-चेयरमैन डॉ गिरीश गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित हुई विशेष बैठक
सेहत टाइम्स
लखनऊ। गवर्नमेंट नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (NHMC), लखनऊ में स्नातकोत्तर छात्रों के अनुसंधान कार्य के विषयों की स्वीकृति प्रदान करने के उद्देश्य से एथिकल कमेटी की विशेष बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता समिति के चेयरमैन डॉ. गिरीश गुप्ता ने की।
बैठक से पूर्व डॉ. गिरीश गुप्ता, जो कि गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च कपूरथला अलीगंज में चीफ कन्सल्टेंट हैं, ने महाविद्यालय का निरीक्षण किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से महाविद्यालय में रोगियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ओपीडी और आईपीडी दोनों में मरीजों की संख्या बढ़ी है और कॉलेज में डेंटल, नेत्र, फिजियोथेरेपी, डाइटिशियन, एक्स-रे, पैथोलॉजी, ईसीजी जैसी सुविधाएँ मरीजों के भरोसे को और मजबूत कर रही हैं। उन्होंने गर्वपूर्वक कहा कि मैं स्वयं भी इसी कॉलेज का विद्यार्थी रहा हूँ और यह देखकर अत्यंत संतोष होता है कि संस्थान निरंतर नई ऊँचाइयों को छू रहा है। प्राचार्य प्रो. (डॉ.) विजय कुमार पुष्कर शासन-प्रशासन की मंशा के अनुरूप महाविद्यालय का विकास कर रहे हैं।
इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. (डॉ.) विजय कुमार पुष्कर ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि अनुसंधान की गुणवता और नैतिक मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता ही संस्थान की पहचान है। यह संस्थान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र “दयालु” की मंशा के अनुरूप निरंतर प्रगति कर रहा है। हमारा संकल्प है कि नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज को शोध, अकादमिक गतिविधियों और रोगी सेवा के क्षेत्र में देश का अग्रणी संस्थान बनाया जाए।
वरिष्ठ सदस्य डॉ. रेनू महेन्द्रा ने कहा कि प्राचार्य प्रो. (डॉ.) विजय कुमार पुष्कर के नेतृत्व में शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। महाविद्यालय निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर है और यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि निकट भविष्य में यह संस्थान देश के सर्वश्रेष्ठ अकादमिक, शोध एवं चिकित्सा केंद्रों में गिना जाएगा।
केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के अवकाशप्राप्त वैज्ञानिक डॉ. ए. के. गुप्ता ने शोध पद्धति की वैज्ञानिकता और प्रोटोकॉल की सटीकता पर बल दिया। प्रो. (डॉ.) दिलीप कुमार सोनकर ने छात्रों को रिसर्च एथिक्स के अंतरराष्ट्रीय मानकों से अवगत कराने की आवश्यकता पर बल दिया। बैठक में विभिन्न गाइड्स के निर्देशन में कार्य कर रहे छात्रों के कई शोध विषयों को स्वीकृति प्रदान की गई। इसी क्रम में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रो. (डॉ.) विश्वजीत गुप्ता के निर्देशन में शोधरत छात्रा डॉ. अर्शी खान का विषय “यूटिलिटी ऑफ़ इंडिविजुअलाइज्ड होम्योपैथिक मेडिसिन इन द मैनेजमेंट ऑफ डिप्रेशन एसोसिएटेड विद हाइपोथाइरॉएडिज्म” भी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया।
इस अवसर पर समिति की सदस्य डॉ. लिपिपुष्पा देबता एवं प्रो. (डॉ.) नीलम शुक्ला ने कहा कि शोध कार्य में पारदर्शिता और निष्पक्षता ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी है। यदि शोधार्थी पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करें तो उनका कार्य न केवल शैक्षणिक स्तर पर बल्कि समाज के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा।
डॉ. तृ्प्ति गुप्ता ने शोधार्थियों को आगे की कार्ययोजना संबंधी दिशा-निर्देश दिए। समाजसेवी जी.पी. चौधरी एवं सुनील यादव ने कहा कि अनुसंधान को तभी सार्थक माना जा सकता है जब उसका लाभ समाज की जमीनी आवश्यकताओं तक पहुँचे। चिकित्सा अनुसंधान का अंतिम लक्ष्य सेवा ही है। कानूनी विशेषज्ञ आर. आर. जैसवार ने सूचित सहमति (Informed Consent) की प्रक्रिया और उसके कानूनी को विस्तार पर जानकारी दी। पत्रकार अमित यादव ने कहा कि अनुसंधान में पारदर्शिता और जवाबदेही से ही जनता का विश्वास बढ़ेगा। मीडिया का दायित्व है कि समाज को सच्ची और वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
बैठक में समिति के अन्य सदस्य डॉ. जे.पी. सिंह सेवानिवृत्त सीनियर साइंटिस्ट सेंट्रल काउंसिल ऑफ रिसर्च इन होम्योपैथी लखनऊ, भारत सरकार, डॉ. रत्नेश कुमार प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक, डॉ. वी. प्रसाद सेवानिवृत्त पूर्व निदेशक होम्योपैथी उत्तरप्रदेश, डॉ नूतन शर्मा पीजी कोऑर्डिनेटर एवं कृष्ण कुमार तिवारी ने भी अपने विचार रखे।
अंत में समिति के सदस्य सचिव प्रो. (डॉ.) विजय कुमार पुष्कर ने सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया और यह विश्वास जताया कि छात्रों का यह शोध कार्य आने वाले समय में चिकित्सा जगत और समाज दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।


