किडनी सम्बन्धी रोगों के बारे में जानकारी दी मेदान्ता हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने
लखनऊ। किडनी से सम्बन्धित बीमारियों का खतरा हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह के रोगियों को ज्यादा रहता है, इसलिए ब्लड प्रेशर 120-80 और शुगर के रोगी शुगर को नियंत्रण में रखेंगे तो लम्बे समय तक किडनी की बीमारियों से बच सकते हैं। शुगर के नियंत्रण के लिए सबसे अच्छा है Hb A1C टेस्ट जो कि तीन माह के शुगर का लेवल बताता है, कराना चाहिये और अच्छा नियंत्रण तभी माना जाता है जब आप इसे 6-7 फीसदी से ज्यादा न होने दें।
यह जानकारी मेदांता किडनी एवं यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट के ग्रुप चेयरमैन डॉ राजेश अहलावत और चेयरमैन डॉ विजय खेर ने यहां होटल क्लार्क्स अवध में आयोजित एक प्रेसवार्ता में दी। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में किडनी के रोगी बढ़ रहे हैं, इसकी मुख्य वजह अनियमित जीवनशैली है। उन्होंने बताया कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को माइक्रो एल्बुमिन की जांच भी करा लेनी चाहिये इस जांच में मूत्र में एल्बुमिन के महीन कण आने के बारे में पता चल जाता है। ऐसी शिकायत होने पर समय रहते इलाज किया जा सकता है जिससे किडनी को खतरा नहीं होता है।
उन्होंने बताया कि डायबिटीज के सभी मरीजों को किडनी खराब होने का खतरा नहीं रहता है, 30 से 40 प्रतिशत लोगों में यह खतरा पाया गया है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि अब भारत में ऐसी दवायें और किडनी प्रत्यारोपण की अच्छी विधियां मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि अब किडनी ट्रांसप्लांट में ब्लड ग्रुप का मैच होना आवश्यक नहीं है।
चिकित्सकों ने बताया कि किडनी जैसे अंग का प्रत्यारोपण आसान और ज्यादा लोगों को उपलब्ध हो सके इसके लिए लोगों को किडनी दान के लिए आगे आना चाहिये। उन्होंने स्पष्ट बताया कि जिन लोगों की मौत हो जाती है, उनकी किडनी अगर दो लोगों को जीवन दे सकती है तो ऐसा करने के लिए लोगों को आगे आना चाहिये।
किडनी की बीमारी के बढ़ने की स्थिति में किडनी फेल्योर के रोगियों के लक्षणों की बात करें तो ऐसे रोगियों के शरीर में सूजन, पेशाब की मात्रा में कमी होना, पेशाब में प्रोटीन या खून का आना, जलन होना, पेशाब बार-बार आना, शरीर में रक्त की कमी होना और ब्लड प्रेशर का बढ़ा होना है।
एकसाथ खराब होती हैं दोनों किडनी
आपको बता दें कि लोगों में यह भ्रांति है कि एक समय में एक किडनी काम करती है, तथा उसके खराब होने पर दूसरी अपने आप कार्य करने लगती है, यानी पहले एक किडनी खराब होती है फिर दूसरी खराब होती है, तो ऐसी स्थिति में पहली किडनी के खराब होते ही व्यक्ति सचेत हो जाये, इस प्रश्न के उत्तर में डॉ राजेश अहलावत और डॉ विजय खेर ने ‘सेहत टाइम्स’ से बात करते समय बताया कि ऐसा नहीं है, दोनों ही किडनी एक साथ काम करती हैं और इसी प्रकार दोनों ही किडनी पर एक साथ नुकसान होता है। देखें वीडियो क्या कहा चिकित्सकों ने-