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कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी-रेडियोथेरेपी के दुष्प्रभावों से बचायेंगी आयुर्वेद दवाएं : डॉ संजय कुमार

-10वें आयुर्वेद दिवस-2025 के मौके पर क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान ने 15 दिनों तक आयोजित किये कार्यक्रम

-23 सितम्बर को सुबह रन फॉर आयुर्वेद से लेेकर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता तक आयोजित हुए आठ कार्यक्रम

सेहत टाइम्स

लखनऊ। आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति ही नहीं है, यह स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाने वाला विज्ञान है यानी रोगग्रस्त व्यक्ति को स्वस्थ करने और रोगमुक्त व्यक्ति को स्वस्थ रखने का मार्गदर्शक है। 10वें आयुर्वेद दिवस – 2025 के अन्तर्गत आयोजित किये गये कार्यक्रमों के द्वारा आयुर्वेद के इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति करता नजर आया यहां इंदिरा नगर स्थित क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान Regional Ayurvedic Research Institute (RARI रारी) लखनऊ।

इस अवसर आयोजित पत्रकार वार्ता में इन कार्यक्रमों के आयोजन की जानकारी देते हुए बताया गया कि इन कार्यक्रमों का आयोजन परिषद के महानिदेशक वैद्य रबीनारायन आचार्य, उप महानिदेशक डॉ. एन.श्रीकांत एवं रारी लखनऊ के प्रभारी सहायक निदेशक डॉ संजय कुमार सिंह के कुशल मार्गदर्शन में किया गया। संस्थान द्वारा आयुर्वेद से संबन्धित विषयों पर व्याख्यान मालाओं का आयोजन किया गया। डॉ संजय कुमार सिंह ने बताया कि इस बार के आयुर्वेद दिवस की थीम जनकल्याण एवं पृथ्वी के लिए आयुर्वेद है, उन्होंने कहा कि एक बड़ी समस्या बनता जा रहे मोटापे को रोकने के लिए क्या करना चाहिये, इसके बारे में आहार से हम मोटापा कम कैसे करें, के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा आयुर्वेद को प्रमोट करने के लिए हमें अपनी टेक्नोलॉजी का उपयोग करना होगा। इसी प्रकार हमें यह भी देखना होगा कि जो लोग झूठ फैलाकर हर प्रकार के रोगों को आयुर्वेद से ठीक करने का दावा करते हैं, विज्ञापन के जरिये लोगों को भ्रमित करते हैं, उनके बारे में हमें कहां रिपोर्ट करना है।

उन्होंने कहा कि कैंसर आज एक बड़ी समस्या बन चुका है ऐसे में आयुर्वेद में हम कैंसर के मरीजों को क्या दे सकते हैं, मरीजों की कीमोथेरेपी-रेडियोथेरेपी कराते हैं, लेकिन इसका असर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है जिससे बाल झड़ने जैसी अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाती हैं ऐसे में कीमोथेरेपी/रेडियोथेरेपी के साथ ही इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवाएं दी गयीं तो मरीजों को काफी लाभ हुआ। गांवों में पशुओं की सेहत पर भी इस बार फोकस किया गया है।

एनएबीएच और एनएबीएल मान्यता प्राप्त है संस्थान

डॉ संजय ने बताया कि आयुर्वेद का यह पहला संस्थान है जिसका अस्पताल National Accreditation Board for Hospitals & Healthcare Providers एनएबीएच और लैबोरेटरी National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories एनएबीएल से मान्यताप्राप्त है। यह गर्व की बात है, साथ ही हमारा रिसर्च वर्क भी लोगों के लिए लाभप्रद साबित होता है। उन्होंने बताया कि अब क्षेत्रीय पारम्परिक खानपान की विशेषताओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है, इसके तहत यह देखा जा रहा है कि उस स्थान विशेष की क्या चीज मशहूर है और स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार फायदेमंद है।

एक दिन में आठ आयोजन : डॉ सुरेन्द्र कुमार

पत्रकार वार्ता में मौजूद अनुसंधान अधिकारी डॉ सुरेन्द्र कुमार ने आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में पिछले 15 दिनों में किये गये आयोजनों की जानकारी दी। उन्होेंने कहा कि ओपीडी में मरीजों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य के लिए उपयोगी खानपान के बारे में जागरूक करने के लिए जनजागरूकता अ​भियान चला रहे हैं। विभिन्न प्रतियोगिताएं, स्वास्थ्य शिविर लगाये जा रहे हैं। इसके अलावा स्कूल में जाकर बच्चों को हर्बल पौधों के बारे मेें जानकारी देते हुए आयुर्वेद के बारे में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज 23 सितम्बर को संस्थान द्वारा आठ कार्यक्रम आयोजित किये गये। सबसे पहले सुबह 7 बजे रन फॉर आयुर्वेद का आयोजन किया गया, इसके बाद योग सत्र आयोजित हुआ, फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आयुर्वेद दिवस पर दिया गया संदेश पूरे संस्थान परिवार को सुनाया गया, इसके बाद मरीजों व परिजनों को जागरूक करने के लिए संदेश देना आज भी जारी रहा, इसके बाद आउटरीच प्रोग्राम में स्वास्थ्य शिविरों की शृंखला में आज सरस्वती विद्यामन्दिर इंटर कालेज में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया जिसमें विद्यालय के शिक्षक एवं छात्र एवं छात्राओं को निः शुल्क परामर्श एवं औषधियों का वितरण किया गया। इसके अतिरिक्त साथ ही हीमोग्लोबिन की जांच की गयी। महिलाओं को प्रसव पूर्व और प्रसवोपरांत किये जाने वाले कार्यों की जानकारी के लिए शिविर लगाया गया तथा पत्रकार वार्ता के माध्यम से जन-जन तक आयुर्वेद के बारे में जागरूक किया गया तथा इसके बाद आयुर्वेद के विषय में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है।

पारम्परिक क्षेत्रीय व्यंजनों को बढ़ावा : डॉ अंजलि बी प्रसाद

अनुसंधान अधिकारी डॉ अंजलि बी प्रसाद ने क्षेत्रीय खानपान को प्रमोट किये जाने के बारे में बताया कि चाउमिन, बर्गर, पिज्जा जैसी चीजों के हावी होने से गांव तक में लोग अपना फूड कल्चर भूलते जा रहे हैं, इसलिए यह सोचा गया कि इससे पहले कि हमारे क्षेत्रीय पारम्परिक व्यंजन लुप्त हो जायें, इसके बारे में लोगों को जागरूक किया जाये। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि मौसम के फल, ​सब्जियां खाने की सलाह आयुर्वेद में हमेशा दी गयी है। बच्चों को फूड के बारे में उन्होंने कहा कि जिन स्वास्थ्यवर्धक चीजों को हम बच्चों को खिलाना चाहते हैं, उन्हें रुचिकर बनाने के लिए हम बड़ों को भी मेहनत करनी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि कुछ चीजें ऐसी हैं जो रात के भोजन में नहीं खानी चाहिये जैसे दही नहीं खाना चाहिये, यह कफ को बढ़ाता है।

आहार से ही निरोगी और आहार से ही रोगी : डॉ श्रीकला वी

डॉ. श्रीकला वी ने आहार के महत्व को बताते हुए कहा कि आहार ही स्वस्थ रखता है, आहार ही बीमारियां भी पैदा करता है। हम लोग दवा से पूर्व आहार से ही मरीज की बीमारी ठीक करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि आहार में भी विरुद्ध आहार ऐसा बिन्दु है जिसमें बताया जाता है कि किस चीज के साथ किस चीज का सेवन नहीं करना चाहिये। जैसे मछली के साथ दूध, नॉन वेज के साथ दही, देशी घी और शहद बराबर मात्रा में नहीं लेना चाहिये। उन्होंने कहा कि हम लोग मिल्क शेक लेते हैं, जबकि आयुर्वेद में कहा गया है कि अम्ल रस दूध के साथ नहीं लेने चाहिये। इन सब पर स्टडी हो चुकी हैं, और हो रही है। इसी प्रकार स्टडी के शुरुआती परिणामों में कहा गया है कि आयुर्वेद दवाओं के साथ अंग्रेजी दवा नहीं खानी चाहिये, अभी इसमें और स्टडी चल रही है। विपरीत आहार से कई प्रकार के नुकसान होते हैं, यहां तक कि मानसिक विकार और बांझपन के लिए भी ये जिम्मेदार हैं।

आंख ही नहीं दिमाग पर भी असर डाल रहा मोबाइल : डॉ आलोक कुमार श्रीवास्तव

अनुसंधान अधिकारी डॉ आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मोबाइल से सभी को विशेषकर बच्चों को बहुत नुकसान हो रहा है, हमारी ओपीडी में बहुत लोग आते हैं, इसके दुष्परिणाम बहुत हैं, जिन्हें अभी हम समझ नहीं पा रहे हैं, बच्चे हिंसक हो रहे हैं, आंखो पर तो असर हो ही रहा है, मन पर भी बहुत असर पड़ रहा है, एकाग्रता कम हो रही है, हिंसक हो रहे हैं, चिड़चिड़े हो रहे हैं, सोचने ओर याद करने की क्षमता कम हो रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी चीज की अति खराब होती है, गैजेट को जरूरत के हिसाब से प्रयोग किया जाना चाहिये, इसे माता-पिता को शुरू से ही देखना चाहिये, एकाकी परिवार हैं, ऐसे में माता-पिता बच्चे को मोबाइल पकड़ाकर अपने कामों में व्यस्त रहते हैं। यही चीज कुछ समय बाद लब और नशा बन जाती है। हम लोग काउंसिलिंग करते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि डिजीज बर्डेन बढ़ रहा है, स्वस्थ जीवन शैली के बारे में लोगों को बताया जाना चाहिये, आयुर्वेद एक जीवन शैली है, अपने को स्वस्थ रखना प्रथम उद्देश्य है, कब क्या करना चाहिये, अगर इतनी से बात हम जनता तक पहुंचा सकें तो इसका बड़ा असर होगा। उन्होंने इस वर्ष की थीम के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि धरती पर हम रहते हैं ऐसे में उसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी भी हमारी है, उन्होंने कहा कि आज हम देखते हैं कि हर व्यक्ति को अलग-अलग चीजें चाहिये होती हैं, जबकि पहले घर में एक चीज होती थी उसी से सबका काम चल जाता था, उन्होंने कहा ​कि इसका नतीजा यह है कि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन ज्यादा करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर हम आयुर्वेद के तरीके से अगर जीना सीख लें तो कम चीजों में हम संतुष्ट हो सकते हैं।

शौच में भी ले जाते हैं मोबाइल : डॉ कांबले पल्लवी

अनुसंधान अधिकारी डॉ. कांबले पल्लवी नामदेव ने कहा कि आहार लेने के नियम हैं, न वो ज्यादा गरम हों न ही ठंडे, ताजा आहार लेना चाहिये, हम लोग फ्रिज में रख देते हैं, यह नहीं करना हैं, उन्होंने कहा कि एक ओर आवश्यक चीज है एकाग्रचित्त। उन्होंने कहा कि आज हम शौच के लिए भी जब जाते हैं तो मोबाइल ले जाते हैं, जबकि शौच एकाग्रचित्त होकर करने वाली क्रिया है। आयुर्वेद में ये सभी चीजें पुराने समय से बतायी गयी हैं, इसे हमें जनमानस तक पहुंचाना है। जब हम स्वस्थ रहेंगे तो दूसरों को स्वस्थ रख सकेंगे।

पत्रकार वार्ता में बताया गया जागरूकता के लिए व्याख्यानमालाओं में जिन विषयों को चुना गया उनमें मुख्यतः – आयुर्वेद आहार-एक परिचय, “नेत्र रोगों में आयुर्वेद आहार-विहार”, ‘बच्चो के स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद आहार’, आयुर्वेद में क्रियाकल्प की उपादेयता’, “मोटापा एवं उसके उपचार” “शारीरिक स्वास्थ्य: ,पर्याप्त पोषण, नियमित स्वास्थ्य जांच”, वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद के द्वारा स्वास्थ्य सम्पादन”, “दैनिक जीवन शैली में आयुर्वेद का महत्व” आदि पर दिया गया। विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन जैसे – निबंध प्रतियोगिता , चित्रकला प्रतियोगिता , प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता , व्यंजन प्रतियोगिता का आयोजन संस्थान द्वारा किया गया। संस्थान द्वारा “स्वस्थ नारी – सशक्त परिवार” अभियान के अंतर्गत संस्थान में स्त्री रोग से संबन्धित विशिष्ट ओ.पी.डी. का शुभारंभ किया गया।

संस्थान द्वारा विभिन्न विषयों पर आधारित आई.ई.सी. सामग्रियों का वितरण किया गया। डॉ. संजय कुमार सिंह के मार्गदर्शन में रन फॉर आयुर्वेद ” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें संस्थान के अधिकारी एवं कर्मचारियों के साथ अन्य नागरिक भी शामिल हुये। आयुर्वेद दिवस के कार्यक्रमों की रूपरेखा एवं संचालन नोडल अधिकारी डॉ. सुरेन्द्र कुमार एवं संस्थान के डॉ. आलोक कुमार श्रीवास्तव, डॉ. अंजलि बी. प्रसाद, डॉ. कांबले पल्लवी नामदेव तथा डॉ. श्रीकला वी. एवं संस्थान के समस्त अधिकरियों एवं कर्मचारियों के सहयोग से सम्पन्न हुआ।

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