गैर कानूनी और गैर शरीय तरीके से दिया गया तलाक मान्य नहीं
लखनऊ। रामपुर में देर से सोकर उठने पर पति ने पत्नी को जो तीन तलाक दिया उसे तलाक नहीं माना जा सकता है, और जब तलाक नहीं माना जा सकता तो हलाला का सवाल ही नहीं उठता है. रामपुर वाले मामले में भी यही हुआ जिस तरह से पति ने तलाक दिया वह तलाक माना ही नहीं जा सकता इसलिए यहाँ हलाला की जरूरत ही नहीं है, क्योंकि गैर कानूनी तरीके या गैर शरीय तरीके से दिया गए तलाक को तलाक नहीं माना जा सकता है.
यह बात उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने एक प्रश्न के उत्तर में कही. ज्ञात हो उत्तर प्रदेश के रामपुर में देर से सोकर उठने पर तीन तलाक देने के मामले में आये नए मोड़ पर बहस जारी है. गुलफशां और कासिम के बीच हुए झगड़े में कासिम ने उसे तीन तलाक दिया था. गाँव से लेकर संसद तक चर्चित हुए इस मामले में गाँव की पंचायत ने शौहर और बीवी की आपस में सुलह करा दी थी, लेकिन अब मसला यह उठा कि पंचायत ने कहा कि शरीयत के अनुसार दोनों मियां-बीवी के रूप में साथ-साथ हलाला के बाद ही रह सकेंगे।
वसीम रिज़वी ने कहा कि जहाँ तक हलाला का सवाल है तो यह कुरआन शरीफ में है लेकिन यह हलाला किसी गैर शरीय तरीके से या साजिशन दिए गए तलाक पर लागू नहीं होता है. उन्होंने बताया कि हलाला के तहत शर्त रखी गयी है कि अगर तलाक शुदा मियां-बीवी फिर से एक साथ रहना चाहते हैं तो बीवी का किसी दूसरे के साथ निकाह होना जरूरी है, उन्होंने बताया कि इस तरह की शर्त रखी ही इसीलिये गयी है कि लोग आसानी से तलाक न दें और इसको खिलवाड़ न समझें. उन्होंने कहा कि तलाक को रोकने के लिए ही ऐसी शर्त रखी गयी है कि यदि तलाक देने के लिए सोच रहे मियां-बीवी को थोड़ा सा भी अहसास है कि भविष्य में एक-दूसरे के साथ फिर से रह सकते हैं तो वह हलाला की शर्त के भय से तलाक न दें. उन्होंने कहा कि लोग हलाला का दुरुपयोग कर रहे हैं और दुकानें खोले बैठे हैं जो कि गलत है.
ज्ञात हो पीड़िता गुलफशां ने शौहर द्वारा मारपीट करने और तीन तलाक देने की शिकायत पुलिस से की। इस पर पुलिस ने मामले को सुलझाने का आश्वासन गुलफशां को दिया लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद गांव के लोगों ने शरीयत के हिसाब से सुलहनामा तो करा दिया लेकिन एक बार में दिये गये तीन तलाक का मसला बीच में आ गया। इस पर पंचायत व ग्राम प्रधान, व धार्मिक उलेमा सभी ने मिलकर शरीयत के मुताबिक तय किया कि दोनों हलाला के बाद ही साथ रह सकेंगे।
यानी गुलफशां को तीन महीने दस दिन तक पर्दे में रहकर इद्दत को पूरा करना होगा। इद्दत पति के मरने के बाद चार महीने दस दिन की होती है और जिन्दा रहने के दौरान तलाक होने पर दोबारा साथ रहने के लिए तीन महीने दस दिन का पर्दा करना होता है जिसे हलाला कहते हैं। जिले के थाना अजीमनगर क्षेत्र के गांव नगलिया आकिल के रहने वाले कासिम को अपने ही गांव की गुलफशां से मोहब्बत हो गई। काफी दिन प्रेम-प्रसंग चलने के बाद दोनों जब एक-दूसरे के लिए निकाह करने की मंशा जताई तो इस पर दोनों के परिवारों ने आपत्ति जताई और कोई भी इस निकाह के लिए राजी नहीं थे। परिवार को छोड़ दोनों निकाह के बंधन में बंधकर एक दूजे के हो गये लेकिन परवान चढ़ी यह मोहब्बत ज्यादा दिन टिक नहीं सकी।
दोनों के बीच अक्सर तकरार का माहौल हो जाता। निकाह के पांच महीने बाद यानी तीन-चार रोज पहले कासिम ने गुलफशां के साथ मारपीट भी की। रोज गुलफशां के देर से उठने से नाराज शौहर कासिम ने उसे एक बार में तीन तलाक दे दिया था। उसे घर से बाहर निकालकर खुद ताला डालकर वह गायब हो गया जिसके कारण पूरा मामला चर्चा में आ गया था.