सीबीएसई स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए पच्चीस प्रतिशत कोटे को लागू करने पर गंभीर मंथन
लखनऊ. केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) बोर्ड की दसवीं की परीक्षा अब होम से नहीं बोर्ड से कराई जायेगी. यह व्यवस्था अगले सत्र से लागू होगी. यह जानकारी आज बागपत में एक सेमिनार में सीबीएसई की अध्यक्ष अनीता करवाल ने दी. इसके अलावा सीबीएसई स्कूलों में एडमिशन में गरीब बच्चों के लिए पच्चीस प्रतिशत कोटे को लागू करने पर गंभीर मंथन भी किया जा रहा है
मीडिया में आ रही ख़बरों के अनुसार शनिवार को बागपत के डीएवी पब्लिक स्कूल में सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों के प्रबंधक और प्रधानाचार्य के एक सेमिनार का आयोजन किया गया था. इस सेमिनार में अपने सम्बोधन में अनीता करवाल ने कहा कि अभी तक की व्यवस्था के अंतर्गत 10वीं की परीक्षा की जिम्मेदारी, जिस स्कूल में बच्चे पढ़ते हैं, उन्हीं को सौंप दी गयी थी लेकिन अब निर्णय लिया गया है कि दसवीं कक्षा की परीक्षा अब होम नहीं बल्कि बोर्ड से कराई जाएगी।
इस सेमिनार में शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रकाश डाला गया। सीबीएसई की अध्यक्ष ने सभी स्कूल संचालकों को हिदायत दी है कि वह सभी अध्यापकों को सीबीएसई बोर्ड में रजिस्टर कराएं और शिक्षा में सुधार करें. उन्होंने यह भी कहा कि कक्षा दस की होम एक्जाम परीक्षा व्यवस्था में बदलाव किया गया हैं। आने वाले सत्र से कक्षा दस के छात्रों को बोर्ड परीक्षा देनी पड़ेगी। इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री डॉक्टर सत्यपाल सिंह, सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी और कई जिलों से आये सीबीएसई स्कूलों के तकरीबन पांच सौ प्रधानाचार्य और प्रबंधक शामिल रहे.
अनीता करवाल ने यह भी कहा कि स्कूलों में बच्चों को स्वास्थ्य-खानपान और पढ़ाई आदि के लिए टाइम-टेबल बनवाकर काम किया जाए। राज्यमंत्री डॉक्टर सत्यपाल सिंह ने कहा कि सीबीएसई स्कूल में एडमिशन में गरीब बच्चों के लिए पच्चीस प्रतिशत कोटे को लागू करने पर गंभीर मंथन किया जा रहा है। इस दौरान प्रधानाचार्यों और प्रबंधकों ने अपनी समस्या रखी।