अर्थशास्त्र और स्वास्थ्य दोनों को क्षति होने के बावजूद लोगों को समझ में नहीं आ रहा
पावर प्रेजेन्टेशन के जरिये तम्बाकू से होने वाले नुकसान के बारे में बताया डॉ सूर्यकांत ने
धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लगभग हर बीमारी के प्रति जागरूकता लाने के लिए एक दिन निर्धारित कर दिया है ताकि लोगों का ध्यान रहे कि अमुक बीमारी के प्रति व्यक्ति जागरूक रहें, सतर्क रहे, बचाव करें। इन्हीं में से एक है विश्व तम्बाकू निषेध दिवस, प्रति वर्ष 31 मई को यह मनाया जाता है। यह दिवस वर्ष 1987 से मनाया जा रहा है। यहां गौरतलब यह है कि 32 साल से यह आयोजन हो रहा है और अभी तक इस पर लगाम तक नहीं लग सकी है। यही नहीं कि सीधा-सीधा दिख रहा है कि इसके प्रयोग से 40 तरह के कैंसर और 25 तरह की बीमारियां हो रही हैं लेकिन फिर भी इसके सेवन के साथ ही इसका सरकारी चलन जारी है। इसका सीधा अर्थ यह है कि जागरूकता के प्रयासों में कहीं न कहीं भारी कमी है, साथ ही साथ इस दिवस को मनाने के लिए होने वाला व्यय भी अपव्यय की श्रेणी में आ रहा है।
इस बारे में केजीएमयू के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के मुखिया डॉ सूर्यकांत ने केजीएमयू में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के मौके बुधवार 29 मई को आयोजित समारोह में अपने विशेष प्रेजेन्टेशन के दौरान बताया कि तम्बाकू का इतिहास भारत के लिए बहुत पुराना नहीं है, 400 साल पूर्व पुर्तगालियों द्वारा अकबर के शासनकाल में भारत में लायी गयी तम्बाकू का प्रयोग हुक्के में भरकर पीने के लिए किया। इस तरह से लोगों के बीच धड़ल्ले से इसका प्रयोग शुरू हो गया। बाद में तम्बाकू के प्रति लोगों का रुझान देखकर जहांगीर ने इसे राजस्व के स्रोत के रूप में देखा। उस समय से जहांगीर ने आय का स्रोत मानकर जो इस पर टैक्स लगाया, वह अब तक के वित्त मंत्री अरुण जेटली के कार्यकाल में भी जारी है। लेकिन विडम्बना यह है कि जितना राजस्व तम्बाकू उत्पाद बिक्री से मिलता है, उससे कई गुना ज्यादा तम्बाकू जनित रोगों के उपचार में व्यय हो जाता है। इस तरह से तम्बाकू शारीरिक और राजस्व दोनों के दृष्टिकोण से बेकार है।
प्रो सूर्यकांत ने बताया कि तम्बाकू के सेवन से 40 तरह के कैंसर और 25 तरह की अन्य बीमारियां होती हैं यानी बिजनेस की भाषा में कहें तो तम्बाकू का सेवन कुल 65 बीमारियों का पैकेज है।
बीड़ी तो सिगरेट से ज्यादा खतरनाक
प्रो सूर्यकान्त ने बताया कि सिगरेट और बीड़ी दोनों में ही तम्बाकू का प्रयोग किया जाता है, लेकिन सिगरेट से ज्यादा नुकसानदायक बीड़ी है और गरीब तबका ज्यादातर बीड़ी का ही सेवन करता है।
पीने वाले के अलावा दूसरों भी नुकसान
प्रो सूर्यकांत के अनुसार स्मोकिंग से दूसरों को होने वाले नुकसान की बात करें तो दो तिहाई घरों में तथा एक तिहाई वर्कप्लेस (जहां भी व्यक्ति नौकरी करता है) पर दूसरे लोगों को भी नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि सिगरेट-बीड़ी पीने वाले व्यक्ति के अंदर 30 प्रतिशत धुआं जाता है लेकिन बचा 70 प्रतिशत व्यक्ति के अगल-बगल खड़े व्यक्ति के शरीर में सांस द्वारा अंदर जाता है। इसे पैसिव स्मोकिंग कहते है। यही नहीं एक और होती है थर्ड स्मोकिंग, इसमें जो कमरे या किसी स्थान पर पी गयी सिगरेट का धुआं वहां के वातावरण में रहता है, चाहे हवा हो, या फिर उस स्थान पर रखा फर्नीचर, इनके कॉन्टेक्ट में जो भी व्यक्ति आता है वह धुआं या धुएं के साथ होने वाले जहरीले तत्व जो वहां के फर्नीचर में चिपक जाते हैं उनके शरीर के सम्पर्क में आने पर नुकसान होता है।
धूम्रपान से मर्दानगी नहीं, नामर्दी आती है
प्रो सूर्यकांत ने बताया कि बहुत से लोग इसे मर्दानगी से जोड़ते हैं और स्टाइलिश तरीके से इसका सेवन करते हैं लेकिन असलियत यह है कि धूम्रपान से पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी हो जाती है, जो उन्हें पिता बनाने में बाधक हो सकता है। इसके अतिरिक्त धूम्रपान शराब का बढ़ावा देती है, कम वजन, महिलाओं में गर्भस्थ शिशु की ग्रोथ रुक सकती है, गर्भपात, मानसिक बीमारियां, झुर्रियां, सीओपीडी, अस्थमा, मोतियाबिन्द जैसे दर्जनों दिक्कतें हो जाती हैं।
छात्रा के स्वाभाविक सवाल का सटीक जवाब
इस मौके पर मौजूद छात्र-छात्राओं से जब डॉ सूर्यकांत ने प्रश्न पूछने को कहा तो एक छात्रा ने प्रश्न किया कि जब किसी समझाओ कि तम्बाकू न खाओ इससे कैंसर हो जाता है तो वे तर्क देते हैं कि जो नहीं खाते हैं, उन्हें भी तो कैंसर हो जाता है। ऐसे लोगों को क्या जवाब दिया जाना चाहिये। इसके उत्तर में प्रो सूर्यकांत ने कहा कि ऐसे लोगों को यह समझाना चाहिये कि जिस तरह से कोई अनजाने में कुएं में गिर जाये तो दुर्घटना हो जाती है, तो अब व्यक्ति यह कहे कि मैं तो जानबूझ कर कुएं में गिरूंगा। इसी प्रकार की बात इसमें भी है कि धूम्रपान से कैंसर होता है यह पक्का है, कई अन्य चीजों से भी कैंसर होता है, लेकिन अभी काफी चीजें रिसर्च में हैं जिसके काफी रिजल्ट आने बाकी हैं जिनमें यह देखा जा रहा है कि कैंसर क्यों हो जाता है, इसलिए ऐसे व्यक्ति से यही कहा जा सकता है बिना तम्बाकू खाने वाले को कैंसर हो सकता है लेकिन खाने वाले को होता है यह रिसर्च में प्रमाणित है। इसलिए तम्बाकू का सेवन नहीं करना चाहिये।