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चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में प्रशासनिक पद अब ‘कृपा’ से नहीं वरिष्ठता और योग्यता से मिलेगा

-संकाय के रूप में कार्य करने की सीमा बढ़ाकर की गयी 70 वर्ष

-राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग की 30 जून, 2025 को जारी अधिसूचना में बदले गये हैं कई नियम

सेहत टाइम्स

लखनऊ। चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में अब संकाय के रूप में कार्य करने की सीमा 70 वर्ष कर दी गयी है। इसके साथ ही किसी भी चिकित्सा संस्थान में किसी भी प्रशासनिक पद पर नियुक्ति वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर की जाएगी। प्रशासनिक पद पर उसी की नियुक्ति की जायेगी जिसके पास किसी चिकित्सा संस्थान में कम से कम दस वर्ष का शिक्षण अनुभव, जिसमें से कम से कम पाँच वर्ष का अनुभव, प्रोफेसर के रूप में होगा।

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) द्वारा 30 जून, 2025 को जारी अधिसूचना में कई बदलाव किये गये हैं। इस बदलाव में संकाय के लिए अधिकतम उम्र की सीमा 70 वर्ष किये जाने, किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थान में डीन या निदेशक या प्रिंसिपल या चिकित्सा अधीक्षक के प्रशासनिक पद के लिए योग्यताएं तय करने के साथ ही कुछ और बदलाव भी किये गये हैं। इसके तहत प्रशासनिक पद पर कार्यरत कोई भी चिकित्सा संकाय सदस्य विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्त होने के लिए पात्र नहीं होगा।प्रशासनिक पद से आशय चिकित्सा संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक या डीन या निदेशक या प्राचार्य के पद से है।

चिकित्सा संकाय की परिभाषा में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर या असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल हैं, इसके लिए बैचलर ऑफ मेडिसिन और वैचलर ऑफ सर्जरी की डिग्री तथा अनुसूची की तालिका ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ में निर्दिष्ट उच्च योग्यताएं हों।

“दंत संकाय” की परिभाषा में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर या असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल हैं, जिनके पास बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी की डिग्री तथा विनियम 20 में निर्दिष्ट उच्च योग्यताएं हैं।

गैर-चिकित्सा संकाय” में प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर या सहायक प्रोफेसर शामिल हैं, जिनके पास विनियमन 11 में निर्दिष्ट मास्टर ऑफ साइंस के साथ डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की योग्यता है।

नये नियमों में विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए भी योग्यताएं तय कर दी गयी हैं। अब किसी भी विभाग का विभागाध्यक्ष उसी चिकित्सा संकाय सदस्य को बनाया जायेगा जिसके पास अनुसूची की तालिका क, ख, ग एवं ‘घ में उल्लिखित योग्यताओं के साथ ही उस विषय की स्पेशियलिटी होगी।

एनएमसी ने चिकित्सा संकाय बनने के नियमों में किये बड़े बदलाव

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