आईआईटी कानपुर ने तैयार की है किट, लगभग 100 रुपये होगी किट की कीमत
लखनऊ. डेंगू हर साल कहर ढहाता है. इसकी शीघ्र पहचान का रास्ता आसान हो गया है. क्योंकि जिस तरह से गर्भधारण करने का टेस्ट घर पर ही करना आसान है वैसे ही एक सस्ती किट तैयार की जा रही है जो घर बैठे ही बता देगी कि रोगी को डेंगू है या नहीं. इस किट को बनाने का श्रेय उत्तर प्रदेश स्थित कानपुर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-कानपुर) को जाता है. संस्थान ने डेंगू परीक्षण को लेकर एक ऐसी जांच किट तैयार की है, जो बिल्कुल प्रेंग्नेंसी टेस्ट कार्ड जैसा है। इस किट के माध्यम से शुरुआती तीन दिनों के भीतर ही घर बैठे डेंगू की पुष्टि की जा सकती है, हालांकि इसके लिए अभी इन्तजार करना होगा क्योंकि यह किट बाजार में आने में लगभग एक साल का समय लग जायेगा.
चिकित्सकों की मानें तो अगले एक साल के भीतर यह बाजार में उपलब्ध होगी और इसकी कीमत 100 रुपये के आसपास होने का अनुमान है। चिकित्सकों ने दावा किया कि कोई भी व्यक्ति घर बैठे इस बात का पता लगा सकेगा कि उसके रक्त में डेंगू के वायरस मौजूद हैं या नहीं। इससे सही समय पर डेंगू के वायरस का पता लगाया जा सकेगा और मरीजों को होने वाली मौत को रोकने में सफलता मिलेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईआईटी-कानपुर और लखनऊ स्थित हृदय रोग संस्थान ने मिलकर एक टेस्ट किट तैयार की है, जो अपने घर पर ही सिर्फ एक बूंद रक्त से अधिकतम 10 मिनट के भीतर ही डेंगू की पुष्टि कर देगी। आईआईटी-कानपुर के प्रोफेसर शांतनु भट्टाचार्य के मुताबिक, प्रेग्नेंसी टेस्ट कार्ड जैसी इस जांच किट से शुरुआती तीन दिनों में ही डेंगू होने का पता लगाया जा सकेगा।
हृदय रोग संस्थान के निदेशक विनय कृष्ण ने कहा, ‘किसी भी मरीज के शरीर में डेंगू वायरस होने पर शुरुताअी तीन दिनों तक इसके खास लक्षण नहीं उभरते, बल्कि अगले तीन दिनों के भीतर अचानक प्लाज्मा लीकेज के कारण प्लेटलेट काउंट तेजी से घटना शुरू हो जाता है। जांच रिपोर्ट लैब में भेजने के बाद रिपोर्ट के इंतजार में लगभग एक सप्ताह निकल जाता है।’
उन्होंने बताया कि इस संशय के कारण अस्पतालों में भर्ती मरीजों के इलाज में काफी गलती होने की आशंका भी बनी रहती है। विनय कृष्ण के मुताबिक, इससे निपटने के लिए पिछले एक वर्ष की मेहनत के बाद आईआईटी-कानपुर में पेपर माइक्रोफ्लूइडिक तकनीक से एक टेस्ट कार्ड तैयार किया गया है। संस्थान में सीरम के साथ एनएस-1 प्रोटीन के साथ नमूने बनाकर टेस्ट किए गए। यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहे। अभी इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू होगा। इसके बाद अगले एक साल के भीतर यह कार्ड बाजार में उपलब्ध होगा।
प्रोफेसर शांतनु के मुताबिक, नैनो तकनीक पर आधारित इस कार्ड में ग्रैफन ऑक्साइड की पतली परतों के बीच सोने के बेहद मामूली कण बिखरें हैं। इस कारण यह तकनीक सही नतीजे देने में कामयाब होगी। उन्होंने बताया कि डेंगू होने पर एक लाल रेखा के जरिए इसे साधारण आंखों से पहचाना जा सकेगा। इसे अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स में भी प्रकाशित किया जा चुका है। खुले बाजार में इस कार्ड की कीमत 1०० रुपये रहने का अनुमान है।