-क्लासिकल पद्धति से होलिस्टिक अप्रोच के साथ चुनी गयी दवा से होता है निश्चित लाभ
–विश्व अस्थमा दिवस पर वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता से विशेष वार्ता
सेहत टाइम्स
लखनऊ। आज विश्व अस्थमा दिवस है। अस्थमा यानी वह बीमारी, जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है, क्योंकि इस बीमारी में सांस की नली में सूजन आ जाती है, जिससे वायु मार्ग संकीर्ण हो जाता है। इसके इलाज के लिए एलोपैथिक डॉक्टरों का कहना है कि यह ठीक नहीं हो सकता है, हां इस पर दवाओं से नियंत्रण रखा जा सकता है, यानि दवाएं हमेशा लेनी पड़ती हैं।
अनेक प्रकार के रोगों में रामबाण होम्योपैथिक दवाओं का अस्थमा पर क्या प्रभाव होता है, इस बारे में वरिष्ठ होम्योपैथिक डॉक्टर व गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर रिसर्च के चीफ कंसलटेंट डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि होम्योपैथी में इसका बहुत अच्छा इलाज है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी की अवधारणा के अनुरूप क्लासिकल पद्धति के अनुसार होलिस्टिक अप्रोच के साथ रोगी के लिए दवा का चुनाव करके अगर इलाज किया जाता है तो निश्चित ही लाभ होता है। उन्होंने कहा कि क्लासिकल पद्धति से इलाज से तात्पर्य है कि इसमें उपचार रोग का नहीं, रोगी का होता है, इसीलिए उस रोग के लिए मौजूद सैकड़ों दवाओं में से एक दवा का चयन उस रोगी विशेष के शारीरिक लक्षणों के साथ ही उसकी पसंद-नापसंद, उसका स्वभाव, उसकी सोच, तनाव, भय, गुस्सा के चलते उसकी मनःस्थिति का आकलन करते हुए किया जाता है।
डॉ गुप्ता कहते हैं कि होम्योपैथिक दवा का एक बड़ा लाभ यह भी है कि इसका साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए होम्योपैथिक दवाएं पूर्ण सुरक्षित हैं। अस्थमा होने के कारणों में वातावरण जैसे धूल, धुंआ, अत्यधिक ठंडी वस्तुएं, पराग के कण, बदलता मौसम, धूम्रपान, अलकोहल जैसी वस्तुओं के साथ ही अनुवांशिक भी होता है। एलर्जी भी अस्थमा की एक बड़ी वजह होती है।