-राजस्थान के दौसा की घटना को लेकर लखनऊ में भी चिकित्सकों में जबरदस्त आक्रोश
-इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले चिकित्सकों ने किया विरोध-प्रदर्शन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। लालसोट दौसा राजस्थान में महिला चिकित्सक द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटना के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ ने गुरुवार 31 मार्च को जोरदार प्रदर्शन कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
अध्यक्ष डॉ मनीष टंडन डॉ संजय सक्सेना तथा संयुक्त सचिव डॉ प्रांजल अग्रवाल द्वारा इस विषय में बताया गया है कि 22 वर्षीय महिला जो की चौथी बार मां बनी थी, की अत्यधिक रक्तस्राव (पीपीएच) से मृत्यु हो गई थी। इसके बाद प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अर्चना शर्मा (आनंद हॉस्पिटल) के खिलाफ पुलिस द्वारा बिना जांच के धारा 302 के में गलत मुकदमा दर्ज किया गया और डॉक्टर की मानसिक प्रताड़ना की गई, इसी के चलते मरीज को बचाने की हर संभव कोशिश करने के बाद भी न बचा पाने पर मरीज के परिजन और पुलिस द्वारा की जा रही प्रताड़ना और परिणाम स्वरूप अपनी प्रतिष्ठा पर होते नुकसान से तनावग्रस्त डॉ अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली।
उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में आईएमए लखनऊ के नेतृत्व में 31 मार्च की शाम को आईएमए भवन से शहीद स्मारक तक विरोध प्रदर्शन किया गया। आई एम ए के साथ चिकित्सकों के सभी संगठनों ने एक स्वर से विरोध जताया। विरोध-प्रदर्शन के दौरान नारे लग रहे थे… डॉक्टर के हत्यारों को फांसी दो फांसी दो… और …डिग्री है तो केस है झोला है तो सेफ है… जैसे नारों के साथ डॉक्टर की भारी भीड़ ने डॉ अर्चना शर्मा को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले लोगों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
लखनऊ ऑब्स एंड गायनी सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ यशोधरा प्रदीप एवं सचिव डॉ निशा सिंह ने कहा कि दोषी सभी लोगों को जल्द से जल्द बर्खास्त किया जाए और डॉक्टर को न्याय दिया जाए। चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रधान महासचिव अशोक कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष भवन सचान एवं सचिव सर्वेश पाटिल सहित केजीएमयू टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ केके सिंह, लखनऊ नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अनूप अग्रवाल एवं सचिव डॉ संजय लखटकिया, पैथोलॉजी एसोसिएशन, वूमन विंग की अध्यक्ष डॉ रुखसाना खान, मिशन पिंक, उत्तर प्रदेश नर्सिंग होम्स एसोसिएशन, रायबरेली रोड एसोसिएशन, इंडियन डेंटल एसोसिएशन के डॉ सुयश अग्रवाल, बार एसोसिएशन लखनऊ एवं अन्य सभी चिकित्सक संगठनों के प्रतिनिधियों एवं सदस्यों ने भारी मात्रा में इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन किया।
आई एम ए लखनऊ अध्यक्ष डॉ मनीष टंडन ने कहा कि आई एम ए की राष्ट्रीय कार्यकारिणी इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है और जरूरत पड़ने पर देशव्यापी आंदोलन भी हो सकता है। आई एम ए लखनऊ सचिव डॉ संजय सक्सेना ने कहा कि चिकित्सक समुदाय में इस मामले की वजह से बेहद रोष है और इन हालातों के चलते आने वाले वक्त में डॉ क्रिटिकल मरीजों को सेवा देने से बचने लगेंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी डॉक्टर के खिलाफ मर्डर की धाराओं में मुकदमा दर्ज करना बेहद शर्मनाक एवं दुखद है। आईएमए लखनऊ के संयुक्त सचिव डॉ प्रांजल अग्रवाल ने कहा कि बिना जांच किए डॉक्टर के खिलाफ धारा 302 में मुकदमा दर्ज करना गलत है, दोषियों के खिलाफ उचित धाराओं में एफ आई आर दर्ज होनी चाहिए और फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस मामले को चला कर तुरंत सजा देनी चाहिए। संयुक्त सचिव डॉ वारिजा सेठ ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब डॉक्टर सीरियस मरीज आने पर उसको देखने से परहेज करेंगे क्योंकि डॉक्टर हमेशा अपनी तरफ से जान बचाने की कोशिश करता है लेकिन राजस्थान में जिस तरह से डॉक्टर के ऊपर ही 302 का मुकदमा दर्ज किया गया वह भी बिना जांच के, यह अत्यंत शर्मनाक है, ऐसे में दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। आई एम ए के प्रवक्ता डॉ वीरेंद्र यादव ने कहा कि इस शर्मनाक घटना की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है पुलिस पर दबाव डलवा कर इस तरह से 302 का मुकदमा दर्ज कराना कतई बर्दाश्त नहीं है। उन्होंने कहा कि आज हम चिकित्सकों के साथ वकील और आम पब्लिक भी जुड़ रही है क्योंकि सभी लोग जानते हैं कि डॉक्टर अपनी पूरी मेहनत के साथ मरीज की जान बचाने और उसको इलाज देने की कोशिश में लगा रहता है, ऐसे में यदि मरीज की मृत्यु हो जाती है तो उसमें डॉक्टर को बिना जांच के इस तरह से दोषी ठहराना घोर निंदनीय है।
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विरोध प्रदर्शन में आई एम ए के निर्वाचित अध्यक्ष डॉ जे डी रावत, डॉ अलीम सिद्दीकी, पूर्व अध्यक्ष डॉ पी के गुप्ता, डॉ रमा श्रीवास्तव, डॉ मनोज अस्थाना, डॉ अभिषेक शुक्ला, डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी, चिकित्सा प्रकोष्ठ भाजपा के संयोजक डॉ शाश्वत विद्याधर, डॉ सुनीता चंद्र सहित अनेक चिकित्सक शामिल रहे।