लखनऊ। डायबिटीज के मरीज विशेषकर कम उम्र से ही टाइप वन डायबिटीज के शिकार होकर इंसुलिन के इंजेक्शन की चुभन दिन में कई बार झेल रहे लोगों के लिए राहत भरी खबर है कि सिर्फ एक बार मामूली सी चुभन के साथ इंसुलिन का इंजेक्शन लेकर अगले 24 घंटे तक इस चुभन को दोबारा नहीं बर्दाश्त करना होगा। यही नहीं उत्तर प्रदेश में तो भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इसे सरकारी अस्पतालों मेंं उपलब्ध कराने की सुविधा शुरू हो गयी है, इस सुविधा को अभी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) चिकित्सालय से शुरू किया गया है। हालांकि बाकी जिलों के अस्पतालों में भी शीघ्र ही इसका वितरण शुरू हो जायेगा।
कैसे काम करती है यह इंसुलिन
सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ आशुतोष दुबे बताते हैं कि ग्लाजरीन इंसुलिन टाइप 1 और टाइप 2 दोनों तरह की डायबिटीज वाले मरीजों को दी जाती है। यह्र पूछने पर कि यह इंसुलिन एक ही बार लगाने से किस तरह २४ घंटे तक ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखेगी, इस पर उन्होंने बताया कि साधारण इंसुलिन का असर कुछ घंटे बाद शरीर के अंदर समाप्त होने लगता है लेकिन ग्लाजरीन इंसुलिन की विशेषता यह है कि यह शरीर में अंदर माइक्रोप्रीसीपीटेट तैयार कर देती है जिससे २४ घंटे तक धीरे-धीरे इंसुलिन ब्लड में पहुंचती रहती है। उन्होंने बताया कि इससे इंसुलिन का बैलेंस भी बना रहता है।
कुछ मरीजों पर नहीं करती है काम
इस बारे में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ सुशील गुप्ता से जब अधिक जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि यह सही है कि साधारणतय: तो सिर्फ एक बार ग्लाजरीन इंसुलिन का एक डोज 24 घंटे तक रक्त में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित रखता है लेकिन कुछ मरीजों को ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित करने के लिए 24 घंटे में दो या अधिक बार इंजेक्शन लगाना पड़ सकता है। यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।