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जान के जोखिम पर भारी पड़ी महिला चिकित्सक की मातृत्व की चाहत

-पीएनएच बीमारी से ग्रस्त चिकित्सक ने दिया स्वस्थ बच्ची को जन्म

-एसजीपीजीआई के हेमेटोलॉजी विभाग में चल रहा इस दुर्लभ बीमारी का इलाज

-इस बीमारी से ग्रस्त महिला की सफल डिलीवरी का लखनऊ में यह पहला मामला

-निजी गाइनीकोलॉजिस्ट डॉ प्रियंका त्रिवदी की देखरेख में हुई डिलीवरी

सेहत टाइम्स

लखनऊ। चिकित्सक यूं तो सिर्फ चिकित्सक होता है, वह चिकित्सक जो जटिल परिस्थितियों में भी अपने मन को स्थिर रखते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन करता है, लेकिन उसकी अपनी भी व्यक्तिगत जिंदगी है, उनके अंदर भी भावनाओं का समुद्र हिलोरे मारता है, ऐसी ही एक महिला चिकित्सक जिनके अंदर भी दूसरी महिलाओं की तरह मां बनने की आकांक्षा थी, लेकिन बाधा थी तो उनकी गंभीर बीमारी पैरॉक्सिस्मल नॉक्टर्नल हीमोग्लोबिनुरिया Paroxysmal nocturnal Hemoglobinuria (PNH)। जिसमें गर्भधारण करना जच्चा और बच्चा दोनों के लिए जोखिम भरा होता है, और इसकी सफलता के परिणाम बहुत कम हैं लेकिन ममत्व महसूस करने की इच्छा के आगे जोखिम शब्द बहुत बौना साबित हुआ और इन महिला चिकित्सक ने गर्भधारण करने का निर्णय ले लिया, नतीजा उनके अटल विश्वास के अनुरूप ही आया, और आज उनकी गोद में एक नन्ही परी अठखेलियां कर रही है। उनके विश्वास को बनाये रखने में संजय गांधी पीजीआई के हेमेटोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ संजीव और उनका प्रसव कराने वाली प्राइवेट चिकित्सक प्रसूति एवं स्त्री रोग सलाहकार डॉ. प्रियंका त्रिवेदी का योगदान भी अत्यन्त सराहनीय है। इस बीमारी के साथ मां बनने का लखनऊ का यह पहला केस है।

डॉ संजीव बताते हैं कि इस बीमारी पीएनएस में पीड़ित मरीजों की नसों में खून का थक्का बनने की दिक्कत होती है, यह एक दुर्लभ विकार है, जो हेमोलिसिस का कारण बनता है। इसमें गर्भधारण करना बहुत जोखिम भरा होता है, इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं को गर्भधारण की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि मां और बच्चे दोनों के जीवन को खतरा होता है।

डॉ संजीव के अनुसार डॉ. रेखा शुक्ला को वर्ष 2021 में क्लासिकल पीएनएच का पता चला था, उनका इलाज यहां एसजीपीजीआई के हेमेटोलॉजी विभाग में चल रहा है, उनका कहना है कि हेमोलिसिस के शुरुआती कंट्रोल के बाद, उन्होंने गर्भावस्था के नियोजन की इच्छा व्यक्त की। उनकी प्रसूति एवं स्त्री रोग सलाहकार डॉ. प्रियंका त्रिवेदी से चर्चा करने के बाद, हमने आगे बढ़ने का फैसला किया।

डॉ संजीव ने बताया कि सफल गर्भाधान और गर्भावस्था की पुष्टि के बाद रोगी को एलएमडब्ल्यूएच और एस्पिरिन प्रोफिलैक्सिस देना शुरू किया गया। पी एन एच के चलते होने वाले हेमोलिसिस के नियंत्रण के लिए उसे कम खुराक वाले स्टेरॉयड दिए गए। इससे अच्छा रिस्पॉन्स मिला, उनकी प्रसवपूर्व सभी जांचे ठीक रहीं। इसके बाद बीती 10 नवंबर 2023 को उन्होंने गोमती नगर की डॉ. प्रियंका त्रिवेदी की देखरेख में 2.8 किलोग्राम वजन वाली एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।

डॉ संजीव के अनुसार प्रसव के एक माह बाद लगातार देखरेख के बीच माँ और शिशु दोनों स्वस्थ हैं। मां अभी भी एल एम डब्ल्यू एच प्रोफिलैक्सिस पर है और प्रसव के 8 सप्ताह बाद एस्पिरिन शुरू करने की योजना है।

उन्होंने बताया कि लखनऊ में पीएनएच रोगी में सफल गर्भावस्था परिणाम का यह पहला मामला है। ऐसी उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं को हेमेटोलॉजिस्ट एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ की करीबी निगरानी से प्रबंधित किया जा सकता है।

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