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आगे भी पंचायतों को गोद लेकर टीबी उन्मूलन के प्रयास जारी रहेंगे : डॉ वेद प्रकाश

-विश्व टीबी दिवस पर केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने विगत कई वर्षो में टी0बी0 के अधिकाधिक मामले वाले कई पंचायतों को गोद लेकर उन्हे टी0बी0 मुक्त किया है तथा आगे भी टी0बी0 से अत्यधिक रूप से ग्रसित क्षेत्रों में टी0बी0 उन्मूलन के प्रयास करते रहेंगे।

यह कहना है पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश का। विश्व टी0बी0 दिवस के अवसर पर विभाग द्वारा आयोजित जनजागरूकता कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि टी0बी के उन्मूलन के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जागरूक करके उन्हें इस गम्भीर बीमारी से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिन पंचायतों में टी0बी0 के रोग से ग्रसित मरीजों की संख्या ज्यादा है उन्हें विशिष्ट चिकित्सकीय संस्थानों द्वारा गोद लेकर उनकी मदद की जा सकती है। जनजागरूकता कार्यक्रम में प्रो वेद प्रकाश साथ डा0 सचिन कुमार, डा0 मोहम्मद आरिफ, डा0 अतुल तिवारी, डा0 मृत्युन्जय सिंह, डा0 अनुराग त्रिपाठी ने भी टी0बी0 की बीमारी के बारे में अपने व्यक्तव्य से लोगों को जागरूक किया।

विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया भर में प्रतिवर्ष टी0बी0 से कुल 12 लाख लोगों की मृत्यु होती है। वर्ष 2000 से अब तक वैश्विक प्रयासों के द्वारा टी0बी0 से साढ़े सात करोड़ लोगों की जान बचाई जा चुकी है। पिछले वर्षों की तुलना में 2020 और 2021 में इलाज शुरू करने वाले एक्स0डी0आर0-टीबी रोगियों की संख्या में भी कमी देखी गई। 2020 और 2021 में इलाज पर रखे गए एमडीआर रोगियों की संख्या में 14 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की कमी आई।

विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस, 24 मार्च को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 24 मार्च 1882 को डॉ. रॉबर्ट कोच ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैसिलस, की खोज की घोषणा की थी।

भारत में क्षय रोग की स्थिति के बारे में डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि भारत विश्व स्तर पर टीबी के सबसे अधिक बोझ वाले देशों में से एक है, जहां हर साल बड़ी संख्या में टीबी के मामले सामने आते हैं। क्षय रोग के लक्षणों में न ठीक होने वाली खांसी, छाती में दर्द, खाँसी में खून आना, थकान, बुखार, रात को पसीना आना, वजन कम होना, भूख में कमी जैसे लक्षण शामिल हैं।

डॉ वेद ने बताया कि क्षय रोग की जटिलताओं में मल्टीड्रग प्रतिरोधी टीबी, शरीर के विभिन्न अंगों में फैली हुई टीबी, फेफड़े की झिल्ली में पानी आना, रीढ़ की हड्डी की टी0बी़, दिमागी टी0बी0,जोडों का टी0बी0, सांस की विफलता शामिल है।

उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है कि वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में टी0बी0 से ग्रसित मरीजों के एक चैथाई मरीज भारत में हैं, और पूरे विश्व में टी0बी0 से होने वाली सभी मृत्यु में से 29 प्रतिशत मृत्यु भारत में होती हैं।

उन्होंने कहा कि विभिन्न DOTS सेंटर के माध्यम से मरीजों को मुफ्त दवा वितरण किया जाता है तथा उनको टीबी के इलाज को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

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