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जलवायु परिवर्तन से लड़ने में प्रत्येक नागरिक की भूमिका अहम

-संगठित तौर पर किए गए छोटे-छोटे प्रयासों से बदलाव संभव

सेहत टाइम्स

लखनऊ। जलवायु परिवर्तन से लड़ने में प्रत्येक नागरिक की भूमिका अहम है। संगठित तौर पर किए गए छोटे-छोटे प्रयासों से बदलाव संभव है। ऐसे ही कुछ छोटे किन्तु कारगर समाधानों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के कार्यालय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें लखनऊ के विभिन्न इलाकों के रेज़िडन्ट वेल्फेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने प्रतिभाग किया।

यूनिसेफ़ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा “जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक बच्चों पर पड़ता है। संगोष्ठी का आयोजन 5 जून को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में किया गया। संगोष्ठी मिशन LiFE (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) अभियान के अंतर्गत की गई। मिशन LiFE प्रधानमंत्री द्वारा 2021 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्यों को संगठित करना है।“

यूनिसेफ के जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ नागेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा, “जलवायु परिवर्तन बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और भविष्य को प्रभावित करता है।“ नागेंद्र ने बताया कि पाँच वर्ष से कम आयु के चार में से एक बच्चे की मृत्यु पर्यावरण संबंधी कारणों से होती है।

उन्होंने कार्बन फुट्प्रिन्ट को कम करने के लिए अपने दैनिक जीवन में किए जाने वाले कुछ आसान बदलावों जैसे बिजली बचत, सोलर एनर्जी का इस्लेमल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल, पानी की रीसाइक्लिंग आदि कुछ आसान उपायों को अपनाने की बात कही एवं कार्बन फुट्प्रिन्ट नापने के लिए एक फार्मूला भी साझा किया।

यूनिसेफ के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ विजय अग्रवाल ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव गर्भ के अंदर पल रहे शिशु से लेकर वृद्ध जनों तक सभी पर पड़ता है। उन्होंने बताया की हाल ही में हुए एक शोध में लखनऊ के बच्चों के रक्त में लेड की मात्रा औसत से अधिक पाई गई। कॉस्मेटिक से लेकर प्लास्टिक के खिलौने आदि ऐसे कई अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं में लेड की मात्रा पाई जाती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

रेज़िडेन्ट वेल्फेयर एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा भी अपने द्वारा किए जा रहे प्रयासों के विषय में बताया गया जिसमें एसी एवं आर ओ के पानी की रीसाइक्लिंग आदि शामिल हैं। सदस्यों ने बताया कि पौधरोपण में रुचि लाने के लिए फलों के पौधे लगाए जा रहे हैं। उन्होंने पौधों को गोद लेने का भी सुझाव दिया ताकि उनकी देख रेख ठीक से हो सके।

सदस्यों ने बताया की सोलर की सब्सिडी का लाभ फ्लैट में रहने वाले लोगों को नहीं मिलता है। उन्होंने कहा की नीतियों में संशोधन कर सोसाइटी में रह रहे लोगों के लिए भी सोलर सब्सिडी के लाभ का प्रावधान किया जाना चाहिए।

यूनिसेफ के यूथ ऐडवोकेट कार्तिक वर्मा ने सभी सोसाइटी में ईको क्लब और यूथ क्लब बनाने का सुझाव दिया और युवाओं एवं बच्चों की सहभागिता पर जोर दिया।

विशेषज्ञ अरुनेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने ग्रे वाटर को रीसाइकल करने की विधि दिखाई एवं बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के डॉ शैलेन्द्र यादव ने इंदौर एवं सूरत जैसे शहरों का उदाहरण देकर बताया कि कैसे लोगों के प्रयासों से शहर को स्वच्छ बनाया जा सकता है।

संगोष्ठी में गोमती नगर विस्तार महासमिति, चौक, पटेल नगर, गोमती नगर, विवेक खंड एवं वैष्णव खंड, फैजाबाद रोड, नेहरू एंक्लेव, जानकीपुरम विस्तार समेत अन्य इलाकों के रेज़िडन्ट वेल्फेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। गो फॉर गोमती के लिए कार्य कर रहे स्वप्न फाउंडेशन के कुछ युवाओं ने भी संगोष्ठी में प्रतिभाग किया। सोशल मीडिया इन्फ़्लुएनसर सौरभ मिश्र एवं विवेक गुप्ता भी उपस्थित रहे।

जलवायु परिवर्तन को कम करने के कुछ आसान उपाय

• सोलर एनर्जी का इस्तेमाल
• सोसाइटी के स्तर पर कचरे का मैनेजमेंट कर उससे खाद बनाना
• बारिश के जाल के संरक्षण की व्यवस्था
• एसी एवं आर ओ के निकलने वाले पानी को टॉइलेट में एवं पौधों के लिए इस्तेमाल करना
• किचन से निकलने वाले जल को रीसाइकल कर कपड़े धोने आदि के कार्यों में इस्तेमाल करना
• पौधे लगाना एवं उनकी उचित देखभाल करना
• कार पूल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग जैसे व्यवहारों को अपनाना

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