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स्यूडोएन्यूरिज़्म फटने से लगभग निश्चित मृत्यु को जीवन में बदला केजीएमयू की सर्जरी टीम ने

-25 वर्षीय युवक की दूसरे संस्थान में हुई गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद पैदा हुई थी यह घातक जटिलता

सेहत टाइम्स

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ ने एक युवा मरीज की जान बचाकर चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया। मरीज को बाहर किसी अन्य संस्थान में कराई गई गॉलब्लैडर सर्जरी के बाद एक अत्यंत दुर्लभ और घातक जटिलता—सिस्टिक आर्टरी स्टंप स्यूडोएन्यूरिज़्म का फटना—हुआ, जिससे भारी आंतरिक रक्तस्राव हो गया था। केजीएमयू पहुंचे इस मरीज को हो रहे रक्तस्राव को बंद करने में कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरते हुए की गयी लम्बी कवायद में चिकित्सकों की त्वरित निर्णय-क्षमता, तकनीकी दक्षता और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की प्रतिबद्धता के कारण, लगभग निश्चित मृत्यु को जीवन में बदला जा सका।

25 वर्षीय युवक को 8 नवंबर 2025 को आपातकालीन विभाग में सर्जरी विभाग की प्रोफेसर (Jr.) डॉ. सौम्या सिंह की देखरेख में भर्ती किया गया। उसे पिछले दो दिनों से दाहिने ऊपरी पेट में तेज दर्द, बुखार और लगातार उल्टियाँ हो रही थीं। उसने 26 अक्टूबर 2025 को किसी अन्य अस्पताल में पथरी के कारण लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी कराई थी। अस्पताल पहुँचने पर मरीज की हालत अत्यंत गंभीर थी। वह अत्यधिक पीला, थका हुआ और शॉक की स्थिति में था, जो निरंतर आंतरिक रक्तस्राव का स्पष्ट संकेत था।

डॉ सौम्या ने बताया कि मरीज को तुरंत इंट्रावीनस फ्लूइड्स और रक्त चढ़ाकर पुनर्जीवित किया गया। बावजूद इसके, उसकी स्थिति बिगड़ती चली गई और हीमोग्लोबिन गिरकर 5.2 ग्राम/डेसीलीटर तक पहुँच गया। तत्काल मैसिव ट्रांसफ्यूजन प्रोटोकॉल शुरू किया गया। हालाँकि सीटी एंजियोग्राफी की योजना थी, लेकिन लगातार रक्तस्राव और अस्थिर रक्तचाप के कारण 15 नवंबर 2025 को आपातकालीन एक्सप्लोरेटरी लैप्रोटॉमी करनी पड़ी। सर्जरी के दौरान पेट के विभिन्न हिस्सों से लगभग एक लीटर रक्त और थक्के निकाले गए, जिससे गंभीर रक्तस्राव की पुष्टि हुई।

उन्होंने बताया कि पोस्ट-ऑपरेटिव अवधि में मरीज में पुनः अचानक ताज़ा और अत्यधिक रक्तस्राव शुरू हो गया। तत्काल कराई गई आपातकालीन सीटी एंजियोग्राफीमें असली कारण सामने आया—फटा हुआ सिस्टिक आर्टरी स्टंप स्यूडोएन्यूरिज़्म, जो गॉलब्लैडर सर्जरी के बाद एक अत्यंत दुर्लभ वैस्कुलर जटिलता है।

कुछ ही घंटों के भीतर, प्रो. मनोज कुमार के मार्गदर्शन में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी टीम ने सुपर-सिलेक्टिव कॉइल एम्बोलाइज़ेशन किया, जिससे लिवर की रक्त आपूर्ति को सुरक्षित रखते हुए रक्तस्राव को पूरी तरह बंद कर दिया गया। इसके बाद मरीज की हालत स्थिर हो गई। लगभग चार सप्ताह से अधिक अस्पताल में रहने के बाद मरीज को 23 दिसंबर 2025 को स्वस्थ अवस्था में छुट्टी दे दी गई। डॉ सौम्या ने बताया कि यह जीवन-रक्षक सफलता विभिन्न विभागों के उत्कृष्ट और समन्वित प्रयासों का परिणाम थी।

डॉ सौम्या ने बताया कि सिस्टिक आर्टरी एन्यूरिज़्म अथवा स्यूडोएन्यूरिज़्म का फटना हेपेटोबिलियरी सर्जरी की सबसे दुर्लभ जटिलताओं में से एक है। विश्व-भर में पिछले कई दशकों में इसके केवल 60–70 मामले ही रिपोर्ट किए गए हैं। दुनिया भर में हर वर्ष लाखों की संख्या में पित्ताशय (गॉलब्लैडर) की सर्जरी (कोलेसिस्टेक्टॉमी) की जाती हैं, तो इसकी अनुमानित घटना दर 0.01% से भी कम—अर्थात् कई लाख सर्जरी में एक मामला—मानी जाती है।

इस दुर्लभ स्थिति में भी फटना (rupture) और भी अधिक गंभीर और जानलेवा होता है, क्योंकि इससे भारी आंतरिक रक्तस्राव (हेमोपेरिटोनियम या हेमोबिलिया), हेमरेजिक शॉक, विलंबित एवं असामान्य लक्षण, तथा प्रारंभिक स्तर पर निदान चूक जाने की संभावना रहती है। ऐसे मामलों में सीटी एंजियोग्राफी निर्णायक जांच है, और समय रहते किया गया एंडोवैस्कुलर एम्बोलाइज़ेशन जीवनरक्षक उपचार सिद्ध होता है।

सर्जरी में शामिल रहे चिकित्सक

आपातकालीन सर्जरी टीम, प्रोफेसर (Jr.) डॉ. सौम्या सिंह के नेतृत्व में, टीम सदस्य डॉ विजय (SR) ,डॉ. नासिर, डॉ. साइमन, डॉ तौक़ीर, डॉ गरिमा, डॉ. प्रतीक और डॉ. साइमा, यूनिट इंचार्ज प्रो. जे.के. कुशवाहा

• इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी टीम, प्रो. मनोज कुमार के नेतृत्व में
• एनेस्थीसिया एवं क्रिटिकल केयर सेवाएँ, (ऑन-कॉल) डॉ. बृजेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में
• ब्लड बैंक सेवाएँ, जिनके माध्यम से कुल 10 यूनिट पीआरबीसी और 30 यूनिट एफएफपी उपलब्ध कराई गईं

आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले इस मरीज का यह जटिल और अत्याधुनिक उपचार मात्र ₹5,000–₹10,000 की लागत में संभव हो सका।

ध्यान रखने योग्य बातें

• किसी भी सर्जरी के बाद दर्द, रक्तस्राव, कमजोरी या बुखार को नज़रअंदाज़ न करें
• जटिलता की स्थिति में तृतीयक चिकित्सा केंद्र में शीघ्र रेफरल में देरी न करें
• याद रखें, समय पर विशेषज्ञ उपचार जीवन रक्षक हो सकता है, भले ही स्थिति कितनी भी दुर्लभ या गंभीर क्यों न हो।

 

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