-पुस्तक एक्सपेरिमेंटल होम्योपैथी पर देश-विदेश के नामी होम्योपैथिक विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाओं का दौर जारी
सेहत टाइम्स
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के संस्थापक डॉ गिरीश गुप्ता आज होम्योपैथी की दुनिया में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, देश-विदेश में उनकी उपलब्धियों के चर्चे हो रहे हैं, यह हम नहीं कह रहे हैं, ये कह रही हैं देश-विदेश की नामी-गिरामी हस्तियां, जिनमें होम्योपैथी ही नहीं आधुनिक चिकित्सा पद्धति यानी एलोपैथी जगत के बड़े नाम भी शामिल हैं। इन सभी ने अपने विचार डॉ गुप्ता की पुस्तक एक्सपेरिमेंटल होम्योपैथी Experimental Homoeopathy की समीक्षा करने के बाद प्रकट किये हैं। पुस्तक पर प्रतिक्रियाओं का दौर लगातार जारी है। जैसा कि नाम से ही बोध होता है, इस पुस्तक में डॉ गुप्ता ने एक्सपेरिमेंट के साथ (क्लीनिकल शोधों के अतिरिक्त) किये गये अपने शोधों की विस्तृत जानकारी दी है।
पुस्तक पर प्रतिक्रिया देने वालों में सतारा (महाराष्ट्र) के इंटरनेशनल स्पीकर डॉ अजीत कुलकर्णी, इंटरनेशनल स्पीकर डॉ सैयद तनवीर हुसैन, बंग्लुरु में तीन होम्योपैथिक कॉलेजों के प्रिंसिपल डॉ बीडी पटेल, अमेरिका की कविता होलिस्टिक एप्रोच की संस्थापक डॉ कविता कुकुनूर, होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के भूतपूर्व अध्यक्ष डॉ भास्कर भट्ट, जयपुर के होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के भूतपूर्व प्रिंसिपल डॉ जेडी दरयानी, लखनऊ स्थित नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की भूतपूर्व प्रोफेसर डॉ रेनू महेन्द्र, डॉ विलमार स्वाबे इंडिया के रिसर्च ऑफीसर डॉ वालावन तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी कोलकाता के भूतपूर्व निदेशक व भारत सरकार के भूतपूर्व एडवाइजर प्रो ईश्वरा दास, सीसीआरएच के पूर्व महानिदेशक डॉ चतुर्भुज नायक जैसी होम्योपैथिक जगत की नामी हस्तियां शामिल हैं।
सिर्फ होम्योपैथी ही नहीं, डॉ गुप्ता की पुस्तक की तारीफ करने वालों में एलोपैथी क्षेत्र का एक बड़ा नाम डॉ सूर्यकांत का भी शामिल है, डॉ सूर्यकांत किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं तथा राष्ट्रीय स्तर के अनेक संस्थानों से जुड़े हैं, डॉ सूर्यकांत जो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आईएमए-एएमएस के वाइस चेयरमैन भी हैं, उन्होंने एक लेख लिखा है, जिसमें उनके साथ ही डॉ गिरीश गुप्ता सहलेखक हैं, यह लेख आईएमए के जर्नल में जून 2022 के अंक में छपा है।
डॉ गुप्ता की किताब की प्रशंसा करने वालों में एक और एलोपैथिक चिकित्सक हावड़ा के मेयर रह चुके डॉ राथिन चक्रवर्ती भी शामिल हैं, जिन्होंने एमबीबीएस एमडी की डिग्री ली लेकिन बाद में यह होम्योपैथिक की तरफ कन्वर्टेड हो गये। इसी प्रकार होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज पालघर के चेयरमैन डॉ कुमार धावले ने पुस्तक की प्रशंसा की है, आपको बता दें कि डॉ धावले ने एमबीबीएस, एमडी साइक्रियाट्री की डिग्री ली है, बाद में इनका रुझान होम्योपैथिक की तरफ हो गया।
आपको बता दें कि होम्योपैथी की विश्वसनीयता पर उंगली उठाने वालों को होम्योपैथिक दवाओं के कारगर होने के वैज्ञानिक सबूत दिखाने के लिए रिसर्च को अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य बनाने वाले डॉ गिरीश गुप्ता की साधना का निचोड़ है उनकी लिखी पुस्तक एक्सपेरिमेंटल होम्योपैथी Experimental Homoeopathy । इस पुस्तक में जिन 16 शोधों का जिक्र है, उनमें 6 एंटी वायरस रोगों और सात एंटी फंगल रोगों के साथ ही 3 ऐेसे शोध शामिल हैं जो यह साबित करते हैं कि होम्योपैथिक दवाओं की प्रभावकारिता पर निषिद्ध खाद्य पदार्थों, पेय पदार्थों और कुछ एलोपैथिक दवाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। ये सभी 16 रिसर्च केंद्र सरकार की एनबीआरआई, सीडीआरआई जैसे संस्थानों की लैब और वहां के वैज्ञानिकों की देखरेख में की गयी हैं। डॉ गुप्ता की इस पुस्तक का विमोचन केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नयी दिल्ली में आयोजित एक सरकारी समारोह में राज्यमंत्री आयुष मंत्रालय डॉ मंजू पारा महेन्द्र भाई की उपस्थिति में 9 अप्रैल 2022 को किया था।