नहीं न, तो फिर आपको गर्भावस्था की शुरुआत से करने होंगे वायु प्रदूषण से बचाव के गंभीर प्रयास
अध्ययन में पता चला है कि डायबिटीज, कैंसर जैसे रोगों का वाहक है वायु प्रदूषण
लखनऊ। जिस शिशु की चाहत हमें उसके आने की आहट यानी गर्भधारण करने के समय से ही प्रफुल्लित करने लगती है, दम्पति अपने सपनों को उड़ान देना शुरू कर देते हैं, उस शिशु को दुनिया में आने से पहले ही कहीं हम गंभीर रोग तो नहीं दे रहे हैं, इसका उत्तर है हां, ऐसा हो रहा है, लेकिन जागरूकता के अभाव में हम इसे समझ नहीं पा रहे हैं। ऐसा हो रहा है पर्यावरण के प्रदूषण के चलते। पर्यावरण के प्रदूषण से कम वजन का शिशु पैदा होने के साथ ही निमोनिया, एलर्जी, अस्थमा, कमजोर रोग प्रतिरोधक शक्ति, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, कैंसर आदि बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है।
यह जानकारी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी विभाग के प्रमुख व इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त ने ‘सेहत टाइम्स’ से एक विशेष वार्ता में दी। डॉ सूर्यकांत ने बताया कि सामान्यतया लोगों की सोच यह होती है कि पर्यावरण प्रदूषण का खतरा ऐसे वातावरण में भौतिक रूप से जब मनुष्य सामने होता है तभी होता है लेकिन यह सही नहीं है, शिशु को यह खतरा उसके गर्भ में आने के बाद से ही हो जाता है। इसलिए इससे बचाव के प्रयास भी गर्भावस्था की शुरुआत से करने होंगे। हालिया शोध में यह ज्ञात हुआ है कि वायु प्रदूषण के ढाई माइक्रोन से छोटे तत्व गर्भवती माता की सांस के सहारे फेफड़े में पहुंच जाते हैं। जहां से रक्त संचरण में पहुंच जाते हैं।

डॉ सूर्यकांत ने बताया कि चूंकि गर्भ में पल रहे शिशु को भोजन गर्भवती के रक्त से मिलता है ऐसे में वायु प्रदूषण के ये तत्व रक्त नाल के रास्ते रक्त के साथ शिशु के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जाये। पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी किसी एक पर छोड़ना गलत होगा, इसके लिए सम्मिलत प्रयास करने होंगे। देखा जाये तो पर्यावरण को दूषित करने का काम वृहद स्तर पर हो रहा है तो इसे स्वच्छ करने का काम भी वृहद स्तर पर किये जाने की आवश्यकता है।
डॉ सूर्यकांत ने कहा कि वायु प्रदूषण की अगर बात करें तो सांस तो हम सभी एक ही वातावरण में लेते हैं, ऐसे में इस वातावरण को स्वच्छ रखना हम सबका दायित्व हैं। इस दिशा में सबसे पहला प्रयास अधिक से अधिक पेड़ लगाने का होना चाहिये क्योंकि हमें ऑक्सीजन मिलने का स्रोत पेड़ हीं हैं, पेड़ों से ही हमारे लिए प्राणवायु यानी ऑक्सीजन निकलती है। हमारे पूर्वजों ने एक से बढ़कर एक पेड़ लगाये जो कि आज हमें जीवन दे रहे हैं, लेकिन क्या ये जीवन हम अपनी आने वाली पीढ़ी को दे रहे हैं, और अगर दे रहे हैं तो क्या सभी लोग ऐसा कर रहे हैं। हममें से कितने लोग हैं, जिन्होंने पेड़ लगाये हैं, इसका स्वआकलन करें।
उन्होंने बताया कि हमारे छोटे-छोटे प्रयास कितने बड़े हो सकते हैं इसके बारे में मैं बताता हूं। उन्होंने कहा कि हम लोग हर साल अपनी, बच्चों, और अन्य परिजनों की बर्थ डे मनाते हैं, शादी की सालगिरह मनाते हैं, तो क्यों नहीं हम ऐसा करें कि जन्म और विवाह की वर्षगांठ की संख्या के बराबर पौधे लगायें। यह यादगार भी होगा और मददगार भी। इसी प्रकार पुरुष हों या स्त्री धूम्रपान करना छोड़ें, क्योंकि यह दोहरा नुकसान पहुंचाता है, इसका धुआं धूम्रपान करने वाले और धूम्रपान करने वाले के साथ खड़े रहने वाले के शरीर के अंदर प्रवेश करता है। यह धुआं फेफड़ों में पहुंचकर हमें नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने हमें पेड़ों के जरिये ऑक्सीजन देकर ऐसा उपहार फ्री दिया है जिसकी कीमत का अहसास व्यक्ति के बीमार होने पर अस्पताल से मिले बिल में लिखी धनराशि देखने के बाद होता है। वायु प्रदूषण रोकने के लिए धुआं न निकलने वाले ईंधन से वाहनों का चालन, धुआंरहित चूल्हे पर खाना बनाने के प्रति लोगों को जागृत किये जाने की जरूरत है।

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