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सोशल मीडिया के पब्लिक प्लॅटफॉर्म पर व्यक्तिगत जानकारियां साझा करने का क्या औचित्य ?

-जैसे वाहन चलाते समय रहते हैं अलर्ट, वैसे ही मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए रहें सावधान

-साइबर क्राइम का शिकार होने से बचने के लिए एसपी विजिलेंस ने दीं महत्वपूर्ण जानकारियां

-केजीएमयू के डेंटल संकाय ने Who is responsible for the safety in cyber space विषय पर आयोजित किया जागरूकता कार्यक्रम

सेहत टाइम्स

लखनऊ। जिस प्रकार वाहन चलाते समय आपको क्लच, गीयर, एक्सिलरेटर, ब्रेक का कब, कहां इस्तेमाल करना है, यह जानकारी आपके मन में इतना घर कर जाती है कि बिना समय गंवाए फटाफट उसका प्रयोग कर वाहन चलाते रहते हैं, उसी प्रकार से जो इंटरनेट आज आपकी रोजाना की जिंदगी का अनिवार्य हिस्सा बन गया है, उसके इस्तेमाल के लिए भी आपको अलर्ट रहने की जरूरत है। अगर आप थोड़ा भी अलर्ट है और अपने आसपास की चीजों की जानकारी रखते हैं, तो आप साइबर क्राइम का शिकार होने से बच सकते हैं।

यह बात लखनऊ के एसपी विजिलेंस डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने आज 27 अप्रैल को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के दंत विज्ञान संकाय द्वारा आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन सेल केजीएमयू के सहयोग से यहां नयी बिल्डिंग स्थित सीपी गोविला सभागार में Who is responsible for the safety in cyber space विषय पर आयोजित वार्ता में उपस्थित लोगों को जागरूक करते हुए कही। उन्होंने यह भी साझा किया कि हम इन साइबर अपराधों से खुद को, अपने परिवार के सदस्यों और अपने बच्चों को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षित रहने का सबसे अच्छा तरीका जागरूक रहना और ईमेल, फोन कॉल या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करना है।

उन्होंने बताया कि 60% साइबर क्राइम इंटरनेट के थ्रू होता है इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि हम अपना इंटरनेट सुरक्षित रखें, यदि हम अपनी डिवाइस को सिक्योर रखते हैं तो हम काफी हद तक साइबर क्राइम का शिकार होने से बच सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने ऑफिसेज में जो भी कंप्यूटर इस्तेमाल करते हैं उसमें लगभग सभी में एंटीवायरस इंस्टॉल होता है लेकिन जिस मोबाइल को हम लोग अपने खुद के लिए इस्तेमाल करते हैं, उनमें बमुश्किल दो या चार प्रतिशत में ही एंटीवायरस पड़ा होता है। उन्होंने कहा कि फेसबुक या इसी प्रकार के दूसरे मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी छोटी-छोटी व्यक्तिगत जानकारियां सभी को देखने की अनुमति देते हुए डालना ठीक नहीं है, क्योंकि इससे आपके बारे में पूरी जानकारी क्राइम करने वाले को भी हो जाती है।

उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम में हैकिंग सबसे ज्यादा होने वाला क्राइम है, हैकिंग का अर्थ है कि जब आप अपने डिवाइस को चलाने का अधिकार किसी अनजान को दे दें, हैक का अर्थ यही नहीं है कि दूसरा व्यक्ति आपकी डिवाइस को अपने हाथों से चलाये, हैक का अर्थ यह भी है कि किसी ने आपको फ़ोन किया और अपनी बातों में उलझा कर आपसे अपने मन मुताबिक ऑपरेट करवा लिया। उन्होंने बताया कि किसी साइट पर जाकर अगर आपको कार्य करना है तो किसी अनजान व्यक्ति से प्राप्त लिंक के माध्यम से न जाकर उस विभाग की वेबसाइट ओपन करके सीधे जायें।

उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि हैकर आपकी फोटो को गलत तरीके से दिखाते हुए आपको असहज स्थिति में डालने की कोशिश करता है, तो ऐसे में परेशान होने की, घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि आपको उसका विरोध करने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी तरकीबें मौजूद हैं जिससे आप यह सिद्ध कर सकते हैं कि आपकी फोटो का गलत इस्तेमाल किया गया है। क्राइम करने वाला आपको कार्रवाई का डर दिखाकर अपनी बात मनवाने पर मजबूर करेगा जबकि ऐसे में आपको डरना नहीं चाहिए क्योंकि जो गलत काम आपने नहीं किया है उसके लिए क्या डरना, बल्कि इसका विरोध करिये। उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी आप अपनी आईडी की फोटो कॉपी दें तो उसमें यह मेंशन कर दें कि आप इस कार्य के लिए इस आईडी को दे रहे हैं जिससे उसका दुरुपयोग न हो सके।

प्रस्तुति के बाद एक इंटरैक्टिव प्रश्न-उत्तर सत्र हुआ जिसमें डॉ चतुर्वेदी ने साइबर अपराध, डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर धोखाधड़ी के अन्य रूपों के बारे में प्रश्नों के उत्तर दिए और उन्हें स्पष्ट किया। यह कार्यक्रम पिछले कुछ महीनों में केजीएमयू के संकाय सदस्यों और उनके परिवारों के साथ हुए साइबर धोखाधड़ी के हालिया मामलों को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया था। प्रोफेसर रंजीत पाटिल, डीन फैकल्टी ऑफ डेंटल साइंसेज और डॉ. अपुल गोयल, डीन क्वालिटी एंड प्लानिंग सेल केजीएमयू के सहयोग से कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडोंटिक्स विभाग की अध्यक्ष डॉ प्रोमिला वर्मा की देखरेख में संपन्न इस कार्यक्रम में डॉ. अनीता रानी, ​​डॉ. रिदम और डॉ. रामेश्वरी सिंघल भी मौजूद थे। कार्यक्रम में डेंटल साइंसेज संकाय के 75 से अधिक संकाय सदस्य, निवासी, छात्र और कर्मचारी शामिल हुए और कार्यक्रम से लाभान्वित हुए।

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