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मेडिकल, नर्सिंग, पैरामेडिकल की छात्राओं को आत्‍मरक्षा प्रशिक्षण दे रहा केजीएमयू

-यूपी सरकार के जागरूकता अभियान के तहत अपनी जिम्‍मेदारी निभा रहा संस्‍थान

-आई0जी0 पुलिस लक्ष्मी सिंह और ऋत्विक इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक साइंस की निदेशक, डॉ अभिलाषा द्विवेदी ने दिया ऑनलाइन लेक्‍चर

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। नवरात्रि की शुभतिथियों पर, उत्तरप्रदेश की राज्य सरकार महिलाओं और लड़कियों के लिए आत्मरक्षा के लिए जागरूकता अभियान चला रही है। एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान के रूप में अपनी भूमिका से अलग सामाजिक मुद्दों के मशालवाहक होने के नाते, किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय इस अभियान में उत्साह से भाग ले रहा है।

केजीएमयू द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते असमानता और लगातार बढ़ते अपराध हमारे तेजी से प्रगति कर रहे देश के लिए चिंता का कारण हैं। आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए, के0जी0एम0यू0 अपनी महिला विद्यार्थियों को हर दिन आत्मरक्षा प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। इसके साथ ही चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा पोस्टर प्रतियोगिता, कविता प्रतियोगिता और रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें एम0बी0बी0एस0, बी0डी0एस0, नर्सिंग और पैरामेडिकल की छात्राएं प्रतिभाग कर रही हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान ही लखनऊ शहर की वरिष्ठ महिला अधिकारियों से संपर्क कर उनके सेमीनार आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें आज की  अतिथि वक्ता थीं लखनऊ की आई0जी0 पुलिस लक्ष्मी सिंह, जिन्हें ऑनलाइन आमंत्रित किया गया था। अपने वक्तव्य में उन्होंने बताया कि कार्यस्थल को किस प्रकार से सुरक्षित बनाया जाए, साइबर क्राइम से कैसे बचा जाए, ऑनलाइन पेमेंट में पासवर्ड का चयन किस प्रकार किया जाए। उन्होंने बताया कि अपने ऑनलाइन पेमेंट के बिल, आधार कार्ड का नंबर किसी के साथ साझा न करें। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के तहत छोटी से छोटी प्रताड़ना को भी कानून अपराध की संज्ञा देती है। उन्होंने कहा कि आमजन को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए।

इस आयोजन की दूसरी अतिथि वक्ता थीं ऋत्विक इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक साइंस की निदेशक, डॉ अभिलाषा द्विवेदी, उन्होंने भारतीय चिकित्सा की सांस्कृतिक अवधारणाः विदेशी पद्धतियों के साथ संघर्ष और समन्वय के विषय पर वार्ता करते हुए बताया कि बचपन में बच्चों के मन में जो भ्रांतियां उत्पन्न हो जाती हैं, उनसे कैसे ऊपर उठा जाए और एक स्वस्थ व्यक्तित्व का निर्माण किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य को लेकर एक समग्र दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए, के बारे में विस्तार से जानकारी दी।