-विष्णु भक्ति का विस्तार से वर्णन है इस महापुराण में
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। सनातन धर्म में मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने के उद्देश्य से गरुड़ पुराण को सुना जाता है। इसमें भक्ति, सदाचार, निष्काम कर्म, ज्ञान, वैराग्य की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ जैसे शुभ कर्मों में सर्व साधारणको प्रवृत्त करने के लिए अनेक प्रकार के लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं, इसीलिए इसे वैष्णव पुराण कहा जाता है।
योगिक मानसिक चिकित्सा सेवा समिति की संचालिका, समाज सेविका व प्राणिक हीलर ऊषा त्रिपाठी बताती हैं कि गरुड़ पुराण में विष्णु भक्ति का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरुड़ पुराण से कई प्रकार शिक्षा मिलती है, इसमें मृत्यु से पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में से एक गरुड़ पुराण 18 पुराणों में से एक है। इसमें आयुर्वेद, नीतिसार आदि विषयों के वर्णनके साथ मृत जीव के अन्तिम समय में किये जाने वाले कृत्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
ऊषा त्रिपाठी बताती हैं कि किसी भी प्राणी की मृत्यु के उपरांत इस महापुराण का पठन-मनन, श्रवण सभी परिवारजनों को जीवन मूल्यों का, उनके पाप-पुण्यों का, उनकी नैतिकता का तथा मनुष्य की मनुष्य के एवं समस्त मानवता के प्रति जिम्मेदारियों का ज्ञान कराता है। इस महापुराण से हमें पता चलता है कि हमें किस-किस दुष्कर्म से बचना चाहिये तथा क्या-क्या पुण्य कर्म करने चाहिये, क्योंकि हमारे कर्म ही हमारे लिए स्वर्ग या नर्क का रास्ता तैयार करते हैं।