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एक और शासनादेश से कैंसर संस्थान में 11 से घोषित हड़ताल स्थगित कराने की शासन की कोशिश बेअसर

-10 दिसम्बर को जारी नये शासनादेश को कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रही फैकल्टी वेलफेयर एसोसिएशन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी इंस्टीट्यूट के चिकित्सकों द्वारा 11 दिसम्बर से हड़ताल किये जाने की घोषणा से संस्थान प्रशासन से लेकर शासन तक में हड़कम्प है, ऐसे में शासन द्वारा एक नया शासनादेश जारी करते हुए हड़ताल जैसी अप्रिय स्थिति को टालने की कोशिश की गयी लेकिन फैकल्टी वेलफेयर एसोसिएशन हड़ताल के फैसले पर कायम है।

कल हड़ताल की घोषणा किये जाने के बाद आज 10 दिसम्बर को पुन: एक शासनादेश जारी करके स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि वर्तमान में कार्यरत कार्मिकों को पूर्व की भांति ही वेतन-भत्ते अनुमन्य रहेंगे जब तक कि हाईकोर्ट में चल रहे केस पर निर्णय नहीं आ जाता। साथ ही यह भी लिखा गया है कि भविष्य में होने वाली भर्तियों में राज्य कर्मचारियों की भांति वेतन-भत्ते अनुमन्य होंगे। इस प्रकार शासन ने हड़ताल का ऐलान करने वाले चिकित्सकों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनका मैटर न्यायालय में लंबित है, उसका फैसला आने तक उन्हें पूर्व की भांति ही वेतन मिलता रहेगा लेकिन फैकल्टी वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डॉ विजेन्द्र का कहना है कि एक संस्थान में दो तरह के वेतनमान कैसे चलेंगे, जब यह सुपर स्पेशियलिटी संस्थान है तो इसमें तो एसजीपीजीआई की तरह ही वेतन-भत्ते होने चाहिये, राज्य कर्मचारियों की तरह नहीं। उन्होंने कहा कि आज 10 दिसम्बर को जारी शासनादेश को कोर्ट में चुनौती देने पर भी एसोसिएशन विचार कर रही है।

इस बारे में संस्थान प्रशासन से जुड़े लोगों का कहना है कि राज्य सरकार के कार्मिकों की तरह वेतनमान दिए जाने की बात संस्थान के  उपनियम 26 के अनुसार ही कही गयी है और जहां तक बात वर्तमान में कार्यरत कार्मिकों को दिए जा रहे ज्यादा वेतनमान की है तो अगर एक बार गलती से ऐसा हो गया तो इसका अर्थ यह नहीं है कि गलती को बार-बार दोहराया जाए, फिर भी क्योंकि यह मामला न्यायालय में लंबित है ऐसे में न्यायालय का निर्णय आने तक वर्तमान में कार्यरत कार्मिकों को पूर्व से दिया जा रहा वेतन ही दिया जाता रहेगा इसके बाद आगे न्यायालय के निर्णय का पालन किया जाएगा।

ज्ञात हो अचानक हड़ताल पर जाने की वजह राज्य सरकार का वह शासनादेश है जो 8 दिसम्बर, 2023 को जारी हुआ है, इस शासनादेश में संस्थान के कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के अनुरूप मानते हुए 7वें वेतन आयोेग की सिफारिशें लागू करने को कहा गया है।

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