वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ व पूर्व प्रभारी चिकित्साधिकारी राजभवन डॉ शिव शंकर त्रिपाठी ने दी बचाव व उपचार की जानकारी
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। डेंगू का डंक आजकल लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में लोगों को परेशान किये है, डेंगू से ग्रस्त लोग जहां बीमारी से परेशान हैं वहीं जो बीमार नहीं है वे डेंगू होने के डर से परेशान है। आयुर्वेद पद्धति की अगर बात करें तो डेंगू ओर अन्य बुखारों के उपचार से लेकर बचाव तक की औषधियां उपलब्ध हैं। इसको लेकर ‘सेहत टाइम्स’ ने वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ व पूर्व प्रभारी चिकित्साधिकारी राजभवन डॉ शिव शंकर त्रिपाठी से विशेष वार्ता करके अपने पाठकों के लिए जानकारी जुटाने की कोशिश की है।
डॉ त्रिपाठी ने बताया कि डेंगू बुखार से बचने के लिए जैसा कि सरकार की तरफ से भी प्रचारित हो रहा है कि अपने घर और उसके आसपास पानी जमा न होने दें, शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनें, सफाई रखें क्योंकि सफाई नहीं होगी तो मच्छर पनपेंगे। डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है इसलिए घर के कूलर, मिट्टी के बरतन, टायर या कहीं भी अगर पानी जमा है तो उसे खाली कर दें। इसके अतिरिक्त आवश्यक है कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करें।
डॉ त्रिपाठी ने कहा कि डेंगू का मच्छर अगर वार कर भी दे तो उसका कोई असर न हो, यानी डेंगू से बचाव के लिए हमारा शरीर तैयार रहे इसके लिए तुलसी, अदरक, काली मिर्च और विशेषकर मुलेठी का काढ़ा पीयें, इससे जहां सर्दी-जुकाम से बचे रहेंगे और हर तरह के संक्रमण से बचे रहेंगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा बॉडी को टोनअप करने के लिए अश्वगंधा और हल्दी का चूर्ण लेकर दोनों आधा-आधा चम्मच मिलाकर सुबह शाम गुनगुने पानी से लें।
अगर डेंगू हो जाये
डॉ त्रिपाठी ने बताया कि वैसे तो सारे अहतियात बरतने चाहिये लेकिन अगर किसी व्यक्ति को डेंगू हो जाये तो पपीते के पत्ते का ताजा रस, गिलोय घनवटी और सुदर्शन घनवटी की दो-दो गोली बड़ों को तथा एक-एक गोली बच्चों को सुबह-शाम देनी चाहिये। डॉ त्रिपाठी ने बताया कि डेंगू वायरस के असर को निष्प्रभावी बनाने के लिए फलों में अनार और कीवी का जूस बहुत फायदेमंद है, अनार का रस तो इतना एनर्जी बूस्टर है कि इसके पीने से तुरंत एनर्जी लेवल बढ़ता महसूस होता है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त आवश्यक है कि पेट साफ रखें, इसके लिए गुनगुने पानी से इसबगोल दो चम्मच या त्रिफला चूर्ण एक चम्मच लें, अगर ज्यादा ही कब्जियत है तो दोनों लिये जा सकते हैं।
गाय-बकरी का दूध बहुत सुपाच्य
डॉ त्रिपाठी ने बताया कि रोगी को गाय, बकरी का दूध देना चाहिये क्योंकि यह बहुत सुपाच्य होता है। उन्होंने बताया कि इसी दूध का पनीर, दही लें। ज्ञात हो टीबी के मरीज को भी बकरी के दूध की सलाह दी जाती है क्योंकि टीबी में लिवर इतना कमजोर हो जाता है कि पचने में दिक्कत आती है, बकरी का दूध आसानी से पच जाता है।