-स्वर्ण जडि़त अक्षरों वाली पांच करोड़ की राम चरित मानस अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में करेंगे अर्पित

सेहत टाइम्स
लखनऊ। तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा…। भगवान विष्णु की आरती की इन्हीं पंक्तियों से प्रेरित होकर केंद्र सरकार में गृह सचिव रहे सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एस. लक्ष्मी नारायणन जीवनभर की कमाई प्रभु राम के चरणों में अर्पित करने जा रहे हैं। 22 जनवरी, 2024 को होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद लक्ष्मी नारायणन रामलला की मूर्ति के सामने पांच करोड़ रुपयों से तैयार सोने सहित अन्य धातुओं से निर्मित 151 किलो वजन की रामचरितमानस स्थापित करवाएंगे। इस महाकाव्य का प्रत्येक पन्ना तांबे से बनाये जाने के बाद 24 कैरेट सोने में डुबोया जायेगा, इसके बाद इस पर सोने से जड़े हुए अक्षरों को लिखा जायेगा, इस महाकाव्य में 140 किलो तांबे के साथ ही करीब पांच से सात किलो सोना लगने का अनुमान है, जबकि सजावट के लिए अन्य धातुओं का भी इस्तेमाल किया जायेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस पुस्तक के लिए वर्तमान में दिल्ली में रहने वाले नारायणन ने अपनी सभी संपत्तियों को बेचने व बैंक खातों को खाली करने का फैसला किया है। बीते दिनों पत्नी के साथ अयोध्या आए नारायणन ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से इसकी अनुमति हासिल कर ली है।
आपको बता दें कि नयी दिल्ली स्थित नये संसद भवन में रखे गये सेंगोल (राजदंड) को बनाने वाली कंपनी वुम्मिदी बंगारू ज्वैलर्स ही इस विशेष रामचरित मानस को बनाएगी। इस स्वर्ण जड़ित रामचरित मानस का डिजाइन कम्पनी ने तैयार कर दिया है, बताया जाता है कि इसे बनाने में तीन महीने लगेंगे।
वर्ष 1970 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी एस. लक्ष्मीनारायणन का कहना है कि उनके घर के सभी सदस्यों की ईश्वर में अगाध आस्था है। उनके परिवार में पत्नी सरस्वती के अलावा उनकी बेटी प्रियदर्शिनी है जो कि अमेरिका में है। उनका कहना है कि उन्हें ईश्वर ने जो दिया उसे वापस कर रहे हैं, वह कहते हैं कि ईश्वर ने मुझे जीवनपर्यंत बहुत कुछ दिया। पद, प्रतिष्ठा, पैसा सब कुछ मिला, सेवानिवृत्त होने के बाद भी पेंशन में इतने पैसे मिल रहे हैं कि खर्च नहीं होते हैं, दाल-रोटी खाने वाला इंसान हूं, यह सब ईश्वर का दिया हुआ है जिसे उन्हें वापस कर रहा हूं। उनका कहना है कि दान के नाम पर होने वाली लूट-खसोट से बेहतर है कि प्रभु के चरणों में इन पैसों से उनकी विशेष पुस्तक अर्पित कर दूं।

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