-मूल रूप से लोहिया अस्पताल के कर्मचारी हैं पीड़ित कर्मचारी, सुबह से शाम तक धरना देना शुरू किया
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। निदेशक डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा आज अलग-अलग विभागाध्यक्ष को फोन करके उन 9 कर्मचारियों को कार्य करने से रोका गया जिन को 1 जून 2021 को नियम विरुद्ध तरीके से कार्यमुक्त किया गया था जिससे कर्मचारी काफी परेशान हैं, दो महीने से कार्य कर रहे थे लेकिन उनकी उपस्थिति को प्रमाणित करके स्वास्थ्य महानिदेशक को नहीं भेजा गया जिसके कारण से उनका वेतन रुका हुआ है। यही नहीं कर्मचारियों का कहना है कि निदेशक द्वारा हम लोगों को बात भी नहीं सुनी जा रही है, आज जब कर्मचारियों ने अपनी बात प्रत्यावेदन के माध्यम से निदेशक तक पहुंचानी चाही तो उनका प्रत्यावेदन लेने से भी इनकार कर दिया गया। इसके बाद से ये कर्मचारी धरने पर बैठ गये हैं।
लोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इन सभी कर्मचारियों का नाम जब प्रतिनियुक्ति पर तैनाती हो रही थी उस समय छूट गया था उनकी तैनाती के लिए 4 अक्टूबर 2019 को समझौता हुआ था समझौते के अनुसार कार्य कर रहे थे। इन कर्मचारियों के लिए प्रस्ताव शासन को पूर्व निदेशकों डॉ राम मनोहर लोहिया संस्थान द्वारा भेजा गया था लेकिन शासन से निर्णय न होने के कारण कर्मचारी संबद्धता के आधार पर कार्य कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वर्तमान निदेशक ने कार्यभार ग्रहण करने के 10 दिन बाद ही कर्मचारियों को कार्य मुक्त कर दिया।
उन्होंने बताया कि आज निदेशक के कार्यालय में प्रत्यावेदन लेने से इनकार कर दिया गया तो कर्मचारी धरने पर बैठ गये हैं। इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने कर्मचारियों से वार्ता की लेकिन वार्ता विफल रही। श्री शुक्ला ने बताया कि सभी कर्मचारियों ने निर्णय लिया कि रोज सुबह 9:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक मेन गेट के कोर्ट में धरना देंगे।
श्री शुक्ला ने बताया कि ये कर्मचारी अपना प्रत्यावेदन देने के लिए निदेशक के पास गये थे लेकिन निदेशक कैम्प में बैठे कर्मचारियों ने कहा कि निदेशक ने आप लोगों को कोई भी प्रपत्र लेने से मना किया है। कर्मचारियों का कहना है कि निदेशक डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान पूर्ण रूप से मनमानी कर रही हैं, इन पर अंकुश ना तो मंत्री लगा पा रहे हैं ना ही प्रमुख सचिव। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों ने कई बार मंत्री चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री व महानिदेशक चिकित्सा से मुलाकात की लेकिन इन लोगों द्वारा जो भी पत्र लिखा गया वह शासन में दबा दिया गया कोई कार्रवाई नहीं हुई। 2 महीने का समय व्यतीत हो गया कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिल रही है जिससे कर्मचारी परेशान हैं।