-संजय गांधी पीजीआई में हुआ पीडियाट्रिक न्यूट्रिशन अपडेट का आयोजन
-जंक फूड की जगह पारम्परिक खान-पान का करें इस्तेमाल
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। क्या आप जानते हैं कि अपने शिशु के हाथ में मोबाइल फोन पकड़ाकर आप उसके साथ लाड़-प्यार नहीं बल्कि उसके स्वास्थ्य, उसके बौद्धिक विकास के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, अगर जानते हैं और फिर भी करते हैं तो चेत जाइये और अगर नहीं जानते हैं तो जान जाइये, शिशुओं को मोबाइल फोन देना शिशु के प्रारम्भिक विकास में खतरनाक हो सकता है, इससे उसके मस्तिष्क विकास और सीखने की क्षमता में कमी आ सकती है।
यह महत्वपूर्ण जानकारी आज यहां संजय गांधी पीजीआई के मिनी ऑडीटोरियम में आयोजित पीडियाट्रिक न्यूट्रिशन अपडेट में पीजीआई की पीडियाट्रीशियन डॉ पियाली भट्टाचार्या ने अपने सम्बोधन में दी। उन्होंने बताया कि अक्सर देखा गया है कि मातायें अपने शिशु के साथ लाड़-प्यार जताने के लिए अब झुनझुने का कम, मोबाइल का ज्यादा प्रयोग करती हैं, मोबाइल पर उसे तस्वीर दिखाना, म्यूजिक सुनाना जैसी बातों से बच्चे का ध्यान आकर्षित करती हैं। यही नहीं समयाभाव के कारण और खुद को खाली रखने के लिए भी शिशु को मोबाइल थमा देना एक आम बात हो गयी है।
उन्होंने कहा कि एक स्थिति यह आती है कि बच्चा इसका लती होने लगता है, फिर तो जब तक उसे मोबाइल न पकड़ा दिया जाये वह रोता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जंक फूड का सेवन बच्चों की सेहत के लिए अत्यंत खराब है। उन्होंने कहा कि घर हो या बाहर हफ्ते में एक बार से ज्यादा जंक फूड का सेवन बच्चों को नहीं करना चाहिये, माताओं को चाहिये कि स्कूल के लिए लंच घर से ही अवश्य बना कर दें। दो साल तक की उम्र के बच्चों को डिब्बाबंद जूस कतई न दें।
डॉ पियाली ने कहा कि घर पर बने खाने में या तो चीनी का बिल्कुल नहीं या बहुत कम इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि बच्चों को पानी के साथ ही दूध बटर मिल्क, नारियल पानी इत्यादि दें। उन्होंने बताया कि बीमारी के दौरान विशेषकर दवा खाने के दौरान फलों का जूस नहीं देना चाहिये तथा कैफीन युक्त एनर्जी ड्रिंक बच्चों और किशोरों को बिल्कुल न दें।
कार्यक्रम की आयोजन सचिव पीजीआई की सीनियर डायटीशियन रमा त्रिपाठी ने बताया कि इस अपडेट में शिशु के गर्भ में आने से लेकर उसके पैदा होने के बाद किशोरावस्था तक आने वाली परेशानियों से बचने के लिए पोषण का ध्यान कैसे रखा जाये, इस पर चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में आईएमए लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।
डॉ पीके गुप्ता ने जंक फूड से बचने की सलाह देते हुए बताया कि पारम्परिक खानपान जैसे लइया-चना, सत्तू, बाटी-चोखा जैसी चीजों को प्रमोट करना चाहिये डॉ गुप्ता ने कहा कि माता को स्तनपान के लिए प्रेरित करना चाहिए स्तनपान से नवजात शिशुओं में संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इसके अतिरिक्त बच्चों को सामूहिक रूप से अन्य बच्चों के साथ खाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
पीजीआई के मातृत्व और प्रजनन स्वास्थ्य विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ अमृता गुप्ता ने बताया कि गर्भावस्था में डायबिटीज होने की संभावना रहती है तथा अनियंत्रित शुगर गर्भावस्था में शिशु के विकास को प्रभावित करती है, उन्होंने कहा कभी-कभी गर्भस्थ शिशु की मौत भी हो सकती है डॉ अमृता ने कहा कि सही खानपान और पोषण से प्रारंभिक दौर में ही डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
अपडेट में डॉ प्रेरणा कपूर ने बच्चों में मोटापा की समस्या के बार में बताया कि यह समस्या अब अंतरराष्ट्रीय होती जा रही है। उन्होंने इसके लिए खेलकूद का अभाव, जंक फूड का प्रयोग तथा मोबाइल की लत को जिम्मेदार बताया। आज के कार्यक्रम में एसजीपीजीआई की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ दीपा कपूर, लोहिया संस्थान के डॉ शीतांशु श्रीवास्तव ने भी सम्बोधित किया।