-केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग के 113वें स्थापना दिवस पर अपने भाषण में प्रमुख सचिव ने दी सलाह
-स्थापना दिवस पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम का समापन, चार दिन चली सतत शल्य चिकित्सा शिक्षा
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सेहत टाइम्स
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा है कि चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षण, प्रशिक्षण और शोध पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए और निजी प्रैक्टिस से दूर रहना चाहिए।
प्रमुख सचिव ने यह सलाह आज 15 फरवरी को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के जनरल सर्जरी विभाग के 113वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह का उद्घाटन करने के बाद मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते हुए अपने वक्तव्य में दी। ज्ञात हो डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस के मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश शासन से आगामी 27 फरवरी को होने वाली सुनवाई में प्रदेश के सभी जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेजों व राजकीय चिकित्सालयों में कार्यरत प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सा शिक्षक और चिकित्सकों का ब्यौरा मांगा है। इसे लेकर प्रमुख सचिव द्वारा सभी जिलाधिकारियों से उनके जनपदों के ऐसे चिकित्सकों की सूची आगामी 20 फरवरी तक शासन को भेजने के निर्देश दिये हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अपने भाषण में प्रमुख सचिव ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए सभी को यह संदेश दिया है कि प्राइवेट प्रैक्टिस किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं है।
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सर्जरी विभाग के 113वें स्थापना वर्ष के कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर 12:30 बजे पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसने इस अवसर को एक पवित्र और शुभ माहौल प्रदान किया। उद्घाटन सत्र में प्रो. एच.एस. पाहवा ने स्वागत भाषण दिया, जिसके बाद विभागाध्यक्ष प्रो. ए.ए. सोनकर ने विभाग की उपलब्धियों और भविष्य की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। प्रो. सोनिया नित्यानंद, केजीएमयू की कुलपति ने समारोह की अध्यक्षता की। प्रो नित्यानंद ने जोर दिया कि शाम के शिक्षण को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए और सस्ती रोबोटिक सर्जरी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। उन्होंने विभाग को इस उम्मीद के साथ बधाई दी कि आने वाला साल विभाग के लिए और भी सम्मान लाएगा।
प्रो सोनकर ने 2024 में नए जनरल सर्जिकल ब्लॉक को मंजूरी देने के लिए यूपी सरकार को धन्यवाद दिया और प्रमुख सचिव से वादा किया कि यह साल एक मील का पत्थर साबित होगा। इसके अतिरिक्त अन्य वक्ताओं में प्रति कुलपति प्रो अपजीत कौर और गांधी मेमोरियल सम्बद्ध चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो बी के ओझा शामिल थे, इन्होंने क्षेत्र में प्रगति और अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में विभाग की भूमिका और विश्वविद्यालय के मिशन और विजन में इसकी जिम्मेदारी पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की।
इस मौके पर योगदान और समर्पण को मान्यता देने के लिए, प्रतिष्ठित वक्ताओं को स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए, इसके बाद रेजीडेंट्स डॉक्टरों और कर्मचारियों को सम्मानित करते हुए उन्हें पुरस्कृत किया गया। समारोह में मंच पर उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों का अभिनंदन भी किया गया, उनके योगदान और अटूट समर्थन की सराहना की गयी। कार्यक्रम का समापन डॉ. पारिजात सूर्यवंशी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसके बाद राष्ट्रगान हुआ। कार्यक्रम का आयोजन प्रो. अभिनव ए. सोनकर (आयोजन अध्यक्ष) और डॉ. पारिजात सूर्यवंशी (आयोजन सचिव) के नेतृत्व में सफलतापूर्वक किया गया। ज्ञात हो विभाग द्वारा अपने स्थापना दिवस का कार्यक्रम 11 फरवरी से 15 फरवरी तक पांच दिन मनाया गया, शुरुआत के चार दिन सतत शल्य चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों को विभिन्न अंगों, बीमारियों में की जाने वाली सर्जरी के बारे में महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान की गयी।
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