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एसजीपीजीआई में सिखायी गयी, एनआईसीयू में कैसे करें एडवांस क्रिटिकल केयर मॉनीटरिंग

-आईएपी नियोकॉन 2025 के मौके पर सम्मेलन पूर्व कार्यशाला आयोजित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। एस जी पी जी आई के नियोनेटोलॉजी विभाग द्वारा आईएपी नियोनेटोलॉजी चैप्टर के सहयोग से, आईएपी नियोनेटोलॉजी चैप्टर के 16वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन (आईएपी नियोकॉन 2025) के एक भाग के रूप में आज 22 अगस्त को डी.के. छाबड़ा सभागार में एनआईसीयू में उन्नत क्रिटिकल केयर मॉनिटरिंग पर एक सम्मेलन-पूर्व कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

इस व्यावहारिक कार्यशाला में बालरोग विशेषज्ञों, नियोनेटोलॉजिस्ट और इंटेंसिविस्ट को नवजात शिशु की क्रिटिकल केयर में अत्याधुनिक निगरानी तकनीकों और इसमें हुई प्रगति का व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया गया।

प्रतिष्ठित संकाय सदस्यों में अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. धर्मेश शाह (सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया) और डॉ. सनोज अली (सिदरा अस्पताल, दोहा, कतर) राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. किरण मोरे (एमआरआर चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल, ठाणे) और डॉ. कार्तिक नागेश एन (मणिपाल हॉस्पिटल, बेंगलुरु); राज्य समन्वयक डॉ. कीर्ति नारंजे (विभागाध्यक्ष नियोनटोलॉजी, एसजीपीजीआई) और स्थानीय समन्वयक डॉ. अनीता सिंह (नियोनटोलॉजी, एसजीपीजीआई) शामिल थे। डॉ. अनीश पिल्लई, डॉ. कार्तिक बालासुब्रमण्यम, डॉ. हरकीरत कौर, डॉ. श्रेयांश कुलश्रेष्ठ, डॉ. सिद्धार्थ बुद्धवरपु, डॉ. एन. बी. सोनी जैसे प्रख्यात राष्ट्रीय संकाय सदस्य और डॉ. आकांक्षा वर्मा, डॉ. अभिषेक पॉल, डॉ. सुशील कुमार और डॉ. फौज़िया फरहत सहित एसजीपीजीआई के अन्य संकाय सदस्यों ने भी कार्यशाला को सफल और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उद्घाटन समारोह में पद्मश्री प्रो. आर. के. धीमन (निदेशक, एसजीपीजीआई), प्रो. देवेंद्र गुप्ता (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, एसजीपीजीआई), डॉ. संजय निरंजन (आयोजन अध्यक्ष, आईएपी नियोकॉन 2025) और डॉ. रुचिरा गुप्ता (राष्ट्रीय संयुक्त सचिव संपर्क, आईएपी) सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

वैज्ञानिक कार्यक्रम में आवश्यक और उन्नत निगरानी उपकरण शामिल थे, जिनमें आईसीओएन और एनआईआरएस जैसी नॉन इन्वेसिव तकनीकें, पल्स ऑक्सीमेट्री, रक्तचाप, इंट्राक्रेनियल और उदर दबाव की निगरानी शामिल थी। साथ ही न्यूरोक्रिटिकल मॉनिटरिंग, ई-फास्ट, सीटीजी, ट्रांसपोर्ट केयर और मल्टीपैरामीटर मॉनिटरिंग पर व्यावहारिक कार्यस्थान रोटेशन शामिल थे। केस-आधारित चर्चाओं और एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तरी ने सीखने के अनुभव को और भी बेहतर बनाया।

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