-हास्य–व्यंग्य और कार्टून के माध्यम से रोचक अंदाज में समझाया विज्ञान का महत्व
-राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की पूर्व संध्या पर एसआरएस ग्रुप ने आयोजित किया कार्यक्रम
लखनऊ। बख्शी का तालाब स्थित एसआर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की पूर्व संध्या पर साइनटेनमेन्ट शो का आयोजन किया गया। इस शो की खास बात यह रही कि विज्ञान को रुचिकर अंदाज में समझाने का प्रयास किया गया। कार्टून और हास्य कविता के रूप में रोचक अंदाज से विज्ञान का बखान किया गया।
यह जानकारी देते हुए एसआरएस ग्रुप के चेयरमैन पवन सिंह चौहान ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीडीआरआई के पूर्व उपनिदेशक डॉ प्रदीप श्रीवास्तव रहे जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में हास्य कवि पंकज प्रसून राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक सिंह और विज्ञान भारती के प्रांत संगठन मंत्री (अवध) श्रेयांश शामिल हुए।
डॉ प्रदीप श्रीवास्तव ने साइनटून के माध्यम से हंसाते हुए विज्ञान के गूढ़ तथ्यों के बारे में बताया। उन्होंने नैनोटेक्नोलॉजी, कोविड और पर्यावरण के कई तथ्यों पर साइनटून प्रस्तुत किये। आपको बता दें कि डॉ प्रदीप श्रीवास्तव ने साइंस कार्टून के माध्यम से सभी को विज्ञान को सरल भाषा में समझने की तकनीक से विश्व से परिचित कराया है कई विश्वस्तरीय अवॉर्ड भी प्राप्त किये है।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि पंकज प्रसून ने अपने हास्य व्यंग्य के माध्यम से चुटीले अंदाज में नाभिकीय भौतिकी, जेनेटिक इंजीनियरिंग, केमिकल टेक्नोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री जैसे विषयों को प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि देश के असली आइकॉन सलमान खान नहीं बल्कि एपीजे अब्दुल कलाम हैं।
उन्होंने वैज्ञानिक की जिंदगी को कविता में पिरोते हुए पढ़ा..
‘जो बंजर धरती पर आशाओं की फसल उगाता है
सारे जहां के गम से जिसका गहरा रिश्ता नाता है
सर्वे सन्तुनिरामया जो सूक्ति हमे सिखलाता है
ऐसे वैज्ञानिक के प्रति सर श्रद्धा से झुक जाता है”
उन्होंने सुनाया..
“भाती नहीं है हमको दिलो जान की बातें
आओ करें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की बातें”
उनकी पढ़ी कुछ विज्ञान कविताओं की पंक्तियाँ –
1-
“पहले मोम की खिड़की थी वह फिर लोहे का डोर हो गई
मीठे बोल बोलती थी फिर डेसीबल का शोर हो गई
शादी से पहले मुझको नाइट्रस ऑक्साइड लगती थी
शादी हुई तो एकदम से वह h2 so4 हो गई”
2-
‘ तुमने ब्लॉक किया है मुझको लेकिन इतना बतला देना
दिल मे जो प्रोफ़ाइल है वो कैसे ब्लॉक करोगी
बन्द किये सारे दरवाजे लेकिन इतना समझा देना
मन की जो ओपन विंडो है उसको कैसे लॉक करोगी”
“अंतर्मन की विचरण सीमा इंटरनेट से बहुत बड़ी है
वाल फेसबुक की थी पहले आज हमारे बीच खड़ी है”
3-
“खुल गए उनके अकाउंट फेसबुक पर बैंक में जिनका कोई खाता नहीं है
कर रहे वो साइन इन और साइन आउट
जिनको करना साइन तक आता नहीं है।”
4-
“कैसे बने सहारा दिल
ब्लड पम्पिंग से हारा दिल
प्यार घटा है फैट बढा है
कोलेस्ट्रॉल का मारा दिल”
तुम बनो तो मेरा मौन बनो मैं तेरे मीठे बोल बनू
तुम मेरा सिस्टोल बनो मैं तेरा डायस्टोल बनू
जाति धर्म सब अलग अलग हैं लेकिन एक हमारा दिल..
5-
“आज छल कपट ईर्ष्या द्वेषी जीन सक्रिय हैं
न्याय नीति बन्धुत्व के जीन सुप्त हो रहे हैं
प्रेम के क्रोमोसोम पर स्थित करुणा मैत्री दया के जीन विलुप्त हो रहे हैं।।
5-
” तुम्हारी आंखों में न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण है
जिनमे नशा इस तरह भरा है
जैसे एसिड के डिब्बे में एल्कोहल धरा है”
जरूरत है तो मोहब्बत के करंट की
जुड़ गया है मन से मन का वायर
मैं आइंस्टीन तुम मेरी एमसी स्क्वॉयर..
6-
समंदर की है बेचैनी उसे साहिल नहीं मिलता
यहां तो आदमी का आदमी से दिल नहीं मिलता
जहां पर खून हिंदुस्तान का रग रग में बहता है
वहां की पत्तियों में आज क्लोरोफिल नहीं मिलता।
7-
” जिंदगानी है एक्वेरियम की तरह
चल रही डार्विन के नियम की तरह इनको छेड़ो ना विस्फोट हो जाएगा भावनाएं हैं यूरेनियम की तरह
जब भी खोलो हमेशा लगेंगे जवां
खत सहेजें हैं हरबेरियम की तरह।।
इसी क्रम में अशोक सिंह ( रा0 उपाध्यक्ष आर0 जे0 डी) ने कहा विज्ञान राजनीति से उलट सत्य को प्रमाण के साथ प्रस्तुत करती है और जीवन को सुगम ओर सुलभ बनाने का कार्य करती है।
विषय की गंभीरता को सहज भाव में समझाने वाला माध्यम ही श्रेष्ठ
इस अवसर पर संस्थान के चेयरमैन पवन सिंह ने कहा कि माध्यम वही सही होता है जिसमे विषय की गंभीरता को सरल सहज भाव से समझाया जा सके। उन्होंने सभी अथितियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में संस्थान के चेयरमैन पवन सिंह चौहान के साथ ही वाइस चेयरमैन पीयूष सिंह चौहान, वाईस चेयरपर्सन सुष्मिता सिंह चौहान, निदेशक, उपनिदेशक उपस्थित रहे।