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संजय गांधी पीजीआई में एंडोक्राइन व ब्रेस्‍ट सर्जरी विभाग में बढ़े 30 और बेड

-30 बिस्‍तरों वाले नये वार्ड का उद्घाटन किया संस्‍थान के निदेशक ने

स्तन कैंसर, अंतःस्रावी कैंसर और ट्यूमर वाले मरीजों को नहीं करना पड़ेगा भर्ती के लिए लम्‍बा इंतजार

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एंडोक्राइन और ब्रेस्ट सर्जरी विभाग में भर्ती के लिए बिस्‍तरों की संख्‍या को 30 से बढ़ाकर 60 यानी दोगुना कर दिया गया है, अब भर्ती के लिए मरीजों को पहले की तरह इंतजार नहीं करना होगा। बढ़ाये गये 30 बेड वाले एंडोक्राइन सर्जरी वार्ड II का उद्घाटन 18 मार्च को संस्‍थान के निदेशक प्रो आरके धीमन ने किया। जल्‍दी ही इसके ऑपरेशन थियेटर्स की संख्‍या भी दो से बढ़ाकर तीन की जायेगी। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, चिकित्सा अधीक्षक, सभी फैकल्टी सदस्यों, सीनियर रेजिडेंट्स, नर्सिंग स्टाफ, इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारियों और विभाग के सभी कर्मचारी उपस्थित रहे।

प्रो धीमन ने एंडोक्राइन और ब्रेस्ट सर्जरी की इस विशेषता में अग्रणी होने के लिए विभाग को बधाई दी और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गौरव अग्रवाल और उनके संकाय, सीनियर रेजिडेंट और प्रभारी नर्सिंग स्टाफ की तीन महीने की एक छोटी अवधि में सेवाओं के विस्तार के स्वप्न को पूरा करने के लिए सराहना की।  उन्होंने अपील की कि अतिरिक्त क्षमता और बुनियादी ढांचे का उपयोग न केवल संख्या में, बल्कि उस गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए भी किया जाए।

इस बारे में प्रो गौरव अग्रवाल ने बताया कि हाल के वर्षों में, इनपेशेंट बेड की क्षमता की तुलना में उपचार की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या बढ़ने के कारण मरीजों को वार्ड में ऑपरेशन अथवा अन्य संबंधित उपचार  के लिए भर्ती होने का इंतजार करना पड़ता था। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग ने मरीजों को समायोजित करने के लिए अब बिस्तरों की संख्या दोगुनी की है, जिनमें से 44 को शनिवार से क्रियाशील कर दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि यह संस्थान के निदेशक प्रो. आर के धीमन की मदद से संभव हुआ है, जिन्होंने तीसरी मंजिल पर खाली वार्ड आवंटित किए।

उन्‍होंने बताया कि एंडोक्राइन और ब्रेस्ट सर्जरी विभाग की स्थापना सितंबर 1989 में की गई थी। एक नवीन सर्जिकल विशिष्ट विभाग के रूप में यह देश का प्रथम शैक्षणिक विभाग था, जिसे गुणवत्तायुक्त सर्जिकल देखभाल, प्रशिक्षण और प्रासंगिक शोध को केन्द्र में रखकर स्थापित किया गया था। उस समय मात्र दस बेड्स के साथ वार्ड प्रारंभ किया गया था। पिछले 33 वर्षों में विभाग ने खुद को देश में एक प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित किया है और पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी है।

उन्‍होंने बताया कि अपनी स्थापना के बाद पिछले तीन दशकों में रोगियो की लगातार बढ़ती संख्या के कारण विभाग ने बुनियादी ढांचे और जनशक्ति में जबरदस्त वृद्धि की। यह स्तन कैंसर व दुर्लभ अंतःस्रावी विकारों से ग्रस्त रोगियों को अत्याधुनिक चिकित्सीय सेवाएं प्रदान कर रहा है और इसने उत्तर भारत में इस तरह के विकारों के समग्र उपचार लिए स्वयं को  एक प्रमुख तृतीयक रेफरल केंद्र के रूप में स्थापित किया है।

प्रोफेसर गौरव अग्रवाल ने विभागाध्यक्ष का पद संभालते ही इस कार्य को प्राथमिकता के साथ पूर्ण करवाया। इसके साथ ही मुख्य चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, अग्निशमन विभागों के कर्मचारियों के पूर्ण सहयोग, प्रोफेसर गौरव अग्रवाल के निरंतर पर्यवेक्षण और मुख्य नर्सिंग अधिकारी के सम्मिलित प्रयासों से तीन महीने के रिकॉर्ड समय में नवीनीकरण का कार्य संपन्न हुआ।

प्रो अग्रवाल ने कहा कि बिस्तरों की संख्या में इस वृद्धि के साथ वार्डों में प्रवेश के लिए प्रतीक्षा समय कम होने की उम्मीद है। इसके समानांतर, ऑपरेशन थियेटर की क्षमता भी निकट भविष्य में दो ऑपरेशन थिएटरों से बढ़ाकर तीन की जा रही है। ये बढोतरी विशेष रूप से उन रोगियों को लाभान्वित करेगी, जिन्हें स्तन कैंसर और अंतःस्रावी कैंसर और ट्यूमर के लिए प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है।  वार्ड में प्रवेश के बाद प्रतीक्षा समय कम हो जाता है। इन-पेशेंट बेड और ऑपरेशन थिएटर में वृद्धि से न केवल रोगियों को लाभ होगा, बल्कि M.Ch और PDCC ब्रेस्ट कोर्स में नामांकित वरिष्ठ रेजिडेंट्स के प्रशिक्षण और कौशल विकास में भी सुधार होगा और सार्थक शोध को बढ़ावा मिलेगा।

प्रो. गौरव अग्रवाल, प्रो. अंजलि मिश्रा और एडीशनल प्रो. सबेरत्नम ने इस मौके पर उपस्थित होने के लिए उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों को उनके निरंतर समर्थन और निर्देशन के लिए धन्यवाद दिया।

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