-इतना हल्के में भी न लें कोरोना को, कि भारी पड़ जाये
आजकल शादी-विवाह का सीजन चल रहा है, कोरोना काल के बीच में शादी एक बड़ी जंग जीतने जैसा है, हालांकि बीते मार्च माह से दिसम्बर के बीच लगभग न के बराबर शादियां हुईं क्योंकि इसके लिए सरकार की ओर से लोगों को शामिल होने संबंधी अनुमति काफी कम संख्या में थी। इधर नवम्बर के आखिरी सप्ताह से सरकार ने कुछ शर्तों के साथ शादी की गाइडलाइन्स जारी की हैं, इनमें कुछ तो ऐसे हैं जो इन शर्तों का पालन करते हुए संक्रमण को ध्यान में रखकर कार्यक्रम सम्पन्न कर रहे हैं लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं जो इसे हवा में उड़ा रहे हैं। मध्य प्रदेश के मुरैना जनपद के अम्बाह में अम्बाह पीजी कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी की असिस्टेंट प्रोफेसर लक्ष्मी सैनी ने इन शादियों को लेकर माइक्रो ऑब्जर्वेशन किया, जिसे उन्हीं के शब्दों में प्रस्तुत किया जा रहा है।
विवाह अथवा शादी मानव समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण तथा यह समाजशास्त्रीय संस्था है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई- परिवार का मूल है। विवाह के समारोह को विवाह उत्सव कहते हैं।
जब बात उत्सव की हो तो इसका अर्थ ‘लोगों के जमावड़े’ से होता है। वैसे विवाह हम सबके लिए हर्ष – उल्लास, नये रिश्तों का बनना और एक – दूसरे से मिलने का अवसर और उत्सव होता है। किंतु वर्तमान का समय कोरोना संकट का है, जिससे हमने अभी निजात नहीं पाई है। कोरोना की वजह से देश में संक्रमितों की संख्या पहले से भी तेज बढ़ती जा रही है। बस हमारी सरकार, हमारे रक्षक और हम इस से लड़ना सीख गए हैं।
हालांकि कोरोना की रिकवरी रेट भी 94% बढ़ गई है। परंतु इसका अर्थ यह बिल्कुल ही है कि हमको कोरोना को बहुत ही सामान्य तरीके से लें। भारत देश में ही नहीं बल्कि विश्व के हर हिस्से, हर स्थान पर विवाह को बड़ी ही धूमधाम से किया जाता है। लेकिन कोरोना काल में हम विवाह को पहले ही जैसे और बिना सावधानियों के करते हैं, तो यह हम सब के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होगा तथा कोरोना का संक्रमण फैलने का बड़ा स्रोत बन जाएगा। शादी जैसे उत्सव पर लोगों द्वारा कई प्रकार की लापरवाही बरती जाती हैं, जैसे विवाह में सभी लोगों का एकत्रित होना। अलग-अलग जगहों से आना और आने के दौरान यात्रा में भी संक्रमण का खतरा। खाने – पीने, रहन-सहन आदि का कोई ख्याल नहीं रखा जाता। यहां तक की शादी में खाना बनाने वाले हलवाई ,खाना परोसने वाले आदिभी सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करते।
जब विवाह का सीजन आता है,तो बाजारों में भी भीड़ उमड़ने लगती है यह सब लापरवाही कोरोना के संकट के समय वर्तमान में देखने में आ रही है। विवाह के लिए सरकार द्वारा कुछ नियम बनाए गए हैं जैसे-व्यक्तियों की सीमित संख्या, शराब – सिगरेट आदि पर पूरी तरह से पाबंदी आदि। किंतु उन नियमों का पालन ठीक तरह से नहीं हो रहा है, जबकि कुछ लोगों द्वारा नियमों को अपनाकर विवाह संपन्न भी हुए हैं। कुछ समझदार लोगों ने अपने विवाह रद भी किया है, किंतु कुछ लोगों की नासमझी के कारण उनके द्वारा बरती जाने वाली लापरवाही भी सामने आ रही हैं, जैसे- लोग विवाह में अब मास्क का प्रयोग नहीं करते, सैनिटाइजर का उपयोग कम करने लगे हैं और सोशल डिस्टेंस तो भूल ही गए हैं। दुकानों पर भीड़ विवाह संबंधी सामग्री खरीदने के लिए भीड़ लगने लगी है ।
यात्रा के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में संक्रमण का खतरा रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह देखने में आ रहा है कि, कुछ अशिक्षित ही नहीं बल्कि शिक्षिक भी इस बात को बहुत सामान्य ढंग से ले रहे हैं। यहां तक कि कुछ जगहों पर तो विवाह के दौरान यह देखने में आ रहा है कि लोग पूर्वानुसार ही विवाह को संपन्न किए जा रहे हैं। किसी भी प्रकार की कोई सावधानी नहीं बरत रहे। बाहर से मेहमानों का आना, घर में रहना, शादी की रस्में खाना-पीना, खरीदारी आदि में किसी भी प्रकार की कोई भी सावधानी नहीं बरती जा रही है। सब लोग यह भूल गए हैं कि अभी हमारा वह वक्त निकला भी नहीं है, जहां कैसे हमने अपने ही घरों में बंद रहे। गरीब और मजदूर वर्ग खाने तक के लिए कितना परेशान हुआ। बाहर काम करने वाले लोग बाहर नहीं जा पा रहे थे।
अतः सभी को उस वक्त को याद कर कोरोना संक्रमण की गंभीरता को समझते हुए शादी-विवाह जैसे हर्षोल्लास के अवसर को कोरोना संक्रमण की वजह न बनाएं। विवाह आवश्यक है हम सब जानते हैं, लेकिन हमारे अपनों और दूसरों के लिए यह आवश्यक है कि विवाह को सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के दायरे में रहकर संपन्न कराया जाए, जिससे हम, हमारा परिवार, हमारा समाज और हमारा देश सुरक्षित रहे।