मोबाइल और कंप्यूटर में आंखें गड़ाए रहने की लत नें लखनऊ वालों की आंखों को परेशान करके रखा है। शहर के अस्पतालों में हर महीने ड्राई-आई यानी आंखों में सूखेपन से होने वाली चुभन व जलन के 11,000 से ज्यादा मरीज़ सामने आते हैं जिनमें सबसे ज्यादा संख्या 21 से 40 साल के उम्र के लोगों की है जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं। 1 मिनट में 10 से 15 बार पलकें झपकनी चाहिए इससे कॉर्निया में तरलता बनी रहती है। कई लोग मोबाइल और कंप्यूटर पर काम करने में इतने मगन हो जाते हैं कि उनकी पलकें झपकती ही नहीं हैं।
बलरामपुर अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ.संजय कुमार के मुताबिक लंबे समय तक कंप्यूटर और मोबाइल से चिपके रहने वालों की आंखों की नसों में सूजन आ जाती है जिस की अनदेखी करने पर यह ड्राई-आई में तब्दील हो जाती है जिसके परिणाम स्वरुप आंखों में अल्सर हो सकता है।
केजीएमयू , लोहिया अस्पताल ,बलरामपुर अस्पताल और बीआरडी के नेत्र रोग विभाग में रोजाना करीब 18,000 मरीज आते हैं जिनमें से औसतन 300 मरीज ड्राई-आई के होते हैं। स्मार्टफोन की वजह से पिछले 5 सालों में ड्राई-आई के मरीजों की संख्या दुगनी हो गई है।
केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग के डॉ.अरुण शर्मा ने बताया कि उनकी ओपीडी के करीब 40 फ़ीसदी मरीज ड्राई-आई के होते हैं जिनमें बच्चों की बड़ी संख्या होती है, और जब हम इसका कारण उनके पेरेंट्स से पूछते हैं तो अमूमन सारे पेरेंट्स बच्चे की मोबाइल पर गेम खेलते रहना या टीवी से चिपके रहने की बात को ही मानते हैं।