-नेत्रोपनिषद् तथा चाक्षुषोपनिषद् का नित्य पाठ करें : ऊषा त्रिपाठी
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। काया को निरोगी रखने में सूर्यदेवता की उपासना का बहुत महत्व है। श्री आदित्य हृदय स्त्रोतम् के अंतर्गत दिये गये श्री नेत्रोपनिषद् तथा चाक्षुषोपनिषद् का नित्य पाठ करने वाले की आंखों की ज्योति कभी कम नहीं होती है। यह कहना है योगिक मानसिक चिकित्सा सेवा समिति की संचालिका, समाज सेविका व प्राणिक हीलर ऊषा त्रिपाठी का।
ऊषा त्रिपाठी का कहना है कि मंत्रों की शक्ति किसी से छिपी नहीं है, आदि काल से मंत्रों के उच्चारण मात्र से अनेक प्रकार की परेशानियों का हल होता आया है। उन्होंने कहा कि आजकल कोरोना काल चल रहा है, इसमें कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सरकार की ओर से लोगों के लिए दिशानिर्देश जारी किये गये हैं, इनमें घर से बाहर रहने पर लोगों से दो गज की दूरी, मुंह और नाक को ढंकने वाला मास्क तथा समय-समय पर सैनिटाइजर या साबुन पानी से हाथ को धोते रहना शामिल है, इसलिए इन चीजों का सभी को पालन करना चाहिये।
ऊषा त्रिपाठी ने कहा कि श्री नेत्रोपनिषद् तथा चाक्षुषोपनिषद् का नित्य पाठ करने वाले की आंखों की ज्योति स्थिर रहती है, कमजोर नहीं होती है। उन्होंने बताया कि यही नहीं पाठ करने वाले के कुल में कभी कोई नेत्रज्योति विहीन नहीं पैदा होता है। उन्होंने कहा कि आंखों की परेशानी दूर करने में सहायक इन मंत्रों से लाभ को उन्होंने खुद आजमाया है। मंत्र इस प्रकार है-