भारत सहित नौ देशों के नामीगिरामी ब्रांड के पानी की रिसर्च में खुलासा
लखनऊ। क्या आप जानते हैं की जिस बोतलबंद पानी को आप सुरक्षित समझकर इस्तेमाल करते हैं वह आपको नल के पानी से भी ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। बोतलबंद पानी में मौजूद प्लास्टिक के कण आपको कैंसर, नपुंसकता और आटिज्म जैसी बीमारियां दे रहे हैं। ऐसा दुनिया भर की कई ब्रांड की पानी की बोतलों पर हुई रिसर्च के बाद सामने आई है इसमें भारत में बिकने वाले ब्रांड भी शामिल हैं।
प्लास्टिक के बोतल में मिलने वाले पानी को लेकर किए गए रिसर्च से खुलासा हुआ है कि इससे आपको कई गंभीर बीमारियां हो सकती है।
भारत समेत दुनिया के 9 देशों के नमूनों को फ्रिडोनिया के स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में हुए रिसर्च के दौरान जांचा गया। इस रिपोर्ट को ऑर्ब मीडिया ने प्रकाशित किया है। इसमें दावा किया गया है 93 फीसदी बोतलबंद पानी के सैंपल में प्लास्टिक के कण बहुतायत से मिले हैं। रिसर्च में दावा किया गया है कि ये कण बोतल का पानी पीने वालों के लिए संक्रामक हो सकता है।
रिसर्च के लिए ब्रांडेड मिनरल वाटर वाले प्लास्टिक के बोतल का सैंपल भारत, अमेरीका, चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया केन्या, लेबनान, मेक्सियों और थाइलैंड से लिया गया था। इसमें भारत में काफी ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाले ब्रांड भी शामिल हैं। प्रकाशित रिपोर्ट में जिन कम्पनियों का जिक्र किया गया है वो उनमें से एक्वा, एक्वाफिना, बिसलेरी का तो भारतीय बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा है। इसके साथ नेशले प्योर लाइफ, इवियान, दसानिया, वहाहा जैसी कंपनियों के सैंपल भी शामिल हैं।
प्लास्टिक के कणों की पड़ताल करने पर नायलॉन, पॉलिप्रोपलीन जैसे खतरनाक केमिकल पाये गए। रिसर्च टीम का कहना है कि ये इंडस्ट्रीयल पैकिंग की वजह से पानी में मिले होंगे, जो बोतल और उसके ढक्कन का हिस्सा हो सकते हैं। किसी किसी बोतल में तो इसकी संख्या 10 हजार तक पाई गई।
रिसर्च टीम का कहना है कि इससे इंसानों को होने वाले खतरे पर और पड़ताल किये जाने की जरूरत है, लेकिन इतना साफ है कि ये कण और उसमें मिलने वाले केमिकल कई तरह के कैंसर, स्पर्म काउंट में गिरावट और दिमागी बिमारी की वजह बन सकती है।
हालांकि रिसर्च टीम की पहले की जांच में ऐसे कण नल के पानी में भी मिलने की बात कही जा रही है, लेकिन प्लास्टिक के बोतलबंद पानी की तुलना में उसे सुरक्षित बताया गया है। साथ ही सलाह दी गई है कि वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक के इस्तेमाल में कमी लाने को सभी साथ आए।
उपभोक्ता अधिकार दिवस पर आई इस रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्चर्स को टेस्ट के दौरान एक लीटर की बोतल में 10.4 माइक्रोप्लास्टिक पार्टिकल्स मिले. यह इससे पहले हुई नल के पानी में पाए गए प्लास्टिक अवशेषों की तुलना में दोगुना है.
शोधकर्ताओं का मानना है कि पानी में ज्यादातर प्लास्टिक पानी को बोतल में भरते समय आता है. प्लास्टिक के अवशेषों में पॉलीप्रोपाइलीन, नायलॉन और पॉलीइथाईलीन टेरेपथालेट शामिल हैं. इन सबका इस्तेमाल बोतल का ढक्कन बनाने में होता है.