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गोरखपुर एम्स में की गयी ‘कारस्तानी’ के चलते पटना एम्स के निदेशक पद से भी हटाये गये डॉ गोपाल कृष्ण पाल

-एम्स देवगढ़ के अधिशासी निदेशक डाॅ सौरभ वार्ष्णेय को पटना एम्स के अधिशासी निदेशक का अतिरिक्त प्रभार

डॉ गोपाल कृष्ण पाल

सेहत टाइम्स

लखनऊ। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना के निदेशक डॉ गोपाल कृष्ण पाल को उनके पद से हटा दिया गया है, डॉ. गोपाल कृष्ण पर आरोप है कि जब उनके पास एम्स गोरखपुर के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार था, तब उन्होंने अपने बेटे का दाखिला फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर करवाया था। यही नहीं उन्होंने अपनी बेटी को भी फर्जी तरीके से सीनियर रेसिडेंट के पद पर जॉइनिंग दिलायी थी। डॉ पाल के स्थान पर अधिशासी निदेशक, एम्स देवगढ़, डाॅ सौरभ वार्ष्णेय को पटना एम्स के अधिशासी निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से 04.11.2024 को जारी कार्यालय आदेश में कहा गया है कि गोरखपुर एम्स प्रकरण के चलते जांच का सामना कर रहे डॉ गोपाल कृष्ण पाल को अधिशासी निदेशक पटना एम्स पद से हटा दिया गया है, उन्हें तत्काल भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से सम्पर्क करने को कहा गया है। इसी पत्र में डॉ सौरभ वार्ष्णेय को पटना की अतिरिक्त जिम्मेदारी दिये जाने के भी निर्देश ​दिये गये हैं।

ज्ञात हो डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने अपने बेटे ओरो प्रकाश को फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर गोरखपुर एम्स के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में एमडी-पीजी कोर्स में दाखिला दिलवाया था। जब जांच हुई तो सामने आया कि बेटे ही नहीं उन्होंने अपनी बेटी को भी फर्जी तरीके से एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में सीनियर रेसिडेंट के पद पर जॉइनिंग करवा रखी थी। फर्जीवाड़े में डॉ जी के पाल के बेटे ने नियुक्ति से पहले जमा करवाए इनकम सर्टिफिकेट में सालाना आय मात्र 8 लाख रुपये दर्शाई थी, इसके साथ ही उन्होंने नॉन क्रीमीलेयर और दानापुर बिहार के पते पर ओबीसी जाति के प्रमाण पत्र भी जमा करवाए थे, लेकिन पूरा मामला खुलने पर पता चला कि ओरो के पिता खुद गोरखपुर एम्स और पटना के निदेशक पद पर कार्यरत हैं।

ज्ञात हो इससे पहले भी गोरखपुर एम्स में फर्जी तरीके से जॉइनिंग करवाने के मामला सामने आ चुका है। गोरखपुर एम्स की पूर्व निदेशक सुरेखा किशोर ने भी फर्जी सर्टिफिकेट की मदद से अपने बेटे को जूनियर रेजिडेंट के पद पर तैनाती करवाई थी, जिसके बाद सुरेखा किशोर को इसी आरोप में उन्हें पद से हटाया गया था।

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