सीनियर्स ने की मोर्चा संभालने की कोशिश, शासन ने लगा रखा है हड़ताल पर प्रतिबंध
लखनऊ। कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की पिटाई के विरोध में आज रेजिडेंट डॉक्टरों की देशव्यापी हड़ताल रही। रेजीडेंट डॉक्टरों के साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का आह्वान होने के कारण पर ,जिससे चिकित्सा सेवाएं चरमरा गयीं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में संजय गांधी पीजीआई, केजीएमयू, लोहिया संस्थान में सुपर स्पेशियलिटी इलाज उपलब्ध होने के कारण यहां भी रोजाना आने वाले हजारों मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
हड़ताल के चलते इन अस्पतालों की ओपीडी लगभग ठप रही। हालांकि इन संस्थानों में सीनियर डॉक्टरों द्वारा ओपीडी में मरीजों को देखने का दावा किया गया है, और उन्होंने थोड़े मरीज देखे भी हैं लेकिन आमतौर पर स्थिति यही रही कि मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि मरीजों की जिस भीड़ को रेजिडेंट डॉक्टरों के होते हुए सामान्य दिनों में देखने में परेशानी होती है तो ऐसे में बिना रेजिडेंट के सिर्फ सीनियर डॉक्टरों के भरोसे कितना देखा गया होगा इसका अंदाज लगाना मुश्किल काम नहीं है।
दरअसल माना यह जा रहा है कि इन संस्थानों के मुखिया व सीनियर डॉक्टरों की यह मजबूरी भी थी की वे जितना भी हो सके ओपीडी चलाने में अपना योगदान दें, क्योंकि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी करके छह माह के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों के साथ ही एसजीपीजीआई, केजीएमयू में हड़ताल को प्रतिबंधित कर दिया था। ऐसे में इन स्थानों पर जिम्मेदार लोगों की चिंता यही थी कि जैसे-तैसे ओपीडी में आने वाले मरीजों को जितना संभव हो उतना इलाज दिया जाये।
केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान जैसे संस्थानों में जूनियर डॉक्टर्स की स्ट्राइक होने के कारण प्रदेश सरकार के चिकित्सालयों जैसे बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल, लोहिया संयुक्त अस्पताल आदि में मरीजों की आमद अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा रही।