अधिक शोध परियोजनाओं का निर्देशन, 22 फैलोशिप, 18 ओरेशन एवार्ड का भी श्रेय उन्हें जाता है। उन्हें अब तक अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा 198 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ0 सूर्यकान्त कोविड टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ब्रांड एंबेसडर भी हैं। डॉ0 सूर्यकान्त पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से अपने लेखों व वार्ताओ एवं टी.बी. व रेडियों के माध्यम से लोगो में टी.बी. की बीमारी से बचाव व उपचार के बारे में जागरूकता फैला रहे है एवं इस महामारी काल में जनमानस को कोरोना जैसी घातक बीमारी के बारे में इलेक्ट्रानिक/प्रिंट/सोशल मीडिया के द्वारा जागरूक करते रहे हैं।
इससे पूर्व वे राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन प्रोग्राम के जोनल टास्क फोर्स (नॉर्थ जोन) के अध्यक्ष रह चुके हैं। जोनल टास्क फोर्स (नॉर्थ जोन) के अन्तर्गत छह प्रदेश और तीन केन्द्र शासित प्रदेश आते हैं। इस प्रकार डा0 सूर्यकान्त भारत के एक चौथाई भू भाग पर ट्यूबरक्लोसिस के उन्मूलन में अहम भूमिका निभा रहें है। वर्तमान में इण्डियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लंग कैंसर के एडवाजरी बोर्ड के मेम्बर भी हैं तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के इन्स्टीट्यूट एवं गवर्निंग बॉडी एवं बोर्ड ऑफ मैनेजमेन्ट, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर के सदस्य हैं। इसके साथ ही चेस्ट रोगों के विशेषज्ञों की राष्ट्रीय संस्थाओं इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, इण्डियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी एवं नेशनल कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन (एन0सी0सी0पी0) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके साथ ही इण्डियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के मेडिकल साइंस प्रभाग के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके है एवं डा0 सूर्यकान्त आई0एम0ए0, लखनऊ के अध्यक्ष एवं उ0प्र0 आई0एम0ए0 एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटीज के चेयरमैन रह चुके हैं एवं आई0एम0ए0-ए0एम0एस0 के राष्ट्रीय वायस चेयरमेन भी रह चुके है। वे इंडियन स्टडी अगेंस्ट स्मोकिंग के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं।

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