-केजीएमयू के पीरियोडोंटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर हैं डॉ पवित्र रस्तोगी
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के दंत संकाय स्थित पीरियोडोंटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर, अतिरिक्त परीक्षा नियंत्रक व एडिशनल डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ पवित्र रस्तोगी को उत्तर प्रदेश डेंटल काउंसिल का अध्यक्ष चुना गया है, डॉ सुधीर कपूर के त्यागपत्र देने के बाद डॉ पवित्र रस्तोगी को अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है।
अध्यक्ष के रूप में प्राथमिकताओं के बारे में पूछने पर डॉ पवित्र ने बताया कि डेंटल और हैंड हाईजीन की बहुत आवश्यकता बढ़ गयी है, मेरी कोशिश होगी कि दूरस्थ इलाकों में भी दांतों और हाथों की सफाई के बारे में लोगों को जागरूक करने की दिशा में कार्य किये जायें। उन्होंने कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं कि दांतों और हाथों की सफाई से बहुत सी ऐसी बीमारियां हैं जिनसे बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष उपचार पक्ष से हमेशा अच्छा होता है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा दूसरे राज्यों में डेंटल काउंसिल अलग हैं, उत्तर प्रदेश में यह राज्य मेडिकल फैकल्टी के साथ ही चल रहा है। मैं चाहुंगा कि इसका अपना एक अलग भवन बन जाये, अपना रजिस्ट्रार बन जाये क्योंकि राज्यों में डेंटल काउंसिल के अलग रजिस्ट्रार हैं, अलग भवन है, क्योंकि अब हर साल निकलने वाले डेंटिस्ट की संख्या पहले से काफी बढ़ गयी है। पहले 1995 तक यूपी में 36 डेंटिस्ट साल भर में निकला करते थे, 1995 के बाद सरकारी कॉलेजों में ही बढ़कर 60 हो गये और यूपी में कई कॉलेज खुल गये। उन्होंने कहा कि यूपी में इस समय 28 डेंटल कॉलेज चल रहे हैं, सभी जगह 100-100 डेंटिस्ट हर साल निकलते हैं, ऐसे में करीब 2800 डेंटिस्ट हर साल निकलते हैं, ऐसे में इन डेंटिस्ट की अपनी अलग परेशानियां हैं, उनकी परेशानियों के समाधान के लिए हम चाहेंगे कि इसका अलग एक सेक्रेटरी हो। इन सभी प्राथमिकताओं को सरकार के सहयोग से इसे पूरा करेंगे।
आपको बता दें कि डॉ पवित्र रस्तोगी ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ, यूपी से स्नातक और परास्नातक किया वह एक चिकित्सक, शिक्षाविद, शिक्षक और इम्प्लांटोलॉजिस्ट हैं, जो पीरियडोंटल रिजनरेशन, लेजर और सौंदर्य दंत चिकित्सा में विशेष रुचि रखते हैं। उन्होंने डेंटापेक्स मेडिकल एंड डेंटल सेंटर, न्यू साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क यूएसए में पीरियोडॉन्टल रीजनरेशन एंड एथिक्स पर प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर कई व्याख्यान दिए हैं। उन्होंने उच्च प्रभाव कारक के साथ अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में कई प्रकाशनों को अधिकृत किया है। उन्होंने सामान्य भारतीय आबादी की भलाई के लिए हिंदी भाषा में ‘दंत चिकित्सा एवं उसकी विधायें’ एक पुस्तक लिखी है।