दया, दुआ व दवा तीनों चीजें मिलकर मरीज को बनाती हैं स्वस्थ
गड़बड़ सॉफ्टवेयर वाला यंत्र और सॉफ्ट स्किल विहीन मनुष्य किसी काम के नहीं
लखनऊ 22 अक्टूबर। रोगी की चिकित्सा से जुड़े डॉक्टरों व अन्य कर्मियों की दया, दुआ व दवा तीनों चीजें मिलकर मरीज को स्वस्थ बनाते हैं, ऐसे में मरीज का उपचार करने के लिए चिकित्सकों और अन्य कर्मचारियों में इन गुणों का रहना बहुत जरूरी है। यह बात प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की ब्रहमकुमारी राधा ने आज यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के अटल बिहारी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में केजीएमयू इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स के तत्वावधान में आयोजित सॉफ्ट स्किल्स वर्कशॉप फॉर हेल्थ प्रोफेशनल्स के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। ब्रहमकुमारी राधा ने तनाव से मुक्ति, आत्मशक्ति में वृद्धि, शांति के लिए चिकित्सकों व़ समारोह में मौजूद लोगों को मेडीटेशन कराया।
उन्होंने कहा कि बचपन में हम सभी संस्कारवान ही अवतरित हुए थे और हम सभी में पहले मानवीय गुण थे परंतु बड़े होते-होते कुछ लोगों में इन मानवीय गुणों को हृास हो गया। अपने मूल्यों को पहचानना एवं उनका पालन करना यह मानव का परम कर्तव्य है और सॉफ्ट स्किल कोर्स इस दिशा में समाज के लिए एक सार्थक पहल है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कितनी ही अच्छी कंपनी का यंत्र हो अगर उसका सॉफ्टवेयर खराब है तो बेकार है। इसी प्रकार से मनुष्य में भी सॉफ्ट स्किल नहीं होगी तो वह समाज की अपेक्षित सेवा नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि पेशेंट के साथ पेशेंस की आवश्यकता होती है, चिकित्साकर्मी दया, दुआ और दवा इन तीनों से मिलकर रोगी को स्वास्थ्य बनाते हैं।
केजीएमयू में पहली बार ‘सॉफ्ट स्किल्स वर्कशॉप फॉर हेल्थ प्रोफेशनल्स’ का आयोजन : कुलपति
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट द्वारा की गई। उन्होंने बताया कि किसी भी चिकित्सीय संस्थान में यह कोर्स पहली बार आयोजित हो रहा है और केजीएमयू में इसका प्रारम्भ होना गर्व का विषय है। इसकी आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इसकी आवश्यकता समस्त चिकित्सा, नर्सिंग एवं पैरा मेडिकल के छात्र-छात्राओं को है। उन्होंने कहा कि मूल्यों से युक्त चिकित्साकर्मी ही दूसरों को मूल्यों पर आधारित चिकित्सा सेवा दे सकते हैं। इस अभिनव पहल के लिए उन्होंने डॉ विनोद जैन एवं उनकी टीम को बधाई देते हुए इसकी निरंतरता बनाए रखने का आग्रह किया।
मरीजों से सम्बन्ध खराब होने का कारण चिकित्सक का तनावग्रस्त रहना
कार्यक्रम के संयोजक एवं निदेशक स्किल सेंटर डॉ विनोद जैन ने बताया कि आजकल चिकित्सा कर्मी तनावग्रस्त रहते हैं, जिस कारण से उनका मरीजों एवं तीमारदारों के बीच संबंध भी खराब हो जाते हैं। ऐसे में स्वास्थ्यकर्मियों में सॉफ्ट स्किल का होना अत्यंत आवश्यक है। यह न केवल उनके तनाव को कम करेगा बल्कि मरीजों से उनके संबंध में सुधार करेगा। डॉ जैन ने बताया कि एक वैज्ञानिक शोध में यह बात सिद्ध हो चुकी है कि जिन मरीजों का इलाज अच्छे व्यवहार के साथ होता है, उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है। उन्होनें बताया कि चिकित्साकर्मियों को अपने करियर की आरंभिक अवस्था में ही यह सुधार लाना चाहिए ताकि समाज को बेहतर सुविधा का लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि 22 व 23 अक्टूबर को आयोजित होने वाली इस दो दिवसीय कार्यशाला में एक साथ 30 परीक्षार्थीयों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें उन्हें प्रोफेशनलिज्म एवं एथीक्स, कम्युनिकेशन एवं इंटर पर्सनल रिलेशनशिप, कोऑपरेशन एवं टीम वर्क, सकारात्मकता, करुणा एवं ऐंगर मेनेजमेंट, सेल्फ रेलीगेशन एवं पीस के विषय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया गया कुछ इस अंदाज में
इस मौके पर वृद्धावस्था मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर भूपेन्द्र सिंह ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। अपने धन्यवाद प्रस्ताव में उन्होंने ब्रह्मकुमारी राधा को ज्ञान राधा, कुलपति प्रो भट्ट को पूरा सहारा, डॉ जीपी सिंह और डॉ आरके गर्ग को राम और लक्ष्मण, डॉ आरएएस कुशवाहा को दधीचि बताते हुए डॉ विनोद जैन की शान में पंक्तियां पढ़ते हुए कहा कि जो मनुष्य को निर्भय करे उसे महाकालेश्वर उज्जैन कहते हैं और जो मन को आनन्द और विनोद से भरे उसे डॉ विनोद जैन कहते हैं।
इस सॉफ्ट स्किल कार्यशाला में प्रशिक्षक के रूप में डॉ विनोद जैन के साथ-साथ डॉ पुनीता मानिक, डॉ रीमा कुमारी, डॉ अनुराधा निश्चल, डॉ अनिल निश्चल, डॉ गीतिका नंदा सिंह एवं डॉ भूपेंद्र कुमार मुख्य रूप से उपस्थित रहे तथा साथ ही प्रोफेसर अरुण चतुर्वेदी, प्रोफेसर जीपीसिंह, प्रोफेसर आरएएस कुशवाहा एवं डॉ अभय नारायण तिवारी आदि की विशिष्ट उपस्थिति उत्साहवर्धक थी।