दिल की धड़कनों की गड़बड़ी का समय रहते पता चल जाता है इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जांच से
लखनऊ/नयी दिल्ली। कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी दिल की गतिविधि के आकलन में सहायक होता है जिससे समय पर दिल की धड़कनों में गड़बड़ी की पहचान हो पाती है। धड़कनों में गड़बड़ी के चलते दिल की गतिविधि में कठिनाई आ जाती है, जिसके कारण व्यक्ति में दिल के दौरे, स्ट्रोक, दिल के फेल होने और दिल से जुड़ी कई अन्य गंभीर समस्याओं की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। उम्र के साथ दिल के कमजोर होने और हाई ब्लड प्रेशर के कारण दिल में घाव हो जाते हैं। कुछ जन्मजात हृदय दोषों के कारण दिल की धड़कनें कभी बहुत तेज हो जाती हैं तो कभी बहुत धीरे हो जाती हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए नई दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल के कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी लैब की प्रमुख और निदेशक, डॉ वनिता अरोरा का कहना है कि “कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी दिल की धड़कनों की गड़बड़ी का पता लगाने के लिए दिल की गतिविधियों को रिकॉर्ड करती है। धड़कनें दिल के निचले भाग में या वेन्ट्रीज में उत्पन्न होती हैं। ऐसी घटनाओं को वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया और वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन के रूप में जाना जाता है, आमतौर पर यह एक व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने के बाद होता है। प्रक्रिया के दौरान, कैथेटर नामक एक पतली ट्यूब को रक्त वाहिका में डाला जाता है जो हृदय की ओर जाती है। एक विशेष इलेक्ट्रोड कैथेटर को इस जांच के लिए डिजाइन किया गया है जो हृदय को इलेक्ट्रिक संकेत देता है और इसकी गतिविधि को रिकॉर्ड करता है।”
उन्होंने बताया कि हृदय विज्ञान में हालिया प्रगति के साथ दिल की धड़कनों में गड़बड़ी, जो परिणाम स्वरूप दिल के दौरे, दिल के फेल होने और कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर हृदय बीमारियों को बुलावा देती है, अब इसका समय पर निदान और प्रभावी उपचार संभव है। कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी एक प्रकार की जांच है, जिसने हाल ही में इंटरवेंश्नल कार्डियोलॉजी में अपनी पहचान बनायी है।
डॉ वनिता के अनुसार कई मामलों में दिल की धड़कनों में गड़बड़ी के कारण दिल काम करना बंद कर देता है जिससे व्यक्ति की अचानक ही मौत हो सकती है। पारिवारिक इतिहास और धूम्रपान, उल्टा-सीधा खाने की आदत, आलस आदि जैसी लाइफ स्टाइल से हाइपरटेंशन और डायबिटीज हो जाती है, जो हृदय रोग के गंभीर कारणों में से एक हैं।
डॉ वनिता ने आगे बताया कि, “सबसे आम अनियमित दिल की धड़कनों को एट्रियल फाइब्रिलेशन (एएफ) कहते हैं। आमतौर पर दिल नियमित रूप से सिकुड़ता है और दिल की धड़कन को शांत रखता है। आर्टिफिशियल फाइब्रिलेशन में, दिल के ऊपरी भाग में सही तरीके से रक्त प्रवाह के लिए दिल प्रभावी ढंग से धड़कने के बजाय अनियमित रूप से धड़कने लगता है। 75 वर्ष से अधिक उम्र में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एएफ से हृदय रोग, स्ट्रोक और हार्ट अटैक से मृत्यु के जोखिम में वृद्धि की संभावना होती है।
हालांकि, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को एंटीकोआग्यूलेशन (खून के थक्कों को हटाना) और एब्लेशन प्रक्रियाओं (हार्ट टिशू को सर्जरी से निकालना) की कम जरूरत पड़ती है।”
दिल की धड़कनों की गड़बड़ी के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं और इसीलिए कई बार जांच के दौरान समस्या की पहचान नहीं हो पाती है, जिसके कारण स्थिति समय के साथ खराब होती जाती है। इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी इस तरह की परेशानियों की सही पहचान करने में मदद करता है, जिससे सही समय पर इलाज से कई लोगों की जान बच जाती है और पीड़ितों की जिंदगी भी बेहतर हो जाती है।