-संजय गांधी पीजीआई ने मनाया अपना 25वां दीक्षांत समारोह
-डॉ गगनदीप कैंग को डॉक्टरेट की उपाधि से किया सम्मानित
-प्रो यूसी घोषाल सहित चार लोग विशेष पुरस्कारों से सम्मानित
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। निदेशक, टाटा मेडिकल सेंटर, कोलकाता डॉ मामेन चैंडी ने कहा है कि मानवता की सेवा के लिए चिकित्सा से बेहतर कुछ नहीं, किसी के लिए कुछ अच्छा छोड़ कर जाना सदैव ही सुंदर होता है।
डॉ चैंडी ने यह बात आज संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में जूम के माध्यम से दीक्षांत भाषण में कहीं। उन्होंने कहा कि कोविड के समय ने हमें बहुत सारी अच्छी चीजें भी सिखाई हैं जैसे जूम और हाइब्रिड मीटिंग, संकट के समय में मानवता की सेवा के लिए खड़े होना। अत्यंत प्रभावी तरीके से उन्होंने बताया कि जीवन में असफलताएं अवश्यम्भावी हैं और कभी-कभी ही हमें सफलता से अधिक सिखा जाती हैं।
एसजीपीजीआई का 25वां दीक्षांत समारोह संस्थान के लेक्चर थियेटर हॉल में आज पूरे उल्लास के साथ मनाया गया। समारोह की शुरुआत में दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने स्वागत अभिभाषण दिया। उन्होंने डायबिटीज सेंटर, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर इन्फेक्शियस डिजीजेस एंड वैक्सीन डेवलपमेंट, हेपेटोलॉजी विभाग, हृदय, फेफड़े और लिवर प्रत्यारोपण जैसे प्रोजेक्ट के लिए संस्थान परिवार के सभी सदस्यों को बधाई दी।
शोध के क्षेत्र में और भी गहन कार्य करने की जरूरत : राज्यपाल
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी अपने उत्साहवर्धक शब्दों से जन सामान्य का संबोधन किया। उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में और भी गहन कार्य होने चाहिए जिससे कि विभिन्न रोगों के उपचार को सभी को उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने केंद्रीय स्कूल पीजीआई के बच्चों को उपहार भी प्रदान किये।
मानवता की सेवा ही चिकित्सा विज्ञान का अंतिम उद्देश्य : सुरेश कुमार खन्ना
उत्तर प्रदेश राज्य के वित्त संसदीय मामले और चिकित्सा शिक्षा के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने भी उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया। उन्होंने निदेशक संजय गांधी पीजीआई को संस्थान की बहुत ही आशापूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि जब कोई भी विद्यार्थी मेडिकल प्रोफेशन में प्रवेश करता है, तो उसे केवल और केवल सेवा भाव से ही संतुष्टि प्राप्त हो सकती है। इसलिए मानवता की सेवा ही चिकित्सा विज्ञान का अंतिम उद्देश्य होना चाहिए।
194 विद्यार्थियों को प्रदान की गयीं डिग्री
संस्थान के डीन प्रोफेसर एसके मिश्रा ने फैलो ऑफ रॉयल सोसाइटी में शामिल होने वाली प्रथम भारतीय महिला वैज्ञानिक और वर्तमान में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लौर में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में बायोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत डॉ गगनदीप कैंग का औपचारिक परिचय दिया। राज्यपाल द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। मानवता की सेवा में वैक्सीन शोध की दिशा में उनका योगदान सराहनीय रहा है । चूंकि डॉक्टर कैंग वर्च्युली इस समारोह में शामिल हुईं, इसलिए उनका यह पुरस्कार राज्यपाल से निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने ग्रहण किया। तत्पश्चात पी एच डी, डी एम, एम सी एच, एम डी, पी डी सी सी, बी एस सी (नर्सिंग) विषयों में उत्तीर्ण होने वाले 194 विद्यार्थियों को राज्यपाल द्वारा डिग्री प्रदान की गई।
संस्थान के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में कार्यरत प्रोफेसर यूसी घोषाल को शोध के क्षेत्र में किए गए उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उत्कृष्ट शोध अन्वेषक के प्रोफेसर एस आर नायक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
शोध के क्षेत्र में ही उत्कृष्ट कार्य के लिए दिए जाने वाले प्रोफेसर एस एस अग्रवाल पुरस्कार संस्थान के डॉ पी वी साईं शरण (डीएम सीसीएम) को प्रदान किया गया। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में सर्वोत्तम डी एम और एम सी एच स्टूडेंट के लिए दिया जाने वाला प्रोफेसर आरके शर्मा पुरस्कार 2 विद्यार्थियों को दिया गया- डॉक्टर हाफिज मुहम्मद वीके को सर्वोत्तम डीएम विद्यार्थी (क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी) और डॉ राम्या वी चक्रपाणि को (एम सी एच एंडोक्राइन सर्जरी) सर्वोत्तम विद्यार्थी पुरस्कार प्रदान किया गया।
डॉ कौस्तुभ के नाम पर हॉस्टल का नामकरण, दी गयी श्रद्धांजलि
पुरस्कार वितरण के बीच डीएम गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात कोविड ड्यूटी में लगे डॉ कौस्तुभ के अकस्मात निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई, निदेशक डॉ आरके धीमन ने डॉ कौस्तुभ की याद में विवाहितों के लिए बने हॉस्टल का नाम उनके नाम पर रखने की घोषणा की। संस्थान परिवार के उन सभी सदस्यों को जिनका पिछले वर्ष निधन हो गया, श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी याद में 101 पेड़ लगाने की भी घोषणा की।
निदेशक डॉ आरके धीमन ने संस्थान के पिछले 1 वर्ष के कार्यकलापों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। समारोह का अंत संस्थान के डीन प्रोफेसर एस के मिश्रा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ हुआ।