-सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च के निदेशक डॉ आलोक धावन ने कहा, यूपी सरकार का है सीएसआईआर से समझौता
-सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट होम्योपैथी ने मनायी स्थापना की प्रथम वर्षगांठ
सेहत टाइम्स
लखनऊ। सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च के निदेशक डॉ आलोक धावन ने आह्वान किया है कि ऐलोपैथी की तर्ज पर होम्योपैथी की लोकप्रियता लाने के लिए इच्छाशक्ति की आवश्यकता है, चूंकि होम्योपैथी में रिसर्च वर्क की कमी है, ऐसे में शोध कार्य में सहयोग के लिए केंद्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से मदद ली जा सकती है, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार का सीएसआईआर के साथ समझौता है।
डॉ धावन ने यह विचार केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के स्थापना दिवस की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने रिसर्च इंस्टीट्यूट की प्रभारी डॉ लिपिपुष्पा देवता से कहा कि सीडीआरआई आपके संस्थान के पास में ही है, अगर आपको मॉडर्न मेडिसिन की बराबरी करनी है तो आपको बहुत कुछ सीखना होगा और इसके लिए आप सीडीआरआई से कोलेबोरेट करें, हमारा सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च भी सीडीआरआई से सहयोग करने जा रहा है, हम तीनों ही मिलकर कार्य कर सकते हैं।
उन्होंने एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार का सीएसआईआर के साथ एमओयू हो चुका है। सीएसआईआर के संस्थान पूरे देश में हैं, ऐसे में आपको रिसर्च के क्षेत्र में सीएसआईआर से हर प्रकार का सहयोग प्राप्त हो सकता है। उन्होंने बताया कि उनकी दादी ने भी आखिरी समय में होम्योपैथी ही प्रयोग की। यह असाध्य रोगों के लिए बहुत पॉपुलर पैथी है। उन्होंने कहा कि जहां मॉडर्न पैथी अब पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट की बात करती है, वहीं होम्योपैथी शुरू से ही पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट करती है।
अपनी लेबोरेटरी की आवश्यकता : डॉ अरविन्द वर्मा
मुख्य अतिथि निदेशक होम्योपैथी उत्तर प्रदेश डॉ अरविन्द वर्मा ने संस्थान में लैबोरेटरी की स्थापना की जरूरत बताते हुए कहा कि मैंने महसूस किया है कि कोई भी इंस्टीट्यूट होता है उसकी अपनी लैब होती है, ऐसे में हमें इस दिशा में कोशिश करनी होगी। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी में अच्छा कार्य हो रहा है, ऐलोपैथी अपना काम कर रही है, हमें अपना काम करना है। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि डॉ गिरीश गुप्ता ने शोध क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य किया है, ऐसे ही स्टूडेंट भी कार्य करें।
सीडीआरआई में हुई रिसर्च से हुआ था होम्योपैथिक शोध संस्थान बीजारोपण : डॉ गिरीश गुप्ता
विशिष्ट अतिथि गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के संस्थापक व मुख्य परामर्शदाता वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता ने कहा कि चार दशक पूर्व इसका बीजारोपण 1986 में हुआ जब सीडीआरआई में केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित एंटी वायरल स्क्रीनिंग ऑफ होम्योपैथिक ड्रग्स अगेन्स्ट ह्यूमेन एंड एनीमल वायरसस, था उस रिसर्च करने वालों में मैं शामिल था। इस रिसर्च की सफलता की चर्चा पूरे विश्व में हुई और 1985 के ब्रिटिश होम्योपैथिक जर्नल में यह रिसर्च प्रकाशित हुई और इसकी बहुत सराहना हुई। इसके बाद से ही यह विचार किया गया कि क्यों न लखनऊ में एक रिसर्च केंद्र खोला जाये। मैं चाहता हूं कि यह केन्द्र नयी-नयी ऊंचाइयों की ओर बढ़े।
बीमारी न होना ही स्वस्थ होने की निशानी नहीं : महेन्द्र वर्मा
विशिष्ट अतिथि आयुष मिशन के निदेशक महेन्द्र वर्मा ने अपने सम्बोधन में अपने घर में होम्योपैथिक इलाज से हुए फायदे के बारे में बताया। मॉडर्न पैथी में बीमारी न होना ही स्वस्थ माना जाता है, जबकि दूसरी पैथी में ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि ऐलोपैथी लक्षणों को ठीक करता है और वहीं समाप्त हो जाता है जबकि दूसरी पैथी आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी में होलिस्टिक सिस्टम से जो इलाज होता है वह ज्यादा सही है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी साक्ष्य आधारित पैथी लोगों के सामने रखनी होगी कि हम कह सकें जो मॉडर्न पैथी में नहीं हो पा रही है, वह हम कर रहे हैं।
शोध की बात आने पर बगले झांकते हैं हम : डॉ राजेन्द्र सिंह राजपूत
सीआईआरएच की साइंटिफिक कमेटी के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र सिंह राजपूत ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि होम्योपैथी में रिसर्च के बारे में सोचना शुरू करें, क्योंकि होम्योपैथी ने अनेक नये पुराने रोगों को ठीक करके अपना झंडा तो लहराया है लेकिन जब शोध कार्य की बात आती है तो क्या विद्याथी और क्या शिक्षक दायें-बायें देखने लगते हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी सकारात्मक मानसिकता के साथ जो आप कर रहे हैं, जहां आप कर रहे हैं, उसे रिकॉर्ड में रखें क्योंकि कागज बोलता है, यही आपके रिसर्च में साक्ष्य बनेगा।
डॉ गिरीश शोध कार्य में विद्यार्थियों का करें मार्गदर्शन : डॉ विजय कुमार पुष्कर
प्राचार्य नेशनल होम्योपैथिक कॉलेज डॉ विजय कुमार पुष्कर ने कहा कि मैं चाहता हूं कि इस इंस्टीट्यूट से हमारे स्टूडेंट्स को भी शोध कार्य का लाभ मिले। उन्होंने कहा कि मैं डॉ गिरीश गुप्ता से भी अपील करता हूं कि वे अपने शोध कार्यों से हमारे कॉलेज के स्टूडेंट्स को भी लाभान्वित करें।
अन्त मेंं धन्यवाद प्रस्ताव संस्थान की निदेशक डॉ लिपिपुष्पा देवता ने दिया। मंच संचालन डॉ अवधेश यादव, डॉ नेहा भारती, डॉ दिव्या पाण्डे ने किया। इस मौके पर सीसीआरएच के डिप्टी डाइरेक्टर जनरल डॉ सुनील एस रामटेके, रिसर्च ऑफीसर डॉ वाराणसी रोजा, रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व सहायक निदेशक डॉ जेपी सिंह, डॉ एके गुप्ता सहित संस्थान के सभी चिकित्सक, कर्मचारी आदि भी उपस्थित रहे।