मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज हैं फार्मासिस्ट
लखनऊ। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद मांगों पर कार्यवाही ना होने से नाराज फार्मेसिस्ट संवर्ग के लगभग 8000 कर्मियों ने आज से संकेतात्मक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया । प्रदेश भर के राजकीय चिकित्सालयों, मेडिकल कॉलेजो, स्वास्थ्य केंद्रों, कारागार आदि के सभी प्रभारी अधिकारी फार्मेसी, चीफ फार्मेसिस्ट, फार्मेसिस्टों ने आज काला फीता बांधकर काम किया। काला फीता का आंदोलन 4,5 दिसम्बर को भी जारी रहेगा ।
14 सूत्रीय माँगो के समर्थन में डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा 15 नवम्बर को महानिदेशालय का घेराव किया था, लेकिन आज तक किसी स्तर पर कोई वार्ता, निर्णय या कार्यवाही नहीं हुई। संघ के प्रवक्ता और राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि माँगों की पूर्ति ना होने पर कल परसों काला फीता बांधने के बाद 6-7 दिसम्बर को 2 घंटे का कार्य बहिष्कार, 8 दिसम्बर को द्वितीय शनिवार का सामूहिक उपभोग और 10 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी ।
आज बलरामपुर चिकित्सालय में संघ की एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता प्रभारी अधिकारी फार्मेसी एम आई खान ने की। हर जनपद से प्राप्त आंदोलन की तस्वीर और संदेशों के आधार पर पाया गया कि प्रदेश के सभी जनपदों के दूर दराज क्षेत्रों तक के सभी चिकित्सालयो में विरोध प्रदर्शन हुए ।
लखनऊ के सभी चिकित्सालयो में संघ के प्रतिनिधियों ने भ्रमण भी किया , वीरांगना अवंती बाई चिकित्सालय में सुनील यादव ने फार्मेसिस्टों के साथ बैठक की और जोरदार नारेबाजी भी की गई।
सिविल अस्पताल में कोषाध्यक्ष ओ पी सिंह, लोहिया चिकित्सालय में अनिल प्रताप सिंह, लोक बंधु चिकित्सालय में गिरिजेश यादव, रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सालय में कुसुम यादव, बलरामपुर चिकित्सालय में एस एम त्रिपाठी के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ।
आंदोलन की जानकारी देते हुए श्री सुनील यादव ने बताया कि पूर्व में हुए उच्चस्तरीय समझौतों और अनेक वार्ताओं में लिये निर्णयों के बावजूद संघ की किसी भी मांग पर कोई कार्यवाही नही हो रही है। संघ की वेतन विसंगति की रिपोर्ट शासन में लंबित है । जिसके कारण सम्मानजनक वेतन नहीं मिल रहा, समझौते के अनुसार प्रत्येक जिले में जिला फार्मेसी अधिकारी के पद सृजित होने थे, 28 विशेष कर अधिकारी, 4 संयुक्त निदेशक के पदों के सृजन पर भी शासन और महानिदेशालय स्तर पर सहमति बन चुकी है जिसकी कार्यवृति फाइलों में धूल खा रही है । विभाग में पदोन्नति के पदों को बढ़ाकर पिरामिड ठीक करने की सहमति बन चुकी है लेकिन लगभग 10 साल बीतने के बाद भी इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई । जिससे अधिकांश फार्मेसिस्ट अपने मूल पद से सेवानिवृत्त हो जाते है, उनकी पदोन्नति नही हो पाती।
तकनीकी डिप्लोमा के बावजूद फार्मेसिस्ट को अभी भी प्रारंभिक ग्रेड पे 2800 ही मिल रहा है, जबकि अन्य समकक्ष कर्मियों को 4200 या 4600 ग्रेड पे दिया जा चुका है । प्राप्त हो रहे भत्तो का वर्षो से पुनरीक्षण नही हुआ । पेशेंट केयर भत्ता प्रदेश में नही दिया गया । पदों का पुनर्गठन नही हो रहा, मानक निर्धारण, पदों का सृजन लंबित है, ट्रामा सेंटरो में अभी तक फार्मेसिस्ट के एक भी पद सृजित नही हुए, उच्च पदों का सृजन भी नही हो रहा है जिससे पदोन्नति नही हो पा रही, नियुक्ति प्रक्रिया भी बाधित है। श्री यादव ने बताया कि फार्मेसिस्ट के 500 से अधिक पद रिक्त हैं जबकि महानिदेशालय के पास सही सूचना नहीं है, फार्मेसिस्ट रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं ।
नवनियुक्त फार्मेसिस्ट उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में पुरानी पेंशन योजना के हकदार हैं परंतु उन्हें नई पेंशन योजना में रखा जा रहा है, लगभग 4000 से अधिक नवनियुक्त फार्मेसिस्टों के नाम वरिष्ठता सूची में नही जोड़े गए ।
संघ ने कहा कि अगर मांगों पर शासनादेश निर्गत नही हुए तो प्रदेश के फार्मेसिस्ट बड़े आंदोलन को बाध्य होंगे जिसकी जिम्मेदारी शासन और सरकार की होगी ।