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कोविड में होने वाले हार्ट अटैक, ब्रेन स्‍ट्रोक को रोकने में सहायक है डी डायमर टेस्‍ट

-कोविड से ग्रस्‍त पत्रकार रोहित सरदाना की मौत भी हुई थी हार्ट अटैक से

-डॉ पीके गुप्‍ता ने अब इन्‍फ्लामेट्री मार्कर टेस्‍ट की श्रृंखला में वीडियो जारी कर बतायी डी डायमर टेस्‍ट की महत्‍ता

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कोविड के चलते होने वाले हार्ट अटैक या ब्रेन स्‍ट्रोक का कारण ब्‍लड में खून का थक्‍का बनना होता है, इस खून के थक्‍के को अगर समय रहते जांच लिया जाये तो उसे ब्‍लड पतला करने वाली दवायें देकर समाप्‍त किया जा सकता है, हाल ही में इसी थक्‍के के चलते कोविड संक्रमण से ग्रस्‍त आज तक के पत्रकार रोहित सरदाना की मौत शुक्रवार को हार्ट अटैक से होना बताया जा रहा है। ब्‍लड में बनने वाले इसी थक्‍के की पैथोलॉजी जांच डी डायमर (D dimer) टेस्ट से की जाती है।

उत्‍तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल के सदस्‍य, आईएमए लखनऊ के पूर्व अध्‍यक्ष व वरिष्‍ठ पैथोलॉजिस्‍ट डॉ पीके गुप्‍ता वर्तमान में चल रही कोविड-19 महामारी के संदर्भ में inflammatory marker  टेस्‍ट के बारे में जानकारी देने के लिए वीडियो श्रृंखला चला रहे हैं। उन्‍होंने अब तक कई जांचों के महत्‍व को बताते हुए वीडियो जारी किये हैं। इसी श्रृंखला में अब उन्‍होंने कोविड में डी डायमर (D dimer) टेस्ट का महत्व बताते हुए वीडियो जारी किया है।

डॉ गुप्‍ता का कहना है कि इस ब्लड जांच का संबंध शरीर मे सूक्ष्म क्लॉट बनने से हार्ट अटैक एवं ब्रेन स्ट्रोक की संभावना को समय रहते पहचान कर रोका जा सकता है।

डॉ गुप्‍ता का कहना है कि coagulation abnormality से जुड़ा हुआ यह टेस्ट बहुत पहले से desseminated intra vascular coagulation (DIC), Deep vain thrombosis (DVT) तथा अन्य coagulation से जुड़ी हुई बीमारियों के पहचान तथा उसके इलाज के लिए कराया जाता रहा है लेकिन आजकल यह जांच कोविड संक्रमण के इलाज के दौरान अन्य inflammatory marker जैसे CRP Ferritine तथा LDH के साथ कराया जा रहा है।

डी डायमर क्‍या है

उन्‍होंने बताया कि D Dimer ब्लड मे माइक्रोक्‍लॉट्स के degradation से बनने वाला प्रोटीन product होता है जिसे हम fibrin degradation product  भी कहते है। यह शरीर के अंदर सामान्य coagulation mechanism का पार्ट होता है लेकिन शरीर मे संक्रमण अथवा सूजन के कारण कई पैथोलॉजिकल कंडीशन मे यह मात्रा बढ़ जाती है ब्लड मे इसी microclot प्रोटीन की मात्रा नापने के लिए D Dimer टेस्ट किया जाता है

D Dimer test कब कराते हैं

यह टेस्ट शरीर मे abnormal microclots बनने की आशंका होने पर उसकी पहचान करने के लिये कराया जाता है जैसे कोविड संक्रमण में निमोनिया होने की संभावना पर DIC यानी Desseminated intravascular coagulation में फेफड़े में पल्मोनरी embolism तथा पैरों में Deep vain thrombosis यानी पैर की नसों में थक्का होने की संभावना होने पर यह टेस्ट कराया जाता है।

डॉ गुप्‍ता बताते हैं कि समय से D dimer टेस्ट हो जाये तथा abnormal microclots बनने की पहचान हो जाने पर हम इसके गंभीर complication जैसे लंग में सीवियर निमोनिया हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक से मरीज को बचा सकते है D dimer टेस्ट की वैल्यू बढ़ी होने पर चिकित्सक clots को dissolve करने तथा उसको बनाने से रोकने के लिये एन्टी coagulant यानी खून पतला करने की दवा देते हैं। उन्‍होंने बताया कि यहां यह बताना जरूरी है कि यह जांच मरीज को अपने चिकित्सक के सलाह पर ही करना चाहिए।

जांच के लिए ब्लड का नमूना कैसे देते हैं

इसके लिये खाली पेट रहने की जरूरत नहीं होती है यह नमूना कभी भी दिया जा सकता है। ब्लड का नमूना विशेष सावधानी के साथ लाइट ब्लू colour के साइट्रेट ट्यूब में एक निश्चित मात्रा में लिया जाता है यह टेस्ट लैब में पहुचने बाद शीघ्र शुरू किया जाता है, इसके लिए जरूरी है कि यथासंभव मरीज का सैंपल आसपास ही पैथोलोजिस्ट डॉक्टर द्वारा संचालित लैब में देना चाहिए अन्यथा बहुत दूर सैंपल ट्रांसपोर्ट करने से जांच की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। यहां यह बताना जरूरी है कि यह जांच abnormal  clot के डायग्नोसिस के साथ इलाज के प्रभाव को मॉनिटर करने के लिए serially कराया जाता है इसलिए इसे एक ही लैब बार बार कराना उचित होता है अन्यथा लैब variation की संभावना बढ़ सकती है।

क्‍या है D Dimer की नॉर्मल रेंज

स्वस्‍थ व्यक्ति मे सामान्य coagulation mechanism के दौरान D Dimer की वैल्यू 500 ng/ml से कम होता है। कोविड संक्रमण मे लंग्‍स में निमोनिया तथा micro vascular injury  के कारण अधिक मात्रा मे एब्नार्मल microclot बनने से D Dimer बढ़ी हुई आ सकती है।

यदि वैल्यू सामान्य से दो गुना से ज्यादा है तो यह अलार्मिंग सिग्नल होता है जो गंभीर मरीजों में हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है इसी बढ़ी हुई रिपोर्ट के आधार पर विशेषज्ञ डॉक्टर खून को पतला करने की दवा यानी एन्टी coagulant  देते हैं जिससे थ्रोम्बोएम्बोलिक कॉम्प्लिकेशन की संभावना कम हो जाती है। इसी प्रकार DIC तथा गर्भवती महिलाओं मे भी D Dimer की वैल्यू बढ़ी आ सकती है जिसके रोकथाम के लिए ब्लड थिनर दवा दी जाती है

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