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स्‍तनपान : नौ माह से कम नहीं, एक साल से ज्‍यादा नहीं

सेहत टाइम्‍ससे केजीएमयू के प्रो आनन्‍द मिश्र की विशेष वार्ता
प्रो आनन्‍द मिश्र

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। शिशु के पैदा होने के कम से कम 9 माह तक मां को अपना दूध अवश्‍य पिलाना चाहिये, हालांकि इस अवधि को एक साल तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन एक साल बाद स्‍तनपान बंद कर देना चाहिये। ऐसा न करने का असर बच्‍चे के साथ ही साथ मां पर भी पड़ता है।

यह महत्‍वपूर्ण जानकारी किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) के इंडोक्राइन सर्जरी विभाग के विभागाध्‍यक्ष प्रो आनन्‍द मिश्र ने ‘सेहत टाइम्‍स’ से एक विशेष वार्ता में दी। डॉ मिश्रा ने बताया कि जैसा कि लम्‍बे समय से प्रचारित होता आ रहा है कि शिशु के लिए छह माह तक सिर्फ मां का दूध ही काफी है, पानी तक अलग से देने की आवश्‍यकता नहीं है। उन्‍होंने कहा कि इसके बाद बच्‍चे की आयु नौ माह या ज्‍यादा से ज्‍यादा एक साल होने तक ही स्‍तनपान करायें अन्‍यथा मां का शरीर कमजोर होगा और बच्‍चे की भी ग्रोथ अच्‍छी नहीं होगी।

उन्‍होंने बताया कि आदर्श स्थिति यह है कि जब तक बच्‍चे को स्‍तनपान करायें तब तक जितना दूध दिन भर में बच्‍चा पीता है उतना ही दूध मां को भी पीना चाहिये जिससे कैल्शियम की कमी नहीं हो पाये, अगर दूध नहीं ले सकती है तो कम से कम कैल्शियम की गोली अवश्‍यक लेनी चाहिये। उन्‍होंने कहा कि हालांकि मां के दूध में कैल्शियम ही नहीं अन्‍य पोषक तत्‍व भी होते हैं लेकिन यह कुदरत का ही करिश्‍मा है कि शिशु जब पहली बार मां के स्‍तन से अपना होठ लगाता है तो शरीर में जो हार्मोन्‍स निकलते हैं उन्‍हीं के कारण मां के स्‍तनों में दूध आ जाता है। यह दूध बच्‍चे की जरूरत के हिसाब से सभी पोषक तत्‍वों से भरपूर होता है। शिशु पैदा होने के बाद मां का वजन भी बढ़ जाता है ऐसे में मां अगर स्‍तनपान नहीं कराती है तो मोटी हो जाती हैं, यही नहीं बच्‍चे का भी पोषण ठीक से नहीं हो पाता है।

डॉ मिश्रा ने बताया कि इसी प्रकार एक साल की आयु के बाद भी बच्‍चे को अगर मातायें दूध पिलाती रहती हैं तो इसका नुकसान यह होता है कि मां के अंदर ताकत पैदा करने वाले तत्‍व, चर्बी, कैल्शियम आदि की कमी होती जाती है और मां कमजोर हो जाती है। ऐसी माताओं को कमर दर्द, हड्डियों में दर्द, निप्‍पल में दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस की शिकायत हो जाती है। उन्‍होंने कहा कि यही नहीं यह भी देखा गया है कि जो बच्‍चे एक साल से ज्‍यादा स्‍तनपान करते रहते हैं वे दूसरे बच्‍चों के मुकाबले कम हष्‍ट-पुष्‍ट रहते हैं। उनका कहना है कि इसका उदाहरण आप साफ देख सकते हैं कि एक ऐसा बच्‍चा खड़ा करें जो एक साल बाद ऊपर की चीजें खाकर, पीकर पलता है और उसके साथ वह बच्‍चा खड़ा करें, जो मां का दूध पीता है, दोनों को देखने से ही अंतर साफ पता चल जायेगा।