-फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष का केजीएमयू में व्याख्यान
-केजीएमयू के फैमिली मेडिसिन विभाग की ओपीडी सेवा प्रारम्भ
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। देश में Specialist doctor (विशेषज्ञ चिकित्सक) की संख्या तो काफी है लेकिन Generalist doctor (सामान्य विशेषज्ञ चिकित्सक) की संख्या काफी कम है, जबकि वर्तमान समय में सामान्य विशेषज्ञों की जरूरत है, जो पेट दर्द से लेकर आंख दर्द तक का इलाज कर सके तथा मरीज को कब विशेषज्ञ विशेष के पास भेजना है, यह तय कर सके। अच्छी बात यह है कि इस जरूरत को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने जल्दी समझ लिया है और अपने यहां फैमिली मेडिसिन विभाग की स्थापना कर इसकी ओपीडी को आज से प्रारम्भ भी कर दिया है। उन्होंने बताया कि फैमिली मेडिसिन के ये डॉक्टर प्लेन एमबीबीएस नहीं होते हैं, ये भी स्नातकोत्तर डिग्री वाले विशेषज्ञ ही होते हैं।
ये विचार आज नये साल के पहले दिन पहली जनवरी को अकैडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया (ए.एफ.पी.आई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रमन कुमार द्वारा फैमिली मेडिसिन की उपयोगिता के विषय में दिये गये अपने व्याख्यान में व्यक्त किये। इससे पूर्व सुबह साढ़े दस बजे ओ.पी.डी. काम्प्लेक्स में कक्ष संख्या 425 में फैमिली मेडिसिन विभाग की आउटडोर सर्विस का उद्घाटन किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोo एम.एल.बी.भट्ट के द्वारा किया गया।
ओपीडी सर्विस के उद्घाटन के मौके पर फीजियोलॉजी विभाग, एनाटॉमी विभाग, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष तथा अन्य वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित रहे। कार्यक्रम में फैमिली मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नरसिंह वर्मा, डॉ मनीष बाजपेई, डॉक्टर संदीप भट्टाचार्य तथा डॉ श्याम चंद्र चौधरी, अकैडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया (ए.एफ़.पी.आई.) की यूपी ब्रांच के अध्यक्ष डॉ पीयूष जैन तथा 50 रेजिडेंट भी उपस्थित थे। आज ओ.पी.डी. में 73 मरीजों का परीक्षण तथा संदर्भित किया गया।
आपको बता दें कि फैमिली मेडिसिन विभाग का उद्देश्य मरीजों की प्राथमिक क्लीनिकल परीक्षण कर उसे सलाह देना है, इस तरह के रोगियों को देखने के लिए उस सामान्य विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है जो शरीर के सभी अंगों के सामान्य रोगों का इलाज कर सकता हो तथा यदि किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता है तो रोगी को उस विशेषज्ञ विशेष के पास संदर्भित कर सके। फैमिली मेडिसिन विभाग की नयी व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ मरीज और विशेषज्ञ चिकित्सक का समय बचाना है, क्योंकि अनेक बार साधारण रोग वाले मरीज भी विशेषज्ञ के पास, या रोग की सही पहचान न कर पाने के कारण दूसरे विशेषज्ञ के पास पहुंच जाते हैं।
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अगर केजीएमयू की ही बात करें तो एक मोटे अनुमान के मुताबिक केजीएमयू में लगभग 40 फीसदी मरीज ऐसे आते हैं जिन्हें विशेषज्ञ की जरूरत नहीं होती है, उनका इलाज एमबीबीएस डॉक्टर भी कर सकते हैं। नयी व्यवस्था के बाद इन 40 फीसदी मरीजों का उपचार फैमिली मेडिसिन विभाग के सामान्य विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किये जाने का असर यह होगा कि जहां इन मरीजों को लम्बी लाइनों से निजात मिलेगी वहीं विशेषज्ञों के पास दिखाने वाले मरीजों को भी लम्बी लाइनों में इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस प्रकार मरीज को लम्बी लाइनों में लगने की दिक्कत के साथ समय की भी बचत होगी।
एमसीआई से परमीशन के बाद होगी एमडी की पढ़ाई
इसके बाद ब्राउन हॉल में आयोजित समारोह में अपने व्याख्यान के बारे में डॉ रमन कुमार ने कहा कि प्रो नरसिंह वर्मा को विभाग का विभागाध्यक्ष बनाकर विवि प्रशासन ने सही चुनाव किया है, क्योंकि प्रो नरसिंह वर्मा इस तरह के नये कॉन्सेप्ट को लागू करने के लिए पूरी तरह से उपयुक्त हैं। प्रो नरसिंह वर्मा ने बताया कि विभाग में एमडी की पढ़ाई के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से हरी झंडी मिलने के बाद नये विभाग में एमडी की पढ़ाई हो सकेगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में सिर्फ एक जगह वेल्लौर में ही फैमिली मेडिसिन में एमडी की शिक्षा दी जा रही है, जबकि श्रीनगर व जोधपुर में आधे-अधूरे कार्यक्रम चल रहे हैं।
ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन विभाग भी स्थापित कर चुके हैं डॉ वर्मा
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने कहा कि प्रो नरसिंह वर्मा को जिम्मेदारी इसीलिए दी गयी है कयोंकि पूर्व में सन 2010 में जब पैथोलॉजी से अलग कर के ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन विभाग की स्थापना की गयी थी, उस समय भी नये विभाग ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन की जिम्मेदारी डॉ नरसिंह वर्मा को ही अतिरिक्त प्रभार के रूप में दी गयी थी। चार साल बाद हेड डॉ तूलिका चन्द्रा को बनाया गया। ऐसे में उनके मूल विभाग फीजियोलॉजी विभाग के साथ फैमिली मेडिसिन विभाग के स्थापना की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी प्रो वर्मा को सौंपी गयी है। प्रो वर्मा ने भी कहा कि वे इस नये फैमिली मेडिसिन विभाग के शुरू होने के बाद इसके अबाध संचालन की स्थिति होने पर वापस अपने मूल विभाग फीजियोलॉजी में ही रहेंगे। आज के कार्यक्रम का संचालन भी विभागाध्यक्ष फैमिली मेडिसिन एवं अधिष्ठाता छात्र कल्याण, प्रोफेसर नरसिंह वर्मा ने ही किया। की। इस अवसर पर चिकित्सा विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं चिकित्सक भारी संख्या में उपस्थित रहे।