लखनऊ। भारत में सीओपीडी और दमा के रोगियों की संख्या क्रमशः तीन-तीन कुल छह लाख है। इस संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। फेफड़ों की क्षमता की अगर जांच की जाये तो श्वास के रोगों का पता प्रारम्भिक अवस्था में ही चल जायेगा जिससे उसका इलाज किया जा सकेगा, इसकी जांच कुशल टेक्नीशियन द्वारा ही की जा सकती है, देश भर में पर्याप्त मात्रा में टेक्नीशियन हों, इसके लिए प्रशिक्षण देने का कदम उठाया है इण्डियन चेस्ट सोसाइटी ने। सोसाइटी ने देश भर में 12 सेंटरों पर टेक्नीशियनों को इसका प्रशिक्षण देने का फैसला लिया है।
इंडियन चेस्ट सोसाइटी देश भर में देगी स्पाइरोमीटर जांच का प्रशिक्षण
इस कड़ी की शुरुआत आज किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू ) में की गयी। इंडियन चेस्ट सोसाइटी के तत्वावधान में पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा स्पाइरोमेटरी टेक्नीशियनों के प्रशिक्षण की कार्यशाला का आयोजन किया गया।
यह जानकारी कार्यशाला के संयोजक व पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो सूर्यकांत ने देते हुए बताया कि देश में बढ़ते श्वास के रोगियों की संख्या को देखते हुए इस तरह के प्रशिक्षण का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण के चलते श्वास के रोगी बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पारम्परिक उपकरण स्टेथोस्कोप से सिर्फ छाती की जांच होती है लेकिन स्पाइरोमीटर से फेफड़ों की जांच करके श्वास के रोगियों का पता शुरुआती दौर में ही चल जाता है। उन्होंने बताया कि अभी तक सरकार या गैर सरकारी स्तर पर इस तरह के प्रशिक्षण का कोई भी कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है।
आज आयोजित कार्यशाला में डॉ सूर्यकांत, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ पीके शर्मा, डॉ एस भट्टाचार्या, डॉ वेद प्रकाश, डॉ अजय कुमार वर्मा, डॉ आनंद श्रीवास्तव एवं डॉ दर्शन कुमार बजाज ने प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया। इनके अलावा पल्मोनरी विभाग के डॉ अंकित कुमार, डॉ ज्योति बाजपेयी, डॉ राजगोपाल, सौरभ मौर्य एवं सुनील कुमार भी उपस्थित रहे।