केमिकलयुक्त दवाएं हों या फिर कुछ और शरीर को नुकसान पहुंचाता है
कोरोनरी ब्लॉकेज होने का मतलब कोरोनरी की बीमारी ही होना नहीं
लखनऊ। विश्व मे जितने भी कैंसर होते उनमे से 73 प्रतिशत कैंसर अल्कोहल एवं तम्बाकू के सेवन के कारण होते है। सभी प्रकार के कास्मेटिक उत्पाद यहां तक कि शैम्पू, लिपिस्टिक, टूथपेस्ट आदि भी कैंसर को बढ़ाने में कारगर होते है। महिलाएं चेहरे पर क्रीम लगाती हैं इसके स्थान पर अगर वह हल्दी का लेप लगायें तो ज्यादा फायदा होगा, हल्दी में एंटीबायटिक गुण भी हैं।
यह बात वर्ल्ड एकेडमी ऑफ ऑथेंटिक हीलिंग साइंसेज, मैंगलुरू के चेयरमैन पद्म भूषण प्रो बीएम हेगड़े ने यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय में केजीएमयू और आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में कही। उन्होंने कहा कि जब भी आप केमिकल वाली चीजों चाहें वे दवाएं हों या कुछ और को इस्तेमाल करते हैं तो वह हानिकारक हो जाता है। उन्होंने बताया कि दरअसल होता यह है कि जैसे ही केमिकल हमारे शरीर में लिवर में प्रवेश करता है तो लिवर अपना स्वाभाविक कार्य न करते हुए केमिकल के अनुसार कार्य करने लगता है, जिससे नुकसान होता है।
स्वस्थ जीवनचर्या से सर्जरी तक में तेज होती है रिकवरी
कलाम सेण्टर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रो0 हेगड़े ने कहा कि स्वस्थ जीवन चर्या अपनाने पर किसी भी रोग में, किसी भी प्रकार की सर्जरी यहां तक न्यूरो सर्जरी आदि में भी रिकवरी तेज होती है। एक और महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि कोरोनरी ब्लॉकेज और कोरोनरी की बीमारी दोनो अलग होती है, किन्तु ज्यादातर डॉक्टर इसमे अंतर नही करते और मरीज की सर्जरी या एंजियोप्लास्टी कर देते है। उन्होंने बताया कि 40 वर्ष तक की आयु वाले व्यक्तियों की अगर कुछेक कोरोनेरी ब्लॉक हो गयी तो उसे सिर्फ लाइफ स्टाइल को सुधार कर ठीक किया जा सकजा है। उन्होंने बताया कि हेल्दी लाईफ स्टाइल से कोरोनरी ब्लाकेज कम होती है।
घृणा करने से कमजोर हो जाता है इम्यून सिस्टम
प्रो हेगड़े ने कहा कि उत्साह पूर्व कार्य करने को ही स्वास्थ्य कहते है। खुद को खुश रखें तथा दूसरे को भी खुश रखें। मानव शरीर 123 बिलियन सैल्स की कालोनी है। जब आप दूसरे किसी से घृणा करते है तब आप अपना इम्यून सिस्टम को कमजोर करते है। दूसरे से ईर्ष्या न करें अपने कार्य के प्रति प्रेम रखें। किसी भी प्रकार का स्टेरायड, केमिकल को लेने पर हमारे लिवर का क्रिया कलाप पूरी तरह से बदल जाता है। इसलिए किसी भी प्रकार के एल्कोहेल का सेवन ना करें। चिकित्सक अस्पतालों में मरीज के स्वास्थ्य को नहीं देखते वो केवल मरीज की बीमारी को देखते है इसलिए रिकवरी स्लो होती है। विद्यार्थियों के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए गुरूकुल प्रथा जितना उपयोगी है उतना आज की स्कूलों मे स्लाइड के माध्यम से पढ़ायें जाने वाले पाठ नही। विद्यार्थियों का मानसिक विकास होना चाहिए न कि उन्हे यंत्र बनाना है। शरीर कार्य करने के लिए बना है इसलिए इससे कठिन परिश्रम करना चाहिए।
गुर्दे का इलाज होमियोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी आदि में है
अपने भौगोलिक वातावरण में उगने वाले फल, सब्जियों आदि का सेवन करें। शुगर स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है इसलिए शुगर का सेवन न करे। यदि हम होमियोंपैथीक मेडिसिन को प्लासिबो कहते है तो माडर्न मेडिसिन भी प्लासिबों है क्यूकी इसके माध्यम से हम मरीजो को ठीक नही कर सकते है। मरीजो को विश्वास से ठीक किया जा सकता है। रीनल फेलुअर होने पर मार्डन मेडिसिन में चिकित्सकों द्वारा डायलिसिस शुरू कर दी जाती है और अंत में गुर्दा ट्रांस्प्लांट कर दिया जाता है जबकि होमियोपैथ, आयुर्वेद एवं सिद्धा, यूनानी आदि में विभिन्न मेडिसिन हैं जो गुर्दे का इलाज कर सकती हैं।