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होम्योपैथिक इलाज में एक और मील का पत्थर : सिर्फ चार माह में बच्ची के पित्ताशय की थैली में पथरी गायब

-जीसीसीएचआर में वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ हुआ इलाज प्रतिष्ठित Peer Reviewed Journal में प्रकाशित

-15 माह तक विभिन्न कसौटियों पर परखने के बाद सीसीआरएच ने किया प्रकाशित

17 मार्च 2022 की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट (बाएं) जिसमें पथरी के टुकड़े दिख रहे हैं और दाहिनी तरफ 27 सितंबर, 2022 की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट जिसमें पथरी गायब हो चुकी है

सेहत टाइम्स

लखनऊ। तीन वर्षीय बच्ची के पित्त की थैली में पथरी (paediatric cholelithiasis) को होम्योपैथिक दवाओं से मात्र चार माह में गलाने में सफलता मिली है। वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च, लखनऊ (जीसीसीएचआर) में हुए इस सफल इलाज को सेंट्रल काउन्सिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (सीसीआरएच) द्वारा 15 माह तक विभिन्न कसौटियों पर कसने के बाद अपने प्रतिष्ठित जर्नल इंडियन जर्नल ऑफ़ रिसर्च इन होम्योपैथी Indian Journal of Research in Homoeopathy (IJRH) के वॉल्यूम 18 इशू 1 (2024 ) में प्रकाशित किया गया है। जीसीसीएचआर के चीफ कंसल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता ने यह केस 7 दिसम्बर 2022 को IJRH को प्रकाशन के लिए भेजा था, पित्त की थैली में पथरी के सफल होम्योपैथिक उपचार का संभवतः यह पहला केस है जिसे प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि तीन वर्षीय बच्ची को उसके माता-पिता उनके पास पहली बार 27 मई 2022 को लाये थे। फरवरी 2022 से बच्ची को मतली और उल्टी के साथ बार-बार पेट में दर्द की शिकायत थी। विशेष कर खाना खाने के बाद उसे यह शिकायत होती थी। जब उसे संजय गांधी पीजीआई में दिखाया गया तो 17 मार्च 2022 को हुई जांच में पित्ताशय में एक से ज्यादा पथरी होने का पता चला। पीजीआई में शल्य चिकित्सकों ने माता-पिता को कुछ समय इंतजार करने की सलाह दी। इसके बाद बच्ची के माता-पिता को उनके किसी परिचित ने डॉ गिरीश गुप्ता को दिखाने की सलाह दी। माता-पिता ने होम्योपैथिक उपचार की इच्छा जताते हुए डॉ गुप्ता से संपर्क किया। डॉ गिरीश ने बताया कि उपचार की प्रक्रिया के तहत सर्वप्रथम बच्ची के लक्षणों, उसकी आदतों, उसके व्यवहार, उसकी पसंद-नापसंद के बारे में जानकारी ली गई।

बच्ची के स्वभाव में जिद, बेचैनी थी, उसे नाखून चबाने की आदत थी, वह अकेले में रहने से डरती थी और सोते समय चौंक जाती थी। उसके सिर पर पसीना आता था। जब उसके खान-पान के बारे में पूछा गया तो पता चला कि वह अक्सर डिब्बा बंद चिप्स, मसालेदार भोजन करती थी। उसे बर्फ खाना, बर्फीला ठंडा पानी पीना पसंद था। डॉ गिरीश ने बताया कि लक्षणों के अनुसार दवा का चुनाव किया गया और उसे चार हफ्ते की दवा दी गई इसके बाद जब बच्ची को 4 जुलाई 2022 को लेकर उसके माता-पिता आए तो उन्होंने बताया कि उसके पेट दर्द, मतली, नाखून चबाने की आदत, अकेले में रहने का डर आदि सभी परेशानियों में कमी दिखाई दी। इसके पश्चात उसे फिर चार हफ्ते की दवा दे दी गई और जब 16 अगस्त को आयी तो इन लक्षणों में और ज्यादा कमी पायी गयी। इसके पश्चात 27 सितंबर को जब बच्ची के पेट की अल्ट्रासोनोग्राफी कराई गई तो उसकी पथरी गायब हो चुकी थी। पित्ताशय का आकार भी सामान्य हो गया था।

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