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डॉक्‍टर की कलम से : संक्रमित पानी से भी हो सकते हैं दस्‍त, जानिये क्‍या करें

 

दस्‍त यूं तो बहुत आम बीमारी है लेकिन अगर ज्‍यादा हों तो शरीर में पानी की कमी के साथ ही अन्‍य आवश्‍यक तत्‍वों का ह्रास करते हैं। समय-समय पर अनेक विषयों पर लेख लिखने वाले वरिष्‍ठ होम्‍योपैथ चिकित्‍सक डॉ अनुरुद्ध वर्मा यहां बता रहे हैं दस्‍त से बचने के उपाय तथा अगर दस्‍त हो रहे हों तो क्‍या करें-

 

डॉ अनुरुद्ध वर्मा

जल ही जीवन है। बिना जल के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है और जब यही जल प्रदूषित हो जाये तो अनेक जानलेवा बीमारियों का कारण बन जाता है। प्रदूषित और संक्रमित जल के कारण होने वाली बीमारियों में प्रमुख हैं दस्त की शिकायत। दस्त या डायरिया की गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख बच्चे दस्त के कारण असमय मौत का शिकार हो जाते हैं। बच्चों के साथ-साथ दस्त किसी को भी हो सकता है परन्तु यह बच्चों में ज्यादा घातक होता है। कुछ सावधानियाँ अपना कर इससे बचा जा सकता है।

 

क्यों होती है दस्त की शिकायत-

दस्त की शिकायत प्रदूषित जल, गन्दगी, खानपान की गड़बड़ी, संक्रमित भोजन में पाये जाने वाले बैक्टीरिया एवं वाइरस के कारण होती है।

क्या है दस्त के लक्षण-

  •      बार-बार पानी जैसा पाखाना
  •      अत्याधिक प्यास
  •      शरीर में कमजोरी एवं अकड़न
  •      सुस्ती
  •     चक्कर आना
  •     कभी-कभी बुखार हो जाना
  •     शरीर में पानी की कमी के कारण झुर्रिया

 

इसके अतिरिक्त लम्बे समय तक दस्त होने के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है इसके साथ ही यदि दस्त के साथ खून आये, रोगी को मूर्छा महसूस हो, बेहोशी लगे तो सावधान हो जाना चाहिए, यह स्थिति गम्भीर हो सकती है। शरीर में यदि पानी की अत्याधिक कमी हो जाये तो तत्काल चिकित्सालय में चिकित्सक से सम्पर्क करें।

कैसे बचें दस्त से-

  •      दस्त से बचने के लिए हमेशा साफ पानी पीना चाहिए।
  •      हाथों एवं व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  •     हमेशा गर्म भोजन करना चाहिए, बासी भोजन नहीं करना चाहिए।
  •     बाजार में बिक रहे कटे एवं खुले फल एवं चाट-पकौड़ी एवं फलों के रस आदि नहीं खाने-पीने चाहिए।
  •     जहाँ तक संभव हो तेज धूप से बचाव करना चाहिए।

 

कैसे करे दस्त का उपचार-

  •     दस्त प्रारम्भ होते ही ओ0आर0एस0 का घोल पीना प्रारम्भ कर देना चाहिए, इसके अतिरिक्त खाने में हल्की दाल, छाछ, नारियल का पानी, शिकंजी, नींबू पानी आदि लेते रहना चाहिए तथा आराम करना चाहिए।
  •     जब दस्त हो रहे हो तो शक्कर का शर्बत, कोल्डड्रिक, तली भुनी चीजें, गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए।

 

दस्त का होम्योपैथिक उपचार- दस्त का होम्योपैथिक दवाइयों द्वारा उपचार पूरी तरह सम्भव है।

  •      दस्त के दौरान यदि बहुत प्यास लगे तो आर्सेनिक-30 औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
  •      यदि जरा सा भी खाने से दस्त हो तो चायना-30 लेना चाहिए।
  •     यदि दस्त के साथ ज्यादा उल्टी एवं मिचली हो तो इपिकाक-30 लेनी चाहिए।
  •      यदि कुछ खाते ही दस्त होने लगे तो फास्फोरस-30 में लेना चाहिए।
  •     यदि दस्त के साथ उल्टी तथा माथे पर अत्याधिक पसीना आता है तो वेरेट्रम अल्बम-30 में लेना चाहिए।
  •     यदि अत्याधिक मात्रा में एवं कई बार दस्त हो तो पोडोफाइलम-30 में लेना चाहिए।

इसके अतिरिक्त मर्कसाल, एलोज, कैमोमिला, सिना, पल्साटिला, एसिडफास, चायना, नक्सवोमिका आदि दवाइयों का प्रयोग किया जा सकता है परन्तु ध्यान रहे यह होम्योपैथिक औषधियाँ चिकित्सक की सलाह से ही लेना चाहिए।

 

 

 

 

 

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