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बच्‍चों में अस्‍थमा बढ़ा रहा है फास्‍ट फूड : डॉ सूर्यकान्‍त

-‘नेशनल अस्थमा अपडेट’ (वर्चुअल) आयोजित

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू के रेस्‍परेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्‍यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने कहा है कि वायु प्रदूषण, खराब जीवन शैली और तनाव अस्थमा को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अतिरिक्‍त फास्ट फूड का प्रचलन बच्चों में अस्थमा बढ़ा रहा है। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि घर से बाहर जाने पर मास्क लगाने से अस्थमा की समस्या कम होती है। अतः अस्थमा के रोगी घर से बाहर जाने पर मास्क अवश्य लगाएं। 

विश्व अस्थमा सप्ताह के उपलक्ष्य में के.जी.एम.यू. के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग, यूपी चेप्टर ऑफ इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, इण्डियन कालेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एवं एप्लाइड इम्युनोलॉजी व आईएमए- एकेडमी ऑफ मेडिकल स्‍पेशियलिटीज (आईएमएस) के संयुक्त तत्वावधान में ’’नेशनल अस्थमा अपडेट’’ (वर्चुअल) का आयोजन 8 मई को संपन्न हुआ। गोष्ठी का आयोजन डा0 सूर्यकान्त के संरक्षण में किया गया। इण्डियन कालेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एवं एप्लाइड इम्युनोलॉजी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने संगोष्ठी से जुडे़ हुए सभी लोगों का स्वागत किया।

इस संगोष्ठी में सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज जयपुर के पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक  डा0 वीरेन्द्र सिंह ने भारत में अस्थमा की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व में अस्थमा की वजह से होने वाली कुल मौतों में से 43 प्रतिशत भारत में होती है। इसका एक बड़ा कारण बढ़ता हुआ प्रदूषण और धूम्रपान है। उन्होनें अस्थमा के रोगियों की जल्दी पहचान कर उचित उपचार पर बल दिया। डा0 वीरेन्द्र सिंह ने ’’स्पीक अस्थमा, डिफीट अस्थमा’’ का स्लोगन देते हुए कहा कि सभी को अस्थमा के बारे में बात करना चाहिए और बीमारी के शुरू होते ही समुचित इलाज पर काम करना चाहिए। डा0 सौरभ मित्तल, अस्सिटेन्ट प्रोफेसर, एम्स नई दिल्ली, ने गम्भीर अस्थमा की पहचान कैसे करे के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। साथ ही साथ विभिन्न प्रकार की दवाओं और इन्हेलर्स पर भी प्रकाश डाला। गम्भीर अस्थमा के मरीजों को जब दवाओं से बहुत फायदा नही होता तो इस अवस्था में ब्रॉन्क्रियल थर्मोप्लास्टी कारगर साबित हो सकती है।

रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर, डा0 अजय कुमार वर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं डा0 ज्योति बाजपेई, असिस्‍टेंट  प्रोफेसर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस कार्यक्रम में देश के चिकित्सा संस्थानों से लगभग 150 जूनियर डाक्टर्स एवं चिकित्सक सम्मिलित हुए।

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